अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में अडानी समूह पर ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ का आरोप लगाया है. अडानी समूह ने इन आरोपों को नकारा है, जिसके बाद फर्म की ओर से कहा गया है कि धोखाधड़ी, धोखाधड़ी ही होती है चाहे इसे दुनिया के सबसे अमीर आदमी ने अंजाम क्यों न दिया हो.
नई दिल्ली/कोलकाता: हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह के इन आरोपों को खारिज कर दिया है कि समूह के खिलाफ उसकी रिपोर्ट भारत पर हमला थी. अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने सोमवार को कहा कि धोखाधड़ी को ‘राष्ट्रवाद’ या ‘कुछ बढ़ा-चढ़ाकर प्रतिक्रिया’ से ढका नहीं जा सकता.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे, जिसके बाद समूह की कंपनियों के शेयरों में पिछले कुछ दिन में भारी गिरावट आई है. अडानी समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के जवाब में रविवार को 413 पृष्ठ का ‘स्पष्टीकरण’ जारी किया है.
अडानी समूह की प्रतिक्रिया पर हिंडनबर्ग रिसर्च ने सोमवार को कहा कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र और उभरती महाशक्ति है. अडानी समूह ‘व्यवस्थित लूट’ से भारत के भविष्य को रोक रहा है.
हिंडनबर्ग रिसर्च अपनी रिपोर्ट पर कायम है. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.
कंपनी ने यह भी कहा था कि अगर अडानी समूह गंभीर है, तो उसे अमेरिका में भी मुकदमा दायर करना चाहिए जहां हम काम करते हैं. हमारे पास कानूनी प्रक्रिया के दौरान मांगे जाने वाले दस्तावेजों की एक लंबी सूची है.
Our Reply To Adani:
Fraud Cannot Be Obfuscated By Nationalism Or A Bloated Response That Ignores Every Key Allegation We Raisedhttps://t.co/ohNAX90BDf
— Hindenburg Research (@HindenburgRes) January 30, 2023
हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी के समूह ने अपनी प्रतिक्रिया की शुरुआत इस दावे के साथ की कि हम (हिंडनबर्ग) ‘मैडॉफ ऑफ मैनहटन’ हैं. बर्नाड लॉरेंस मैडॉफ को पोंजी घोटाले में 2008 में गिरफ्तार कर 150 साल की सजा सुनाई गई थी.
अडानी ने यह भी दावा किया कि हमने (हिंडनबर्ग) लागू प्रतिभूति और विदेशी विनिमय नियमों का उल्लंघन किया है. फर्म की ओर से कहा गया, ‘ऐसे किसी कानून की पहचान करने में अडानी की विफलता के बावजूद यह एक और गंभीर आरोप है, जिसे हम स्पष्ट रूप से नकारते हैं.’
अडानी समूह ने रविवार (29 जनवरी) शाम को इन आरोपों के जवाब में कहा था कि यह हिंडनबर्ग द्वारा भारत पर सोच-समझकर किया गया हमला है. समूह ने कहा था कि ये आरोप और कुछ नहीं सिर्फ ‘झूठ’ हैं.
अडानी समूह ने कहा था कि यह रिपोर्ट एक कृत्रिम बाजार बनाने की कोशिश है, जिससे शेयरों के दाम नीचे लाकर अमेरिका की कंपनियों को वित्तीय लाभ पहुंचाया जा सके. समूह ने यह भी कहा था कि यह रिपोर्ट गलत तथ्यों पर आधारित निहित मंशा से जारी की गई है.
समूह ने कहा था, ‘यह केवल किसी विशिष्ट कंपनी पर एक अवांछित हमला नहीं है, बल्कि भारत, भारतीय संस्थाओं की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता, तथा भारत की विकास गाथा और महत्वाकांक्षाओं पर एक सुनियोजित हमला है.’
इसने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी की रिपोर्ट में लगाए गए आरोप ‘झूठ के सिवाय कुछ नहीं’ हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, समूह ने कहा कि है कि रिपोर्ट ‘झूठा बाजार बनाने’ के ‘एक छिपे हुए मकसद’ से प्रेरित थी, ताकि अमेरिकी फर्म (हिंडनबर्ग) को स्टॉक की कीमतों को नीचे खींचकर वित्तीय लाभ मिल सके. दस्तावेज ‘एक गुप्त मकसद चलाने के लिए आधारहीन और बदनाम आरोपों से संबंधित चुनिंदा गलत सूचनाओं एवं छुपाकर रखे गए तथ्यों का एक दुर्भावनापूर्ण संयोजन हैं.’
समूह ने कहा कि ये ‘निराधार और शर्मनाक आरोप किसी गुप्त मकसद’ से लगाए गए हैं.
हिंडनबर्ग ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अडानी समूह ने ‘निश्चित रूप से मूल मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश की और इसके बजाय एक राष्ट्रवादी आख्यान को हवा दी.’
इसमें कहा गया है, ‘अडानी समूह ने अपने उदय और अपने चेयरमैन गौतम अडानी की संपत्ति को भारत की सफलता के साथ मिलाने का प्रयास किया है.’
हिंडनबर्ग की ओर से कहा गया, ‘हम असहमत हैं. स्पष्ट होने के लिए हम मानते हैं कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और एक रोमांचक भविष्य के साथ एक उभरती हुई महाशक्ति है. हम यह भी मानते हैं कि भारत का भविष्य अडानी समूह द्वारा रोका जा रहा है, जिसने देश को व्यवस्थित रूप से लूटते हुए खुद को राष्ट्रवाद के आवरण में लपेट लिया है.’
हिंडनबर्ग रिसर्च ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि धोखाधड़ी, धोखाधड़ी ही होती है चाहे इसे दुनिया के सबसे अमीर आदमी ने अंजाम क्यों न दिया हो.
हिंडनबर्ग ने कहा कि हमने अडानी समूह से 88 विशेष सवाल किए थे, जिनमें से समूह 62 का सही तरीके से जवाब देने में विफल रहा.
शॉर्ट सेलिंग में विशेषज्ञता रखने वाली न्यूयॉर्क की कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद सिर्फ दो कारोबारी सत्रों में अडानी समूह की कंपनियों का बाजार मूल्यांकन 50 अरब डॉलर से अधिक घट गया है. अडानी को खुद 20 अरब डॉलर का घाटा हुआ है. इस रिपोर्ट के बाद अडानी की संपदा में करीब 20 प्रतिशत की कमी आई है.
अडानी समूह ने बीते बृहस्पतिवार (26 जनवरी) को कहा था कि वह अपनी प्रमुख कंपनी के शेयर बिक्री को नुकसान पहुंचाने के प्रयास के तहत ‘बिना सोचे-विचारे’ काम करने के लिए अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ ‘दंडात्मक कार्रवाई’ को लेकर कानूनी विकल्पों पर गौर कर रहा है. वहीं, हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि वह अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह कायम है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि उसकी रिपोर्ट पर अडानी समूह की प्रतिक्रिया ने उसके निष्कर्षों की काफी हद तक पुष्टि की है.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में बताया था कि अडानी समूह ने कैसे मॉरीशस और कैरेबियाई द्वीपों जैसे टैक्स हेवन में ऑफशोर कंपनियों का उपयोग किया है. इसमें कहा गया है कि अडानी के सूचीबद्ध फर्मों में कुछ ऑफशोर फंड और शेल कंपनियां ‘गुप्त रूप से’ अपना स्टॉक रखती हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अरबपति गौतम अडानी द्वारा नियंत्रित समूह की प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों के पास ‘पर्याप्त ऋण’ था, जिसने पूरे समूह को ‘अनिश्चित वित्तीय स्थिति’ में डाल दिया है.
साथ ही, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया कि उसके दो साल के शोध के बाद पता चला है कि 17,800 अरब रुपये मूल्य वाले अडानी समूह के नियंत्रण वाली मुखौटा कंपनियां कैरेबियाई और मॉरीशस से लेकर यूएई तक में हैं, जिनका इस्तेमाल भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी को अंजाम देने के लिए किया गया.
माकपा ने अडानी समूह के खिलाफ उच्चस्तरीय जांच की मांग की
इस बीच मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने अडानी समूह पर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए अनियमितताओं के आरोपों की उच्चस्तरीय जांच कराए जाने की रविवार को मांग की.
वाम दल के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जानी चाहिए.
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘माकपा मांग करती है कि केंद्र सभी संबंधित मंत्रालयों को शामिल करते हुए एक उच्चस्तरीय जांच दल का गठन करे. जांच पूरी होने तक सुप्रीम कोर्ट दिन-प्रतिदिन के आधार पर जांच की निगरानी करे. देश के हित की रक्षा करनी होगी.’
इससे पहले कांग्रेस ने अडानी समूह पर लगाए गए आरोपों की जांच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) को करनी चाहिए क्योंकि भारत की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और सुरक्षा इन संस्थानों की जिम्मेदारी है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)