विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ख़ासतौर पर दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों से कहा कि वे उसकी कुष्ठ रणनीति 2021-30 के दृष्टिकोण के अनुरूप कुष्ठ रोग, इसके प्रति दुर्भावना और भेदभाव को ख़त्म करने के लक्ष्य को पाने के लिए कोशिशें तेज़ करें.
नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने रविवार को उन देशों, खासतौर पर दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों से आह्वान किया कि वे कोविड-19 की वजह से बाधित कुष्ठ रोग संबंधी सेवाओं को तत्काल बहाल करें.
वैश्विक संगठन ने इन देशों से कहा कि वे डब्ल्यूएचओ की कुष्ठ रणनीति 2021-30 के दृष्टिकोण के अनुरूप कुष्ठ बीमारी, इसके प्रति दुर्भावना और भेदभाव को शून्य करने के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु कोशिशें तेज करें.
डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि अगर शुरुआती चरण में पता लग जाए तो कुष्ठ रोग का शत प्रतिशत इलाज हो सकता है, इसके बावजूद आज कोविड-19 संबंधी चुनौतियों के अलावा संस्थागत और अनौपचारिक कलंक और भेदभाव शीघ्र निदान और इलाज में बाधा उत्पन्न करते हैं जिससे इस बीमारी के बढ़ने की आशंका बनती है.
उन्होंने विश्व कुष्ठ रोग दिवस की पूर्व संध्या पर कहा, ‘इसे बदलने की जरूरत है.’
गौरतलब है कि वर्ष 2021 में पूरी दुनिया में कुष्ठ रोग के कुल 1,40,000 नए मामले आए, जिनमें से 95 प्रतिशत मामले 23 प्राथमिकता वाले देशों में थे. इनमें से छह प्रतिशत मरीजों में स्पष्ट रूप से नजर आने वाली विकृति पायी गयी थी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने कहा कि नए मामलों में से 6 प्रतिशत से अधिक 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे थे, जिनमें से 368 को ग्रेड-2 विकलांगता का निदान किया गया था.
2020 से 2021 तक नए मामलों में 10 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद रिपोर्ट किए गए मामले 2019 की तुलना में 2021 में 30 प्रतिशत कम थे.
सिंह ने कहा कि यह संक्रमण में कमी के कारण नहीं है, बल्कि इसलिए है क्योंकि कुष्ठ रोग कोविड-19 से संबंधित व्यवधानों के कारण सामने नहीं आए.
क्षेत्रीय निदेशक ने कहा, ‘देशों को रिफैम्पिसिन केमोप्रॉफिलैक्सिस (Rifampicin Chemoprophylaxis) की एकल खुराक के विस्तार पर ध्यान देने के साथ कुष्ठ रोग सेवाओं को तत्काल बहाल करना जारी रखना चाहिए, सक्रिय मामलों को पहचान करने का काम तेज करना और मल्टी-ड्रग थेरेपी के साथ शीघ्र निदान और उपचार सुनिश्चित करना चाहिए.’
सिंह ने महिलाओं, बच्चों, अप्रवासियों, शरणार्थियों, बुजुर्गों, बेघरों, वंचित कुष्ठ ‘कॉलोनियों’ के निवासियों और भौगोलिक रूप से दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों सहित कमजोर आबादी पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया, ताकि पीड़ा को समाप्त किया जा सके और कुष्ठ रोग को खत्म किया जा सके.
सात देशों में कम से कम 115 भेदभावपूर्ण कानूनों के होने की सूचना के साथ डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों से तुरंत और स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण कानूनों को रद्द करने और कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों के खिलाफ भेदभाव को खत्म करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों और दिशानिर्देशों को लागू करने के अलावा पालन करने का आह्वान किया.
डब्ल्यूएचओ ने 2030 तक शून्य कुष्ठ संक्रमण और बीमारी के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में तेजी से, समान और निरंतर प्रगति करने के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र और दुनिया भर में कुष्ठ प्रभावित देशों को अपने दृढ़ समर्थन को दोहराया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)