विश्व भारती के क़ब्ज़े के दावे को आधारहीन बताते हुए ममता ने अमर्त्य सेन को भूमि रिकॉर्ड सौंपे

विश्व भारती विश्वविद्यालय ने नोबेल विजेता अमर्त्य सेन पर शांति निकेतन में कथित तौर पर ‘अनधिकृत रूप से भूखंड क़ब्ज़ाने के आरोप लगाए थे, जिसे सेन ने ख़ारिज किया था. अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें संबंधित ज़मीन के कागज़ात देते हुए विश्व भारती के आरोपों को आधारहीन बताया है.

नोबेल विजेता अमर्त्य सेन के बोलपुर आवास पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी. (फोटो साभार: ट्विटर/@AITCofficial)

विश्व भारती विश्वविद्यालय ने नोबेल विजेता अमर्त्य सेन पर शांति निकेतन में कथित तौर पर ‘अनधिकृत रूप से भूखंड क़ब्ज़ाने के आरोप लगाए थे, जिसे सेन ने ख़ारिज किया था. अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें संबंधित ज़मीन के कागज़ात देते हुए विश्व भारती के आरोपों को आधारहीन बताया है.

नोबेल विजेता अमर्त्य सेन के बोलपुर आवास पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी. (फोटो साभार: ट्विटर/@AITCofficial)

बोलपुर (पश्चिम बंगाल): विश्व भारती द्वारा नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन पर लगाए गए ‘अवैध कब्जे’ के आरोपों के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को उन्हें जमीन से संबंधित दस्तावेज सौंपे और कहा कि भविष्य में उनसे (सेन से) कोई सवाल नहीं कर सकेगा.

सोमवार दोपहर बाद बोलपुर पहुंचीं बनर्जी सेन के आवास पर पहुंचीं और उन्होंने सेन के खिलाफ विश्व भारती द्वारा लगाए गए आरोपों को आधारहीन बताया.

 

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस मामले पर क़ानूनी कदम लिया जाएगा. उन्होंने नोबेल पुरस्कार विजेता को भविष्य में उनकी सुरक्षा के लिए जेड-प्लस सुरक्षा देने की भी घोषणा की.

उल्लेखनीय है कि विश्व भारती एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है और इसके चांसलर प्रधानमंत्री हैं. विश्वविद्यालय का आरोप है कि अर्थशास्त्री के पास 0.13 एकड़ जमीन अवैध रूप से है. इस आरोप को सेन ने खारिज किया है.

केंद्रीय विश्वविद्यालय की ओर से बीते दस दिनों में जाने-माने अर्थशास्त्री को दो बार पत्र भेजकर सेन से शांतिनिकेतन में जमीन के एक हिस्से को सौंपने को कहा था. पहले भी उन्हें ऐसे नोटिस भेजे गए थे.

हालांकि, अमर्त्य सेन ने पहले ही जोर देकर कह चुके कि शांति निकेतन परिसर में उनके पास जो जमीन है, उनमें से अधिकांश को उनके पिता ने खरीदा था जबकि कुछ अन्य भूखंड पट्टे पर लिए थे.

बनर्जी ने कहा, ‘उनके (अमर्त्य सेन) खिलाफ जमीन पर अवैध कब्जे के आरोप आधारहीन हैं. यह उनकी छवि को खराब करने का प्रयास है. किसी को उनका अपमान करने का अधिकार नहीं है. हम यह बर्दाश्त नहीं करेंगे.’

अपने चार जिलों के दौरे को शुरू करते हुए सेन के बोलपुर स्थित आवास पर पहुंची ममता बनर्जी ने कहा, ‘वे आपका अपमान कर रहे थे, जो मुझे बहुत ख़राब लगा. इसीलिए मैं यहां आई हूं. मैंने अफसरों से सर्वे और रिकॉर्ड ढूंढने को कहा था. अब आपके पास प्रमाण है कि वह जमीन आपकी है. अब कोई आप पर सवाल नहीं उठा सकता. वो लोग (यूनिवर्सिटी) झूठ बोल रहे हैं.’

सीएम ने कहा कि वह इस बारे में जिलाधिकारी से बात करेंगी कि सरकार इसे लेकर क्या क़ानूनी कदम ले सकती है. उन्होंने सेन से कहा, “मैं लंबे समय से आपके प्रति इस अपमान को सहन कर रही थी. कृपया इस सबके बारे में परेशान न हों.’

बाद में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए ममता ने विश्व भारती के ‘भगवाकरण’ की बात करते हुए कहा कि अधिकारियों को ‘छात्रों को निलंबित’ करने के बजाय ‘ठीक तरह से’ विश्वविद्यालय चलाने पर ध्यान देना चाहिए. सीएम ने कहा, ‘मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है लेकिन विश्व भारती का भगवाकरण हो गया है.’

इस भूमि विवाद पर बनर्जी ने कहा, ‘अमर्त्य सेन नोबेल पुरस्कार विजेता हैं और न केवल बंगाल में बल्कि दुनिया भर में उनका सम्मान किया जाता है… विश्वविद्यालय ने लिखा है कि सेन के पास 1.25 एकड़ जमीन है, लेकिन ख़बरों को पढ़ने के बाद हमने सर्वेक्षण किया और सच का पता लगाया. हमें रिकॉर्ड मिले हैं जो बताते हैं कि उनके पास 1.38 एकड़ जमीन है. इससे साबित होता है कि अमर्त्य सेन सही कह रहे हैं.’

पश्चिम बंगाल प्रशासन ने बाद में एक बयान में कहा, ‘राज्य सरकार ने सभी पुराने भूमि अभिलेखों की जांच की है. यह पाया गया कि प्रोफेसर सेन के पिता आशुतोष सेन को 1.38 एकड़ का दीर्घकालिक पट्टा दिया गया है, न कि 1.25 एकड़ का, जैसा कि विश्व भारती ने आरोप लगाया है.’

उधर, सेन ने मीडियाकर्मियों से बात करते हे कहा कि वे मुख्यमंत्री के प्रयासों से आश्चर्य में हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं हैरान हूं कि उन्होंने पुराने जमीन के रिकॉर्ड ढूंढे और उनमें ऐसा उत्साह था… एक राजनीतिक नेता में ऐसा उत्साह.’ जेड प्लस सुरक्षा के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि यह क्या है और वे इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते.

अर्थशास्त्री ने बनर्जी को धन्यवाद दिया, साथ ही कहा कि जो लोग ‘वैचारिक मतभेदों के कारण’ उनके घर को छीनने की कोशिश कर रहे हैं, वे उन्हें निशाना बनाने का कोई और तरीका खोज लेंगे.

एक सवाल के जवाब में सेन ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि ममता द्वारा उन्हें जमीन के रिकॉर्ड देने के बावजूद विवाद खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा, ‘जो लोग मुझे मेरे घर से हटाना चाहते हैं, उनका मकसद राजनीति है… मैं एक धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण पसंद करता हूं. सांप्रदायिक राजनीति करने वाले इसे स्वीकार नहीं कर सकते.’

सेन को हालिया नोटिस तब मिला था, जब उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि ममता में प्रधानमंत्री बनने के सारे गुण हैं. तृणमूल कांग्रेस ने उनके खिलाफ कार्रवाई को उनके द्वारा ममता बनर्जी को समर्थन देने से जोड़ा था.

वहीं, विश्व भारती के कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा है कि वे इस मामले को अदालत में लड़ेंगे. उन्होंने जोड़ा कि उनके पास अपनी बात साबित करने के लिए कागजात हैं.

चक्रवर्ती ने कहा, ‘अगर वह (सेन) अदालत जाते हैं, तो यह अच्छा है. उन्हें सभी दस्तावेज जमा करने चाहिए. मामला साफ हो जाएगा. उनका या हमारा कोई अनादर नहीं होगा. हमें भी यह अच्छा नहीं लगता.’

मुख्यमंत्री के कदम पर चक्रवर्ती ने कहा, ‘जमीन विश्वविद्यालय की है, राज्य सरकार की नहीं. जमीन लीज पर है, यह निजी स्वामित्व वाली संपत्ति नहीं है. हम लीज का नवीनीकरण कर सकते हैं या नहीं. हमने 2006 में पट्टे का नवीनीकरण किया. जमीन उनके पिता आशुतोष सेन के नाम पर है. इसलिए हमने उनसे (सेन) दस्तावेज मांगे थे.’

मालूम हो कि जनवरी 2021 में विश्व भारती के कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती ने अमर्त्य सेन के परिवार पर परिसर में जमीन पर अवैध कब्जे का आरोप लगाया था.

दुनियाभर में प्रतिष्ठित नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की नीतियों के शुरू से आलोचक रहे हैं और सरकार को लगातार समाज के वंचित तबकों के लिए काम करने को सुझाव देते रहे हैं.

इसी महीने की शुरुआत में अमर्त्य सेन ने कहा था कि भारत में वर्तमान में व्याप्त ‘असहिष्णुता का माहौल’ लंबे समय तक नहीं रहेगा और इसके खिलाफ लड़ने के लिए लोगों को एकजुट होना होगा. इनमें से कुछ मतभेदों को ‘अज्ञानता व निरक्षरता’ ने जन्म दिया है.

दिसंबर 2022 में भी उन्होंने देश के मौजूदा हालातों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि भारत में चर्चा और असहमति की गुंजाइश कम होती जा रही है. मनमाने तरीके से देशद्रोह के आरोप थोपकर लोगों को बिना मुकदमे जेल भेजा रहा है.

अमर्त्य सेन पहले भी कई मौकों पर देश के मौजूदा हालातों को लेकर चिंता जता चुके हैं. जुलाई 2022 में उन्होंने कहा था कि राजनीतिक अवसरवाद के लिए लोगों को बांटा जा रहा है.

उन्होंने कहा था, ‘भारतीयों को बांटने की कोशिश हो रही है. राजनीतिक अवसरवाद के कारण हिंदुओं और मुसलमानों के सह-अस्तित्व में दरार पैदा की जा रही है. भारत केवल हिंदुओं का देश नहीं हो सकता. साथ ही अकेले मुसलमान भारत का निर्माण नहीं कर सकते. हर किसी को एक साथ मिलकर काम करना होगा.’

इससे पहले एक अवसर पर उन्होंने कहा था कि देश में मौजूदा हालात डर की वजह बन गए हैं. तब भी उन्होंने लोगों से एकता बनाए रखने की दिशा में काम करने की अपील की थी.

उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता का आह्वान करते हुए कहा था, ‘भारत में सहिष्णुता की एक अंतर्निहित संस्कृति है, लेकिन वक्त की जरूरत है कि हिंदू और मुस्लिम एक साथ काम करें.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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