कैसे एक गैंगरेप और मर्डर हिमाचल में चुनावी मुद्दा बन गया है

ग्राउंड रिपोर्ट: इस साल जुलाई में शिमला से 80 किमी दूर कोटखाई में एक स्कूली छात्रा की गैंगरेप के बाद निर्मम हत्या कर दी गई थी.

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गुड़िया गैंगरेप मर्डर के विरोध में शिमला में उस दौरान हुए प्रदर्शनों की एक तस्वीर (फाइल फोटो: पीटीआई)

ग्राउंड रिपोर्ट: इस साल जुलाई में शिमला से 80 किमी दूर कोटखाई में एक स्कूली छात्रा की गैंगरेप के बाद निर्मम हत्या कर दी गई थी.

Shimla: People staging a demonstration to demand justice for a 16-year-old school girl, who was raped and murdered in Kotkhai, in Shimla on Saturday. PTI Photo (PTI7_15_2017_000065B)
गुड़िया गैंगरेप मर्डर के विरोध में शिमला में प्रदर्शन करते लोग. (फाइल फोटो: पीटीआई)

इस साल जुलाई में शिमला से करीब 80 किमी दूर कोटखाई इलाके में एक स्कूली छात्रा के साथ हुए गैंगरेप और मर्डर मामले ने पूरे हिमाचल का ध्यान अपनी तरफ खींचा था. गुड़िया गैंगरेप मर्डर मामले में राज्य पुलिस ने जिस तरह की कार्रवाई की थी, उससे नाराज़ लोग बड़े पैमाने पर सड़कों पर उतर आये थे. लंबी रैलियां निकाली गई और विरोध-प्रदर्शन किए गए.

आम तौर पर शांत रहने वाले हिमाचल प्रदेश के लोगों ने इस मामले को लेकर चल रहे एक प्रदर्शन के दौरान कोटखाई में स्थित पुलिस थाने में आग लगा दी थी. राज्य पुलिस ने गुड़िया गैंगरेप मर्डर मामले में सात युवकों को गिरफ्तार किया था. इसमें से एक युवक की मौत पुलिस हिरासत में हो गई थी.

हालांकि बाद में राज्य की कांग्रेस सरकार ने इस मामले को सीबीआई का सौंप दिया. लेकिन हिमाचल विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले हुए इस घटना की छाप प्रदेश के चुनावी माहौल में साफ दिखाई पड़ रही है.

कांग्रेस और भाजपा ने अपने-अपने घोषणापत्रों में इस बार महिला सुरक्षा के मुद्दे को प्रमुखता से जगह दी है. प्रदेश भर में भाजपा अपने चुनाव प्रचार में इसे प्रदेश सरकार की नाकामी बता रही है तो कांग्रेसी नेता इस संवेदनशील मुद्दे पर चुनावी राजनीति करने के लिए भाजपा की आलोचना कर रहे हैं.

जहां यह घटना हुई है वह शिमला से सटे हुए जुब्बल-नवार-कोटखाई विधानसभा के अंर्तगत आता है. पिछले विधानसभा चुनाव तक इस इलाके में सेब, बागवानी और स्वास्थ्य चुनावी मुद्दे हुआ करते थे लेकिन इस बार ये सारे मसले पीछे हैं.

हर व्यक्ति के जबान पर गुड़िया मामले में पुलिस द्वारा की कार्रवाई को लेकर बेहद नाराजगी है.

हालांकि इस मामले को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया था. लेकिन भाजपा ने यह कहते हुए इस आंदोलन को अपने तरफ मोड़ने की कोशिश की इस हत्याकांड में कुछ प्रभावशाली लोग शामिल हैं जिन्हें सरकार बचाना चाह रही है.

क्या था पूरा मामला

4 जुलाई को शिमला से 56 किमी दूर कोटखाई में आरोपियों ने 16 साल की स्कूली छात्रा को लिफ्ट दी और नजदीक के जंगल में ले जाकर उसके साथ रेप किया और फिर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी थी. इस रेप और मर्डर के बाद पूरे हिमाचल में पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर विरोध हुआ था. विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाते हुए 14 जुलाई को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन की चेतावनी दी.

12 जुलाई को 10.37 मिनट पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के आधिकारिक फेसबुक अकाउंट से चार लोगों की फोटो के साथ एक पोस्ट डाली गई कि इस मामले में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. उन्होंने आईजी ज़हूर हैदर ज़ैदी और मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) को बधाई भी दे दी. हालांकि एक घंटे बाद यह पोस्ट हटा दी गई.

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कोटखाई पुलिस थाने में प्रदर्शनकारियों द्वारा जुलाई में आग लगा दी गई थी. इसके निशान अब भी बाकी हैं. (फोटो: अमित सिह/द वायर)

एक दिन बाद एसआईटी ने दावा किया कि उसमें मामले को सुलझा लिया है और छह व्यक्ति आशीष चौहान, राजेंद्र सिंह, सूरज सिंह, सुभाष सिंह बिष्ट, लोकजान और दीपक को गिरफ्तार किया है. हालांकि इसमें से किसी की भी शक्ल एक दिन पहले फेसबुक पर डाली गई फोटो से मिलती नहीं थी.

हालांकि अगले कुछ दिनों तक इन पकड़े गए लोगों को निर्दोष मानते हुए बड़ी संख्या में लोगों ने पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किया. इसी बीच सूरज सिंह की पुलिस कस्टडी में मौत हो गयी. इसके बाद कुछ जगहों पर यह प्रदर्शन हिंसक हो उठा. उग्र भीड़ ने कोटखाई पुलिस थाने को आग के हवाले कर दिया.

जल्द ही प्रदेश सरकार ने घटना की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश कर दी. घटना के करीब डेढ़ महीने बाद सीबीआई ने कार्रवाई करते हुए गुड़िया गैंगरेप मर्डर मामले में आरोपी सूरज सिंह की मौत और असली आरोपियों को बचाने के लिए 8 पुलिसवालों को गिरफ़्तार कर लिया है.

पुलिसवालों में आईजी ज़हूर हैदर ज़ैदी, डीएसपी मनोज कुमार जोशी समेत एसआईटी में शामिल अन्य लोग हैं. फिलहाल पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए ज्यादातर आरोपियों को सीबीआई अदालत द्वारा जमानत मिल गई है, लेकिन पुलिस वालों की जमानत याचिका अदालत द्वारा खारिज कर दी गई.

क्या कहना है कोटखाई के लोगों का

दो बार प्रदेश सरकार में केंद्रीय मंत्री और इस बार इस विधानसभा सीट से प्रत्याशी नरेंद्र बरागटा के चुनाव कार्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रहे ब्लॉक अध्यक्ष गोपाल जबैक कहते हैं कि कांग्रेस विधायक द्वारा इस इलाके में विकास कार्य न करवाने के साथ गुड़िया का मामला प्रमुख मुद्दा है.

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कोटखाई में भाजपा प्रत्याशी का कार्यालय. (फोटो: अमित सिंह/द वायर)

गौरतलब है कि नरेंद्र बरागटा को पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के रोहित तलवार ने 9,000 मतों से हराया था. इस बार दोनों नेता फिर से एक दूसरे के सामने है.

दो बार प्रदेश के बागवानी मंत्री रहे नरेंद्र बरागटा के बेटे और पेशे से बैंकर ध्रुव बरागटा बताते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव में मेरे पिता के हारने का कारण चुनाव के पहले हुआ परिसीमन था. इस परिसीमन में कांग्रेस के गढ़ रहे नौ पंचायतों को इस विधानसभा में जोड़ दिया गया.

गुड़िया मामले को लेकर वो कहते हैं, ‘राज्य सरकार की गैर जिम्मेदाराना कार्रवाई और मुख्यमंत्री के कुछ बयानों से महिलाएं और आम जनता हताश हैं. पिछले महीने हमने एक महिला सम्मेलन का आयोजन किया था जिसमें हमारी उम्मीद से ज्यादा संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया और इस मसले को लेकर अपना रोष व्यक्त किया.’

हालांकि यह इलाका परंपरागत तौर पर कांग्रेस का गढ़ रहा है. यहां पर कांग्रेस प्रत्याशी रोहित तलवार के दादा और पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर राम लाल ने नौ बार जीत हासिल की है. इसमें से एक बार वो जनता दल के टिकट पर चुनाव जीते हैं. यहां पर भाजपा का खाता पहली बार तब खुला जब 1998 में नरेंद्र बरागटा ने जीत हासिल की.

वहीं कांग्रेस भाजपा द्वारा गुड़िया मामले को चुनाव के दौरान जोर-शोर से उठाये जाने पर नाराज़ दिखाई देती है. कोटखाई ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के महासचिव जगदीश चौहान ने कहा, ‘गुड़िया मामले को लेकर हम सबने प्रदर्शन किया था. हम सबको इस घटना का दुख था. हमने गुड़िया के परिजनों से मुलाकात भी की थी. भाजपा उस समय कही नहीं थी, लेकिन अब इस मसले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रही है.’

कुछ ऐसा ही कहना कोटखाई नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन रवींद्र चौहान का था. उन्होंने आरोप लगाया, ‘भाजपा अपने लाभ के लिए इस संवेदनशील मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रही है. इससे वह अपनी कमियों को छिपाना चाहती है. दूसरी जगहों पर भाजपा विकास के नाम पर वोट मांगती है लेकिन हिमाचल में कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों से डरकर वह गुड़िया जैसे संवेदनशील मसले का सहारा ले रही है.’

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कोटखाई के कांग्रेस चुनाव कार्यालय पर स्थानीय नेता जगदीश और राजेंद्र चौहान. (फोटो: गौरव भटनागर/ द वायर)

फिलहाल सिर्फ कोटखाई विधानसभा ही नहीं पूरे हिमाचल में गुड़िया गैंगरेप मर्डर मामला चुनाव के दौरान चर्चा का विषय है. जहां भाजपा के नेता इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बता रहे हैं, वहीं कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता इस सवाल से बचते नजर आ रहे हैं.

शिमला भाजपा कार्यालय में चुनाव प्रचार के लिए निकलने की तैयारी कर रहे कार्यकर्ता रमेश शर्मा कहते हैं, ‘गुड़िया का मसला कांग्रेस को लंबा नुकसान पहुंचाने वाला है. चुनाव प्रचार के दौरान जब हम महिलाओं से उनकी सुरक्षा के मुुद्दे पर बात करते हैं तो उनका गुस्सा वीरभद्र के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर ही होता है. हिमाचल में सरकार बनाने में महिला वोटरों की बड़ी भूमिका होती है. वो ज्यादा बोलती नहीं है बस चुपचाप वोट करती है. जब चुनाव परिणाम आएगा तो कांग्रेस को पता चल जाएगा कि महिला सुरक्षा कितना बड़ा मसला है.’

वहीं, मंडी के जवाहर नगर से कांग्रेस समर्थित पार्षद अलखनंदा कहती हैं, ‘अगर हम बाकी देश के हालात देखें तो हिमाचल में महिलाएं सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं. गुड़िया मामला वाकई में बहुत दुखद हैं लेकिन सरकार ने अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाई है. मामला अब सीबीआई के हवाले है. हमें भरोसा है जल्द ही दोषियों को पकड़ लिया जाएगा. भाजपा जबरदस्ती पूरे प्रदेश में इसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रही है. इस चुनाव में उसे इस मसले पर वोट नहीं मिलने वाला है.’

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