विशाखापत्तनम राज्य की नई राजधानी होगी: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने मार्च 2022 में मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी सरकार के तीन राजधानियां बनाने के प्रस्ताव पर रोक लगाते हुए उसे अमरावती को राज्य की राजधानी के रूप में विकसित करने का आदेश दिया था. सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. नवंबर 2022 में शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश पर 31 जनवरी, 2023 तक के लिए रोक लगा दी थी.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी. (फोटो साभार: पीटीआई)

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने मार्च 2022 में मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी सरकार के तीन राजधानियां बनाने के प्रस्ताव पर रोक लगाते हुए उसे अमरावती को राज्य की राजधानी के रूप में विकसित करने का आदेश दिया था. सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. नवंबर 2022 में शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश पर 31 जनवरी, 2023 तक के लिए रोक लगा दी थी.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने मंगलवार को घोषणा की कि राज्य की राजधानी को विशाखापत्तनम स्थानांतरित किया जाएगा.

मार्च में विशाखापत्तनम में होने वाले ‘ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट’ की तैयारी संबंधी बैठक को संबोधित करते हुए रेड्डी ने कहा कि वह आने वाले महीनों में इस बंदरगाह शहर में अपना कार्यालय स्थानांतरित करेंगे.

उन्होंने कहा, ‘मैं आपको विशाखापत्तनम में आमंत्रित कर रहा हूं, जो आने वाले दिनों में हमारी राजधानी बनने जा रहा है. मैं खुद भी आने वाले महीनों में विशाखापत्तनम से कामकाज करूंगा.’

आंध्र प्रदेश की राजधानी अभी अमरावती है.

रिपोर्ट के मुताबिक, यह कदम कानूनी अड़चन में पड़ सकता है, क्योंकि आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने पिछले साल मार्च में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी सरकार को अमरावती को राज्य की राजधानी के रूप में विकसित करने का आदेश दिया था, जैसा कि पिछली तेलुगू देशम पार्टी सरकार ने कल्पना की थी.

मंगलवार को मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार तीन और चार मार्च को विशाखापत्तनम में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन कर रही है. उन्होंने उद्योग जगत के लोगों से बैठक में हिस्सा लेने और राज्य में निवेश करने का अनुरोध भी किया.

वर्तमान में मुख्यमंत्री विशाखापत्तनम और अमरावती में अपने कैंप कार्यालय से काम करते हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, यह घोषणा राज्य की राजधानी पर लंबे समय से चले आ रहे विवाद में एक नया मोड़ है. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के चार महीने बाद मुख्यमंत्री का यह बयान आया है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मार्च 2023 तक राज्य की राजधानी के रूप में अमरावती में सभी काम पूरा करने का आदेश दिया था.

पिछली नायडू सरकार ने 2015 में अमरावती को राज्य की राजधानी घोषित किया था और नई राजधानी शहर बनाने के लिए किसानों से 33,000 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था. आंध्र प्रदेश कैपिटल रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीसीआरडीए) का गठन नए शहर में सड़क, पेयजल, जल निकासी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए किया गया था, जिसे नायडू ने सिंगापुर मॉडल पर विकसित करने का वादा किया था.

साल 2013-2014 में जब राज्य को दो भागों में विभाजित किया गया तो आंध्र प्रदेश ने अपनी राजधानी हैदराबाद को तेलंगाना से खो दिया. आंध्र-तेलंगाना पुनर्गठन अधिनियम के तहत, केंद्र ने नई राजधानी विकसित करने के लिए आंध्र प्रदेश को पर्याप्त धन उपलब्ध कराने का वादा किया था.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, 2019 में सत्ता में आने के तुरंत बाद जगन ने राज्य में तीन राजधानियों – अमरावती को विधायी राजधानी, विशाखापत्तनम को प्रशासनिक राजधानी और कुरनूल को न्यायिक राजधानी के रूप में विकसित करने के अपने इरादे की घोषणा की थी.

जनवरी 2020 में विपक्ष के विरोध के बीच आंध्र प्रदेश विधानसभा ने विकेंद्रीकृत विकास करने के उद्देश्य से राज्य में तीन राजधानियां (विशाखापत्तनम, कर्नूल और अमरावती) बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.

हालांकि, अमरावती के किसानों द्वारा ‘राजधानी रायथु परिक्षण समिति’ के बैनर तले कानून का विरोध इस आधार पर किया गया था कि उनकी भूमि राज्य सरकार द्वारा इस वादे पर अधिग्रहित की गई थी कि अमरावती को पूर्ण राज्य की राजधानी के रूप में विकसित किया जाएगा.

सरकार के तीन राजधानी बनाने के कदम के विरोध में वे आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट चले गए. इसके बाद जगन मोहन रेड्डी सरकार ने नवंबर 2021 में विवादास्पद अधिनियम को निरस्त कर दिया था, जिसका मकसद राज्य के लिए तीन राजधानियां स्थापित करना है, लेकिन अदालत ने सुनवाई आगे बढ़ाई और राज्य सरकार को मार्च 2023 तक अमरावती को ही राजधानी के रूप में विकसित करने का निर्देश दिया था.

हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा, जस्टिस एम. सत्यनारायण मूर्ति और जस्टिस डीवीएसएस सोमयाजुलु की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकार के पास अमरावती को राजधानी के रूप में बदलने या हटाने के लिए कोई ‘विधायी क्षमता’ नहीं है.

307 पन्नों के फैसले को जगन मोहन रेड्डी सरकार ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि एक राज्य के पास अपनी राजधानी तय करने की शक्ति नहीं है, यह संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है.

सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2022 में हाईकोर्ट के 3 मार्च 2022 के आदेश पर 31 जनवरी, 2023 तक रोक लगा दी थी, जिसमें राज्य सरकार को छह महीने के भीतर अमरावती को राजधानी के रूप में विकसित करने के लिए कहा गया था.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, हाल के महीनों में आंध्र प्रदेश के कई मंत्रियों ने कहा कि राज्य सरकार तीन राजधानियों के मुद्दे पर एक नया विधेयक लाएगी. विधेयक के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई थी. राजनीतिक विशेषज्ञों ने पहले कहा था कि तीन राजधानियों की घोषणा का उद्देश्य राज्य के तीन अलग-अलग क्षेत्रों में मतदाताओं को लक्षित करना है.

इसी बीच, पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने कहा कि कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह घोषणा अदालत की अवमानना हो सकती है, क्योंकि मामला शीर्ष अदालत में लंबित है.

पार्टी ने एक ट्वीट में कहा, ‘कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि (मुख्यमंत्री) का यह कहना कि विशाखापत्तनम राजधानी बनने जा रही है, जबकि सुप्रीम कोर्ट आंध्र प्रदेश की राजधानी के मुद्दे पर सुनवाई कर रहा है, यह अदालत की अवमानना होगी.’

द न्यूज मिनट के मुताबिक, टीडीपी के प्रवक्ता पट्टाभि राम ने कहा कि जगन की घोषणा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ है. मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है. ऐसे में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री कैसे एक ऐसे मुद्दे पर बयान दे सकते हैं, जो न्यायाधीन है.

विशाखापत्तनम को आंध्र प्रदेश की नई राजधानी बनाने की घोषणा पर मिली जुली प्रतिक्रिया मिली है. एक धड़े ने जहां इसे सही फैसला करार दिया है, वहीं अन्य ने शहर में पहले से ही मौजूदा सामाजिक मुद्दों, प्रदूषण और यातायात जाम की चुनौतियों को लेकर चिंता जताई है.

कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीआरईडीएआई) की विशाखापत्तनम इकाई के पूर्व अध्यक्ष जीवी सत्यनारायण ने कहा कि विशाखापत्तनम महानगर है और यहां पर सभी आधारभूत संरचनाएं हैं, इसलिए यह अच्छा फैसला है.

उन्होंने कहा, ‘विशाखापत्तनम में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, सड़क, बंदरगाह संपर्क जैसे जरूरी आधारभूत संरचनाएं हैं, जो राजधानी शहर के लिए आवश्यक है.’

भारतीय प्रशासनिक सेवा के अवकाश प्राप्त अधिकारी और केंद्र सरकार के पूर्व सचिव ईएएस शर्मा ने कहा कि वह विकेंद्रीकरण का स्वागत करेंगे. उन्होंने कहा, ‘विशाखापत्तनम को राजधानी बनाने से यहां के नागरिकों पर बहुत अधिक दबाव बढ़ेगा. इससे पानी की कमी होगी, प्रदूषण बढ़ेगा और किराये में वृद्धि होगी.’

विशाखापत्तन चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष पी. कृष्ण प्रसाद ने कहा कि शहर अच्छी तरह विकसित है और राजधानी के लिए सबसे मुफीद है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)