मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, गोसेवा करने वालों के लिए टैक्स में छूट का प्रावधान होगा.
बीते अगस्त में शिशुओं की मौत को लेकर चर्चा में आया गोरखपुर का बाबा राघवदास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज फिर ख़बरों में है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार अस्पताल में पिछले हफ्ते 48 घंटों (बुधवार आधी रात से शुक्रवार आधी रात) के भीतर 30 बच्चों की जान गयी हैं. इनमे से 15 मौतें नियो-नेटल आईसीयू (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) और 15 पीडियाट्रिक्स आईसीयू (बाल-चिकित्सा इकाई) में हुई हैं.
गौरतलब है कि गुरुवार को 25 बच्चे नियो-नेटल आईसीयू और 66 बच्चे पीडियाट्रिक्स आईसीयू में भर्ती हुए थे. गुरुवार आधी रात से शुक्रवार आधी रात के बीच नियो-नेटल आईसीयू में 10 बच्चे भर्ती हुए, और 8 की मौत हुई, वहीं पीडियाट्रिक्स आईसीयू में 36 बच्चे भर्ती हुए और 10 बच्चों की मौत हो गई.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक मेडिकल कॉलेज के एक प्रोफेसर ने इन मौतों की पुष्टि की है. कम्युनिटी मेडीसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. डीके श्रीवास्तव ने बताया, ’15 बच्चे एक महीने से भी कम उम्र के थे. बाकी 15, जिनकी उम्र एक महीने से ज़्यादा थी की मौत इन्सेफेलाइटिस से हुई है. बाकी मौतों की अलग-अलग वजहें रहीं.’
गौरतलब है कि गोरखपुर का बीआरडी मेडिकल कॉलेज अव्यवस्थाओं के कारण लगातार चर्चा में बना हुआ है. अगस्त माह में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में नवजात शिशुओं सहित 415 और उस समय जारी आंकड़ें के अनुसार तब तक साल 2017 में कुल 1,269 बच्चों की जान गयी थी. सितंबर माह में 433 बच्चों की मौत हुई. फिर अक्टूबर महीने में भी 15 दिनों के अंदर 231 बच्चों की मौत की ख़बर आई थी.
यह भी पढ़ें: जो मेडिकल कॉलेज ख़ुद बीमार है वो बच्चों का इलाज क्या करेगा?
द वायर द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार बीआरडी मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था में कोई सुधार नहीं होने पर गोरखपुर के ज़िलाधिकारी ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा है, ‘कॉलेज में कार्य संपादन हेतु कोई स्पष्ट व्यवस्था सुनिश्चित नहीं है जिसके कारण प्रत्येक व्यक्ति कार्य दायित्व से मुक्त होकर दूसरे पर उत्तरदायित्व डालना उचित समझता है.’
अगस्त की घटना में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत को सरकार और प्रशासन द्वारा पहले ही दिन से ही नकारा जा रहा था. सरकार ने विभिन्न जांच समितियों का हवाला देते हुए कहा कि ऑक्सीजन की कमी से किसी की भी मौत नहीं हुई.
फिर भी इस मामले में भ्रष्टाचार, प्राइवेट प्रैक्टिस, कर्तव्य पालन में लापरवाही के आरोप में मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य, उनकी पत्नी, दो चिकित्सकों और पांच अन्य लोगों के ख़िलाफ़ सदोष मानव वध की भी धारा लगाई गई है. ये सभी इस वक्त जेल में हैं और निचली अदालत द्वारा इनकी जमानत भी ख़ारिज कर दी गयी.
घटना के बाद बीआरडी मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों व पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी, कार्यरत चिकित्सा कर्मियों को समय से वेतन नहीं मिलने, ज़रूरी उपकरणों की कमी और बदइंतज़ामी की बात भी सामने आई थीं.
4 नवंबर को पिछले हफ्ते हुई शिशुओं की मृत्यु की ख़बर आने के बाद अस्पताल में भर्ती कुछ बच्चों के परिजनों ने डॉक्टरों की लापरवाही के बारे अपनी परेशानी साझा की है.
सुरजीत तीन साल के बच्चे के पिता हैं, जो एक महीने से अपने बीमार बच्चे के इलाज के लिए अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन डॉक्टर अब तक बच्चे की बीमारी की वजह नहीं पता लगा पाए हैं.
अस्पताल की स्थिति के बारे में उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, ‘मेरे 3 साल के बच्चे को बुखार है. मैं महीने भर से अस्पताल के चक्कर लगा रहा हूं. मैं समझ ही नहीं पा रहा हूं कि जब दवा असर नहीं कर रही है, तो ये डॉक्टर क्या कर रहे हैं. मेरा बेटा एक महीने से बीमार है लेकिन ये डॉक्टर उसका कारण ही नहीं बता पा रहे हैं.’
वहीं राहुल साहनी ने बताया, ‘मैं तीन दिन से यहां हूं. मेरे बेटे को निमोनिया है और डॉक्टरों की दी गयी दवा असर ही नहीं दिखा रही है. साथ ही, ट्रीटमेंट भी टाला जा रहा है.’
यह भी पढ़ें: जब सांप्रदायिक एजेंडा ‘सुशासन’ का मुखौटा पहनता है, तब गोरखपुर त्रासदी नियति बन जाती है
वहीं बच्चों की लगातार मौत पर समाजवादी पार्टी ने आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा है. एएनआई से बात करते हुए समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील यादव ने कहा, ‘ये गोरखपुर में पहला हादसा नहीं है. इसके बावजूद मौजूदा सरकार ने इस मामले में कोई एक्शन नहीं लिया है, न ही किसी जांच का आदेश दिया है. ये जानना बहुत दुखद है कि सरकार हाथ पर हाथ धरे आम आदमी का दर्द नहीं समझ पा रही है.’
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ पर तंज़ कसते हुए सुनील ने यह भी कहा, ‘राज्य के मंदिरों-मठों में घूमने के बजाय आदित्यनाथ को बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों के बारे में गंभीर हो जाना चाहिए और उनके लिए उचित सुविधाओं से लैस अस्पताल और सेंटर बनवाने चाहिए.
गोरखपुर में बच्चों की मौत की ख़बर पर सरकार की ओर से अब तक कोई बयान नहीं आया है.
… लेकिन हर ज़िले में बनेगी गौशाला
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का गो सेवा और गाय से प्रेम किसी से छुपा नहीं है. 5 नवंबर को लखनऊ को हुए एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने घोषणा की कि जल्द ही राज्य के 75 जिलों में गौशाला खोली जायेंगी.
एनडीटीवी की ख़बर के मुताबिक आदित्यनाथ ने कहा कि अगर भारतीय संस्कृति को बचाना है तो गाय, गंगा और तुलसी को बचाना होगा. साथ ही सरकार हर जिले में गौशाला खोलेगी, लेकिन उसका संचालन जनता को ही करना पड़ेगा.
उन्होंने यह भी कहा कि देश की जनसंख्या सवा सौ करोड़ है जबकि गाय केवल 3 या 4 करोड़. गोरक्षा, गो संवर्धन भारतीयों के लिए एक बड़ा मुद्दा रहा है.
नवभारत टाइम्स के मुताबिक मुख्यमंत्री ने कहा कि गौशाला के लिए सर्वे किया जा चुका है. जल्द ही इनका संचालन प्रदेश के सभी जिलों में होगा.
गोसेवकों को मिलेगी टैक्स में छूट
गोसेवा की कड़ी में राज्य सरकार केंद्र से गो सेवा करने वालों के लिए टैक्स में छूट देने का प्रस्ताव लाने की भी सोच रही है. केंद्र को प्रस्ताव दिया जाएगा कि जो प्राइवेट कंपनियां, व्यक्तिगत या संगठन गायों की सेवा के लिए दान करते हैं उन्हें टैक्ट छूट दी जाए.