बजट 2023: मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का सबसे कम मनरेगा आवंटन

2023 के आम बजट में मनरेगा आवंटन में भारी कमी करते हुए इसके लिए 60,000 करोड़ रुपये दिए गए हैं. हालांकि, वित्त वर्ष 2023 के लिए संशोधित अनुमान 89,400 करोड़ रुपये था, जो 73,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमान से अधिक था.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

2023 के आम बजट में मनरेगा आवंटन में भारी कमी करते हुए इसके लिए 60,000 करोड़ रुपये दिए गए हैं. हालांकि, वित्त वर्ष 2023 के लिए संशोधित अनुमान 89,400 करोड़ रुपये था, जो 73,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमान से अधिक था.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: बुधवार को पेश किए गए इस साल के बजट में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के लिए आवंटन में आश्चर्यजनक रूप से भारी कमी करते हुए इसे 60,000 करोड़ रुपये किया गया. ऐसा इस तथ्य के बावजूद है कि वित्त वर्ष 2023 के लिए संशोधित अनुमान 89,400 करोड़ रुपये था, जो 73,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमान से अधिक था.

नरेंद्र मोदी सरकार के इस पूरे कार्यकाल में इस साल का आवंटन पिछले चार बजटों की तुलना में सबसे कम  है. गौर करने वाला पहलू यह भी है कि कोविड-19 महामारी के दौरान ग्रामीण गारंटी योजना के तहत मांग में भारी वृद्धि हुई है.

अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि मनमोहन सिंह के तहत यूपीए सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना ने महामारी के दौरान आय के नुकसान का 80% पूरा किया. इसी सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि सभी मांगें पूरी नहीं की जा सकीं: सर्वेक्षण किए गए ब्लॉकों में 39% परिवारों को मनरेगा में एक भी दिन का काम नहीं मिल सका.

पर्याप्त धन की कमी अतीत में भी एक समस्या रही है, जिसे लेकर अध्ययन बताते है कि इसके चलते श्रमिकों को भुगतान में देरी हो रही थी.

बजट से एक दिन पहले जारी एक बयान में पीपुल्स एक्शन फॉर एम्प्लॉयमेंट गारंटी ने कहा कि मौजूदा कमी को पूरा करने के लिए महंगाई के आधार पर वेतन में संशोधन किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित हो कि काम की मांग पूरी हो. वित्त वर्ष 2023-24 के लिए न्यूनतम बजट 2.72 लाख करोड़ रुपये होना चाहिए.

हालांकि वित्त मंत्रालय इसकी विपरीत दिशा में ही आगे बढ़ रहा है.

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