एसबीआई के आंकड़ों में विसंगति, खरीदे गए चुनावी बॉन्ड की तुलना में भुनाए गए बॉन्ड की रकम ज़्यादा

निर्वाचन आयोग द्वारा गुरुवार को जारी चुनावी बॉन्ड के आंकड़ों के अनुसार, राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए बॉन्ड की कुल राशि  12,769 करोड़ रुपये से अधिक है, जबकि खरीदे गए बॉन्ड्स कुल 12,155 करोड़ रुपये के थे.

11 वर्षों में भारत में ईसाइयों पर हुए हमलों में चार गुना वृद्धि

सिविल सोसायटी संगठन ‘यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम’ द्वारा जारी नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि मौजूदा वर्ष 2023 के पहले 8 महीनों में भारत में ईसाइयों के खिलाफ 525 हमले हुए हैं. मणिपुर में हिंसा, जहां पिछले चार महीनों में सैकड़ों चर्च नष्ट कर दिए गए हैं, को देखते हुए इस वर्ष यह संख्या विशेष रूप से अधिक होने की संभावना है.

भारत के राज्य मानवाधिकार आयोगों में दो में से क़रीब एक पद ख़ाली: रिपोर्ट

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2022 बताती है कि भारत के 25 राज्य मानवाधिकार आयोगों में से अधिकांश में मामलों की जांच करने के लिए स्टाफ तक नहीं है, जिसके चलते मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों की जांच और समाधान खोजने की उनकी क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित है.

उत्तर प्रदेश में युवाओं की श्रम बल भागीदारी दर में पिछले 3 वर्षों में बड़ी गिरावट: सीएमआईई डेटा

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग द इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि राज्य में युवा श्रम भागीदारी दर कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद से लगातार गिर रही है. 20-24 साल के युवाओं के बीच रोज़गार दर में भारी गिरावट आई है.

जनता तय करे कि ‘यूपी में का बा’ के लिए पुलिस का नोटिस देना सही है या नहीं: नेहा सिंह राठौड़

लोकप्रिय भोजपुरी गायिका नेहा सिंह राठौड़ के चर्चित 'यूपी में का बा' गीत का सीज़न-2 बताए गए एक नए गीत में कानपुर देहात में अतिक्रमण विरोधी अभियान में हुई मां-बेटी की मौत को लेकर तंज़ किया गया है. यूपी पुलिस ने उन्हें नोटिस भेजते हुए कहा है कि गीत के कारण समाज में वैमनस्य तथा तनाव की स्थिति उत्पन्न हुई है.

बजट 2023: मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का सबसे कम मनरेगा आवंटन

2023 के आम बजट में मनरेगा आवंटन में भारी कमी करते हुए इसके लिए 60,000 करोड़ रुपये दिए गए हैं. हालांकि, वित्त वर्ष 2023 के लिए संशोधित अनुमान 89,400 करोड़ रुपये था, जो 73,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमान से अधिक था.

भाजपा के अमित मालवीय के रिपोर्ट करने पर बिना किसी सवाल के पोस्ट हटा देता है इंस्टाग्राम

एक्सक्लूसिव: इंस्टाग्राम ने @cringearchivist नाम के एकाउंट की सात पोस्ट्स को बिना कोई वेरिफिकेशन किए सिर्फ इस कारण से हटा दिया क्योंकि इसे भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने रिपोर्ट किया था, जिन्हें मेटा के विवादित 'क्रॉसचेक प्रोग्राम' के तहत विशेषाधिकार प्राप्त हैं.

इंस्टाग्राम ने योगी आदित्यनाथ के मंदिर संबंधी व्यंग्यात्मक पोस्ट को ‘न्यूडिटी’ कहकर हटाया

इंस्टाग्राम ने @cringearchivist नाम के एकाउंट द्वारा साझा की गई जिस व्यंग्यात्मक पोस्ट को 'नग्नता और यौन गतिविधि' संबंधी दिशानिर्देशों के उल्लंघन का हवाला देते हुए हटाया है, उसमें अयोध्या में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मंदिर बनाने वाले प्रभाकर मौर्य आदित्यनाथ की प्रतिमा की आरती करते नज़र आ रहे हैं.

नरेंद्र मोदी ने कृषि क़ानून वापस ले लिए, पर भाजपा किसान विरोधी बयान कब वापस लेगी?

जब से किसानों ने कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन शुरू किया था, तब ही से भाजपा नेताओं से लेकर केंद्रीय मंत्रियों तक ने किसानों को धमकाने और उन्हें आतंकी, खालिस्तानी, नक्सली, आंदोलनजीवी, उपद्रवी जैसे संबोधन देकर उन्हें बदनाम करने में कोई कसर बाक़ी नहीं रखी थी.

यूपी पुलिस के फेक एनकाउंटर मामलों को दबाया गया, एनएचआरसी ने भी नियमों का उल्लंघन किया: रिपोर्ट

नागरिक समाज संगठनों द्वारा मार्च 2017 और मार्च 2018 के बीच में उत्तर प्रदेश में पुलिस एनकाउंटर की 17 घटनाओं का अध्ययन किया गया है, जिसमें 18 लोगों की मौत हुई थी. इसमें से किसी में भी किसी पुलिसकर्मी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इन मामलों की जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी की थी. इनमें से 12 मामलों में आयोग ने पुलिस को क्लीनचिट दे दी है.

भारत की जेलों में महिला क़ैदियों की ज़िंदगी केवल शोक के लिए अभिशप्त है…

जेलें क़ैदियों को उनके अपराध के आधार पर वर्गीकृत कर सकती हैं, लेकिन जेलों, ख़ासतौर पर महिला जेलों में वर्गीकरण सिर्फ अपराधों से तय नहीं होता है. यह सदियों की परंपराओं और अक्सर धर्म द्वारा स्थापित नैतिक लक्ष्मण रेखा लांघने से जुड़ा है. ऐसे में भारतीय महिलाएं जब जेल जाती हैं, तब वे अक्सर जेल के भीतर एक और जेल में दाख़िल होती हैं.

वे सात कारण, जो बताते हैं कि बलात्कार के मामले में मौत की सज़ा क्यों कारगर नहीं है

भारत जैसे देश में, जहां बलात्कार के मामलों में अदालत की सुनवाई आरोपी के बजाय पीड़ित के लिए ज्यादा मुश्किल भरी होती हैं, वहां कुछ चर्चित मामलों में सज़ा कड़ी कर देने से किसी और को ऐसा करने से रोकना मुश्किल है. ऐसे अधिकतर मामले या तो अदालतों की फाइलों में दबे पड़े हैं या सबूतों के अभाव में ख़ारिज कर दिए जाते हैं.