अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के अध्यक्ष गौतम अडानी ने कहा कि असाधारण परिस्थितियों के मद्देनज़र कंपनी के निदेशक मंडल ने फैसला किया है कि एफपीओ पर आगे बढ़ना नैतिक रूप से ठीक नहीं होगा. निवेशकों का हित हमारे लिए सर्वोपरि है और उन्हें किसी तरह के संभावित नुकसान से बचाने के लिए निदेशक मंडल ने एफपीओ को वापस लेने का फैसला किया है.
नई दिल्ली: अडानी एंटरप्राइजेज ने अपने 20,000 करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) को वापस लेने का फैसला किया है. इसकी घोषणा कंपनी ने बुधवार (1 फरवरी) को की. गौरतलब है कि यह फैसला कंपनी द्वारा अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में लगाए गए उन आरोपों के बीच लिया गया है, जिनमें मूल कंपनी अडानी समूह द्वारा शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी की बात कही गई है.
इस बीच, गुरुवार की सुबह आईं रिपोर्ट्स में बताया गया कि सिटीग्रुप इंक ने गौतम अडानी की कंपनियों के समूह की प्रतिभूतियों को ऋण सुरक्षा के तौर पर स्वीकार करना बंद कर दिया है. ऐसा क्रेडिट सुइस ग्रुप एजी द्वारा लिए गए ऐसे ही एक फैसले के तुरंत बाद हुआ.
अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के अध्यक्ष गौतम अडानी ने कहा, ‘असाधारण परिस्थितियों के मद्देनजर कंपनी के निदेशक मंडल ने फैसला किया है कि एफपीओ पर आगे बढ़ना नैतिक रूप से ठीक नहीं होगा. निवेशकों का हित हमारे लिए सर्वोपरि है और उन्हें किसी तरह के संभावित नुकसान से बचाने के लिए निदेशक मंडल ने एफपीओ को वापस लेने का फैसला किया है.’
Gautam Adani ‘Our balance sheet is very healthy with strong cashflows and secure assets, and we have an impeccable track record of servicing our debt. This decision will not have any impact on our existing operations & future plans’ @CNBCTV18Live @CNBCTV18News #AdaniEnterprises https://t.co/m0ESjpx4Nh
— Shereen Bhan (@ShereenBhan) February 1, 2023
अडानी ने कहा कि बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण उनके समूह की प्रमुख कंपनी को पूर्ण अभिदान मिलने के बावजूद एफपीओ को वापस लेने का फैसला किया गया.
अडानी ने निवेशकों को संबोधित करते हुए कहा, ‘एफपीओ को पूर्ण अभिदान मिलने के बाद कल उसे वापस लेने के फैसले से कई लोगों को हैरानी हुई होगी, लेकिन कल बाजार में आए उतार-चढ़ाव को देखते हुए निदेशक मंडल को लगता है कि एफपीओ को जारी रखना नैतिक रूप से सही नहीं होगा.’
उन्होंने कहा कि मौजूदा परिचालनों और भावी योजनाओं पर इस फैसले का कोई असर नहीं होगा.
अडानी ने कहा, ‘हम परियोजनाओं को समय पर पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे.’ उन्होंने कहा कि कंपनी की बुनियाद मजबूत है.
उन्होंने कहा, ‘हमारा बही-खाता ठोस और परिसंपत्तियां मजबूत हैं. हमारा कर पूर्व आय (ईबीआईटीडीए) का स्तर और नकदी प्रवाह काफी मजबूत रहा है और ऋण चुकाने का हमारा रिकॉर्ड बेदाग है. हम लंबी अवधि के मूल्य निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे और वृद्धि के कार्य आंतरिक संसाधनों द्वारा किए जाएंगे.’
अडानी ने कहा कि बाजार के स्थिर होने के बाद हम पूंजी बाजार रणनीति की समीक्षा करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘हमारा ध्यान ‘ईएसजी’ (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) पर अधिक रहेगा और हमारा हर व्यापार जिम्मेदाराना तरीके से बढ़ता रहेगा. हमारे कामकाजी तरीकों को सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय साझेदारों ने स्वीकृत किया है, जो हमारी वैश्विक संस्थाओं से जुड़े हैं.’
हालांकि, कंपनी के एफपीओ को मंगलवार को पूर्ण अभिदान मिल गया था.
बीएसई के आंकड़ों के अनुसार, अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ के तहत 4.55 करोड़ शेयरों की पेशकश की गई थी, जबकि इस पर 4.62 करोड़ शेयरों के लिए आवेदन मिले थे.
गैर-संस्थागत निवेशकों के लिए आरक्षित 96.16 लाख शेयरों पर करीब तीन गुना बोलियां मिली थीं. वहीं, पात्र संस्थागत खरीरदारों के खंड के 1.28 करोड़ शेयरों पर पूर्ण अभिदान मिला था. हालांकि, एफपीओ को लेकर खुदरा निवेशकों और कंपनी के कर्मचारियों की प्रतिक्रिया ठंडी रही थी.
गौरतलब है कि पिछले पांच कारोबारी सत्रों में समूहों की कंपनियों का सामूहिक बाजार पूंजीकरण सात लाख करोड़ रुपये घट गया है. हिंडनबर्ग रिसर्च की पिछले हफ्ते आई रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में 90 अरब डॉलर से अधिक की गिरावट आई है.
एफपीओ एक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा एक कंपनी, जो पहले से ही एक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है, निवेशकों या मौजूदा शेयरधारकों, आमतौर पर प्रमोटरों को नए शेयर जारी करती है. एफपीओ का उपयोग कंपनियां अपने इक्विटी आधार में विविधता लाने के लिए करती हैं.
एक कंपनी आईपीओ की प्रक्रिया से गुजरने के बाद एफपीओ लाती है, और इसके जरिये कंपनी जनता के लिए अपने अधिक शेयर उपलब्ध कराने या किसी ऋण का भुगतान करने या अपने लिए पूंजी जुटाने के लिए करती है.
सेबी शेयरों में गिरावट, संभावित अनियमितताओं की जांच करेगा
वहीं, एक अलग घटनाक्रम में समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अज्ञात स्रोतों के हवाले से बताया कि भारत का बाजार नियामक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) अडानी समूह के शेयरों में आई गिरावट की जांच कर रहा है और एफपीओ में किसी भी ‘संभावित अनियमितता’ का पता लगा रहा है.
रॉयटर्स के अनुसार, सेबी शेयरों में गिरावट की जांच कर रहा है. वह अडानी समूह के शेयरों की कीमत में किसी भी संभावित हेरफेर की जांच करेगा, साथ ही मंगलवार को संपन्न हुई अडानी एंटरप्राइजेज की 20,000 करोड़ रुपये की शेयर बिक्री में संभावित अनियमितताओं की भी जांच करेगा. यह वही एफपीओ है, जिसे अडानी ने वापस ले लिया.
रॉयटर्स के अनुसार, अडानी एंटरप्राइजेज के शेयरों में बुधवार को 28 फीसदी की गिरावट आई, जिससे हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से घाटा 18 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया. अन्य कंपनी, अडानी पोर्ट और सेज में 19 फीसदी की कमी देखी गई.
समाचार एजेंसी के मुताबिक, अडानी समूह और संबंधित संस्थाओं के बीच लेन-देन के हिंडनबर्ग के आरोपों पर भी सेबी गौर करेगा.
अडानी विवाद मामले में मुख्य आर्थिक सलाहकार का टिप्पणी से इनकार
इस बीच, सरकार ने बुधवार को अडानी समूह पर हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए धोखाधड़ी के आरोपों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि वह निजी कंपनी के मामलों पर टिप्पणी नहीं करती है.
एनडीटीवी के मुताबिक, आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने बजट के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, ‘हम किसी कंपनी विशेष से संबंधित मुद्दों पर प्रतिक्रिया नहीं देते हैं.’
इससे पहले मंगलवार को मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन ने अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में गिरावट के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया था.
संसद में आर्थिक समीक्षा पेश किए जाने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘हम आर्थिक समीक्षा में किसी एक कंपनी के बारे में बात नहीं करते.’
नागेश्वरन ने अडानी समूह संकट के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘कंपनी क्षेत्र की बात करें तो कुल मिलाकर उनका कर्ज कम हुआ है और बही-खाता मजबूत है. किसी एक कंपनी समूह के साथ क्या हुआ है, यह बाजार और कॉरपोरेट समूह के बीच का मामला है.’
मालूम हो कि अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे, जिसके बाद समूह की कंपनियों के शेयरों में पिछले कुछ दिन में भारी गिरावट आई है. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.
रिपोर्ट सामने आने के बाद अडानी समूह ने बीते 26 जनवरी को कहा था कि वह अपनी प्रमुख कंपनी के शेयर बिक्री को नुकसान पहुंचाने के प्रयास के तहत ‘बिना सोचे-विचारे’ काम करने के लिए हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ ‘दंडात्मक कार्रवाई’ को लेकर कानूनी विकल्पों पर गौर कर रहा है.
इसके जवाब में हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा था कि वह अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह कायम है. कंपनी ने यह भी कहा था कि अगर अडानी समूह गंभीर है, तो उसे अमेरिका में भी मुकदमा दायर करना चाहिए, जहां हम काम करते हैं. हमारे पास कानूनी प्रक्रिया के दौरान मांगे जाने वाले दस्तावेजों की एक लंबी सूची है.
बीते 30 जनवरी को अडानी समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के जवाब में 413 पृष्ठ का ‘स्पष्टीकरण’ जारी किया है. अडानी समूह ने इन आरोपों के जवाब में कहा था कि यह हिंडनबर्ग द्वारा भारत पर सोच-समझकर किया गया हमला है. समूह ने कहा था कि ये आरोप और कुछ नहीं सिर्फ ‘झूठ’ हैं.
समूह ने कहा था, ‘यह केवल किसी विशिष्ट कंपनी पर एक अवांछित हमला नहीं है, बल्कि भारत, भारतीय संस्थाओं की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता, तथा भारत की विकास गाथा और महत्वाकांक्षाओं पर एक सुनियोजित हमला है.’
अडानी समूह के इस जवाब पर पलटवार करते हुए हिंडनबर्ग समूह की ओर से बीते 31 जनवरी को कहा गया था कि धोखाधड़ी को ‘राष्ट्रवाद’ या ‘कुछ बढ़ा-चढ़ाकर प्रतिक्रिया’ से ढका नहीं जा सकता. भारत एक जीवंत लोकतंत्र और उभरती महाशक्ति है. अडानी समूह ‘व्यवस्थित लूट’ से भारत के भविष्य को रोक रहा है.
हिंडनबर्ग की ओर से कहा गया था, ‘हम असहमत हैं. स्पष्ट होने के लिए हम मानते हैं कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और एक रोमांचक भविष्य के साथ एक उभरती हुई महाशक्ति है. हम यह भी मानते हैं कि भारत का भविष्य अडानी समूह द्वारा रोका जा रहा है, जिसने देश को व्यवस्थित रूप से लूटते हुए खुद को राष्ट्रवाद के आवरण में लपेट लिया है.’
हिंडनबर्ग रिसर्च ने प्रतिक्रिया में कहा कि धोखाधड़ी, धोखाधड़ी ही होती है चाहे इसे दुनिया के सबसे अमीर आदमी ने अंजाम क्यों न दिया हो.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अरबपति गौतम अडानी द्वारा नियंत्रित समूह की प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों के पास ‘पर्याप्त ऋण’ था, जिसने पूरे समूह को ‘अनिश्चित वित्तीय स्थिति’ में डाल दिया है.
साथ ही दावा किया गया था कि उसके दो साल के शोध के बाद पता चला है कि 17,800 अरब रुपये मूल्य वाले अडानी समूह के नियंत्रण वाली मुखौटा कंपनियां कैरेबियाई और मॉरीशस से लेकर यूएई तक में हैं, जिनका इस्तेमाल भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी को अंजाम देने के लिए किया गया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)