दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित फिल्मकार के. विश्वनाथ का निधन

बतौर साउंड आर्टिस्ट शुरुआत करने वाले फिल्म निर्देशक के. विश्वनाथ ने अपने छह दशक लंबे करिअर में तेलुगू सिनेमा के अलावा तमिल और हिंदी फिल्मों में भी काफी लोकप्रियता हासिल की थी. उन्हें 1992 में पद्म श्री, पांच बार राष्ट्रीय पुरस्कार, 20 नंदी पुरस्कार और लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार सहित 10 फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिल चुके थे.

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फिल्मकार के. विश्वनाथ. (फोटो साभार: विकिपीडिया)

बतौर साउंड आर्टिस्ट शुरुआत करने वाले फिल्म निर्देशक के. विश्वनाथ ने अपने छह दशक लंबे करिअर में तेलुगू सिनेमा के अलावा तमिल और हिंदी फिल्मों में भी काफी लोकप्रियता हासिल की थी. उन्हें 1992 में पद्म श्री, पांच बार राष्ट्रीय पुरस्कार, 20 नंदी पुरस्कार और लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार सहित 10 फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिल चुके थे.

फिल्मकार के. विश्वनाथ. (फोटो साभार: विकिपीडिया)

हैदराबाद: दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित मशहूर फिल्मकार कसीनथुनी विश्वनाथ (के. विश्वनाथ) का हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. वह 92 वर्ष के थे.

सूत्रों ने बताया कि विश्वनाथ काफी समय से बीमार थे और उन्हें उम्र संबंधी पेरशानियां थीं. उन्होंने बृहस्पतिवार देर रात अस्पताल में अंतिम सांस ली.

‘कलातपस्वी’ के नाम से मशहूर विश्वनाथ का जन्म 19 फरवरी 1930 में आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में हुआ था.

तेलुगू सिनेमा के अलावा तमिल और हिंदी फिल्मों में भी उन्होंने काफी लोकप्रियता हासिल की थी. वह दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले 48वें शख्स थे. इस पुरस्कार को भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान माना जाता है. उन्हें 2016 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था.

बतौर साउंड आर्टिस्ट अपने करिअर की शुरुआत करने वाले विश्वनाथ ने ‘शंकराभरणम’, ‘सागर संगमम’, ‘स्वाति मुत्यम’, ‘सप्तपदी’, ‘कामचोर’, ‘संजोग’ और ‘जाग उठा इंसान’ जैसी हिट फिल्मों का निर्देशन किया, जिन्होंने कई पुरस्कार भी अपने नाम किए.

अपने शानदार करिअर में उन्हें 1992 में पद्म श्री, पांच बार राष्ट्रीय पुरस्कार, 20 नंदी पुरस्कार (आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा दिए जाने वाला पुरस्कार) और लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार सहित 10 फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिले.

विश्वनाथ ने छह दशक के अपने करिअर में करीब 50 फिल्में बनाईं. तेलुगू फिल्म उद्योग के एक प्रसिद्ध फिल्म निर्माता होने के साथ ही उन्होंने तमिल और हिंदी सिनेमा के लिए भी काम किया.

हिंदी सिनेमा की बात करें तो उन्होंने सरगम (1979), कामचोर (1982), शुभकामना (1983), जाग उठा इंसान (1984), सुर संगम (1985), संजोग (1985), ईश्वर (1989), संगीत (1992) और धनवान (1993) जैसी फिल्मों का निर्माण किया था.

इनमें से कुछ फिल्में, जिसमें अभिनेत्री जया प्रदा थीं, बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही हैं. जया प्रदा ने उनके निधन के बाद सोशल मीडिया पर उनकी साथ कुछ तस्वीरें साझा कर उन्हें याद किया.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘मेरे गुरु महान दिग्गज निर्देशक के. विश्वनाथ जी नहीं रहे. सुनकर गहरा सदमा लगा. आपने हमेशा मेरा मार्गदर्शन किया सिरि सिरि मुव्वा, संजोग से लेकर सरगम तक कई फिल्मों में आपके साथ काम करने का मौका मिला. इर्श्वर उनकी आत्मा को शांति दे और उनके परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना! ॐ शांति.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने अपने निर्देशन की शुरुआत ‘आत्म गौरवम’ से की, जिसमें अक्किनेनी नागेश्वर राव ने अभिनय किया था. इन फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए नंदी पुरस्कार जीता था.

इसके बाद उन्होंने ‘चेल्लेली कपुरम’, ‘ओ सीता कथा’, ‘जीवन ज्योति’ और ‘शारदा’ जैसी फिल्मों का निर्माण किया.

विश्वनाथ ने ‘स्वराभिषेकम’ (जिसका उन्होंने निर्देशन भी किया था), ‘पांडुरंगडु’, ‘नरसिम्हा नायडू’, ‘लक्ष्मी नरसिम्हा’ और ‘सीमासिम्हम’, ‘कुरुथिपुनल’, ‘कक्कई सिरगिनिले’ और ‘भगवती’ जैसी फिल्मों में अभिनय भी किया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, निर्देशक ने अपनी फिल्मों में जाति व्यवस्था, विकलांगता, अस्पृश्यता, लैंगिक भेदभाव, दहेज और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों जैसे विषयों को उठाया था.

उनकी कुछ लोकप्रिय फिल्मों में ‘कलाम मारिंदी’, ‘सिरी सिरी मुव्वा’, ‘शंकरभरणम’, ‘श्रुतिलायलु’, ‘स्वर्णकमलम’, ‘सूत्रधारुलु’, ‘आपदबंधुवुडु’, ‘स्वाति किरणम’ और ‘सुभा संकल्पम’ शामिल हैं.

उनकी फिल्म ‘स्वाति मुथ्यम’ को 1986 में ऑस्कर के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में भी चुना गया था. वह कमल हासन, जया प्रदा, ऋषि कपूर, अनिल कपूर, वनिश्री और चिरंजीवी सहित फिल्म उद्योगों के प्रमुख कलाकारों के साथ काम कर चुके थे.

के. विश्वनाथ की समीक्षकों द्वारा प्रशंसित ‘सागर संगमम’, ‘स्वाति मुथ्यम’ और ‘शुभ संकल्पम’ जैसी फिल्मों में काम कर चुके कमल हसन ने कहा, ‘भविष्य में लोग सोच सकते हैं कि मैं पुरानी यादों को अतिश्योक्तिपूर्ण तरीके से कह रहा हूं. इसलिए मैंने इसे रिकॉर्ड पर रखा है. फिल्म उद्योग के लिए मिस्टर के. विश्वनाथ जैसी दूसरी प्रतिभा को पैदा कर पाना बहुत मुश्किल होने वाला है.’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन हमें कोशिश जरूर करना चाहिए. हमारे उपर के. विश्वनाथ जैसे गुरुओं द्वारा सौंपे गए कर्तव्य का बोझ है. ब्रावो सर.’

राजनीति और फिल्म जगत की हस्तियों ने जताया शोक

पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने ट्वीट किया, ‘प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक के. विश्वनाथ के निधन के बारे में सुनकर बेहद दुखी हूं.’

उन्होंने कहा, ‘फिल्म निर्माता के तौर पर विश्वनाथ ने अपनी फिल्मों को वैश्विक मंच पर पहचान दिलवाई. भगवान उनकी आत्मा को शांति दे. ओम शांति.’

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक और कलातपस्वी के. विश्वनाथ के पार्थिव शरीर को आज सुबह हैदराबाद में उनके आवास पर श्रद्धांजलि अर्पित की.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को प्रसिद्ध फिल्मकार के विश्वनाथ के निधन पर शोक व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि विश्वनाथ सिनेमा जगत के एक ऐसे दिग्गज थे, जिन्होंने खुद को रचनात्मक और बहुमुखी निर्देशक के रूप में स्थापित किया.

प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘के. विश्वनाथ के निधन से दुखी हूं. वह सिनेमा जगत के दिग्गज थे, जो खुद को एक रचनात्मक और बहुमुखी निर्देशक के रूप में अलग करते थे. उनकी फिल्मों ने विभिन्न शैलियों को कवर किया और दशकों तक दर्शकों को रोमांचित किया. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना.’

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने भी विश्वनाथ के निधन पर शोक व्यक्त किया.

मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में राव के हवाले से कहा गया है, ‘विश्वनाथ प्रतिष्ठित फिल्म निर्देशक थे, जिन्होंने साधारण कहानियों को अपनी अद्भुत प्रतिभा के दम पर बड़े पर्दे पर एक ‘क्लासिक फिल्म’ के रूप में पेश किया.’

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने कहा, ‘विश्वनाथ तेलुगू संस्कृति व भारतीय कलाओं का आईना हैं. उनके निर्देशन में बनी फिल्मों ने तेलुगू फिल्म उद्योग को अद्वितीय सम्मान दिलाया. वह एक कलाकार के रूप में तेलुगू भाषी लोगों के दिलों में हमेशा रहेंगे.’

अभिनेता चिरंजीवी ने ट्वीट किया, ‘सदमे में हूं. के. विश्वनाथ का जाना भारतीय/तेलुगू सिनेमा और मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से एक अपूरणीय क्षति है. कई बेहतरीन और कालजयी फिल्में देने वाले महान फिल्मकार हमेशा (यादों में) जिंदा रहेंगे. ओम शांति.’

फिल्म उद्योग से जुड़े कई अन्य लोगों ने भी विश्वनाथ के निधन पर शोक जताया.

अभिनेता नार्गाजुन ने ट्विटर पर पोस्ट किया, ‘एक और दिग्गज शख्सियत को खो दिया!! के. विश्वनाथ सर ने अपनी यादगार फिल्मों और पात्रों के साथ एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है. उनकी विरासत भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहे और उनकी आत्मा को शांति मिले.’

संगीतकार इलैयाराजा ने एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने कहा, ‘शीर्षतम भारतीय फिल्म निर्माता भगवान के धाम पहुंच गए. वह एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्देशक थे. उनके निधन के बारे में जानकर दुख हुआ. मैं भगवान से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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