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सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के अगले ही दिन केंद्र ने पांच जजों की नियुक्ति को मंज़ूरी दी

उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र और न्यायपालिका के बीच चल रही खींचतान के बीच बीते शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने कॉलेजियम की सिफ़ारिशों पर केंद्र द्वारा देरी किए जाने पर इसे गंंभीर मुद्दा बताते हुए चेतावनी दी थी कि मामले में किसी भी देरी का परिणाम प्रशासनिक एवं न्यायिक कार्रवाई के तौर पर निकलेगा.

सुप्रीम कोर्ट के नवनियुक्त जज (बाएं से दाएं) राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल, पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, मणिपुर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पीवी संजय कुमार, पटना हाईकोर्ट के जज अहसानुद्दीन अमानुल्ला और इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज मनोज मिश्रा. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: जजों की नियुक्ति को लेकर कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच चल रही खींचतान के बीच केंद्र सरकार ने शनिवार (4 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी. जजों के नामों की सिफारिश 13 दिसंबर 2022 को शीर्ष अदालत के कॉलेजियम द्वारा की गई थी.

कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल, पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, मणिपुर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पीवी संजय कुमार, पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश मनोज मिश्रा को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए जाने की ट्वीट के जरिये घोषणा की.

इन न्यायाधीशों के शपथ ग्रहण के साथ ही शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की संख्या 32 तक पहुंच जाएगी. फिर भी यह आंकड़ा न्यायाधीशों के स्वीकृत पदों (34) से दो कम रहेगा.

फिलहाल शीर्ष अदालत में भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) सहित 27 न्यायाधीश कार्यरत हैं, जबकि सीजेआई सहित इसकी स्वीकृत संख्या 34 है.

यह कदम हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के स्थानांतरण के लिए सिफारिशों को मंजूरी देने में केंद्र की देरी पर जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका द्वारा नाराजगी जताने के एक दिन बाद उठाया गया है.

उन्होंने इसे एक बेहद ही गंभीर मुद्दा करार दिया था और चेतावनी दी थी कि मामले में किसी भी देरी का परिणाम प्रशासनिक एवं न्यायिक कार्रवाई के तौर पर निकलेगा जो ‘बहुत असहज’ हो सकता है.

जब यह मामला शुक्रवार (3 फरवरी) को शीर्ष अदालत के सामने आया तो अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कहा था कि पांच न्यायाधीशों की नियुक्ति का आदेश दो दिनों में जारी होने की उम्मीद है.

नामों को मंजूरी देने में हो रही देरी पर आपत्ति जताते हुए जस्टिस ओका और जस्टिस कौल की बेंच ने कहा था, ‘हमसे ऐसा कदम न उठवाएं, जो बहुत असहज होगी. आप हमसे कुछ बेहद कठिन फैसले करवाएंगे.’

हालांकि समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि इन पांच नियुक्तियों का पीठ की टिप्पणी से कोई लेना-देना नहीं है और ये नियुक्तियां केंद्र द्वारा सुविचारित निर्णय के बाद की गई हैं.

बीते 31 जनवरी को कॉलेजियम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार के नामों की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में भी की थी.

ज्ञात हो कि बीते कुछ समय से जजों की नियुक्ति के मसले पर शीर्ष अदालत और केंद्र सरकार, विशेष तौर पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के बीच तीखे आदान-प्रदान हुए हैं.

कानून मंत्री ने हाल ही में कॉलेजियम को भारतीय संविधान के ‘प्रतिकूल’ बताया था, जबकि उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने 2015 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम और तत्संबंधित संविधान संशोधन अधिनियम को खारिज करने वाले सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर सवाल उठाए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)