कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि 28 महीनों के बाद केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन की जेल से रिहाई हमें इस बात का ध्यान कराती है कि सरकार यूएपीए के तहत लोगों को बिना किसी आरोप के अनिश्चित समय के लिए हिरासत में रख सकती है.
नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन की रिहाई के एक दिन बाद शुक्रवार (3 फरवरी) को कहा कि संशोधित गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) लोकतंत्र के लिए संकट है.
थरूर ने ट्वीट किया, ‘28 महीनों के बाद सिद्दीक कप्पन की जेल से रिहाई हमें इस बात का ध्यान कराती है कि सरकार यूएपीए के तहत लोगों को बिना किसी आरोप के अनिश्चित समय के लिए हिरासत में रख सकती है.’
उन्होंने दावा किया, ‘यह संशोधित यूएपीए लोकतंत्र के लिए संकट है. मैंने इससे जुड़े विधेयक को लोकसभा में पेश किए जाने के समय इसका विरोध किया था.’
A footnote: when Siddique Kappan asked for reading material in jail he was offered only books in Hindi, a language he does not know, and denied books in English or Malayalam, the only languages he can read. In the land of Mahatma Gandhi, is this the level of our humanity?
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) February 3, 2023
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘जब सिद्दीकी कप्पन ने जेल में पढ़ने की सामग्री मांगी तो उन्हें केवल हिंदी में किताबें देने की पेशकश की गई, एक ऐसी भाषा जिसे वह नहीं जानते. अंग्रेजी या मलयालम में किताबों से इनकार कर दिया गया, जिन्हें वह पढ़ सकते हैं.’
थरूर ने सवाल उठाया कि महात्मा गांधी की भूमि में क्या यह हमारी मानवता का स्तर है?
केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को बृहस्पतिवार (2 फरवरी) को जमानत पर जेल से रिहा कर दिया गया था. कप्पन की यह रिहाई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा उन्हें जमानत दिए जाने के लगभग छह सप्ताह बाद हुई है.
9 सितंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें यूएपीए मामले में यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि ‘प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अधिकार है’. हालांकि, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में वह लखनऊ में जेल में रहे, जो उनके खिलाफ 2021 में ईडी द्वारा लगाया गया था. 31 अक्टूबर 2022 को लखनऊ की एक स्थानीय अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कप्पन की जमानत खारिज कर दी थी.
मलयालम समाचार पोर्टल ‘अझीमुखम’ के संवाददाता और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की दिल्ली इकाई के सचिव सिद्दीक कप्पन और तीन अन्य को 5 अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था, जब वह उत्तर प्रदेश के हाथरस में सामूहिक बलात्कार मामले की रिपोर्ट करने के लिए जा रहे थे.
हाथरस में 14 सितंबर, 2020 को एक दलित किशोरी के साथ चार ‘उच्च’ जाति के पुरुषों द्वारा कथित रूप से सामूहिक बलात्कार करने के साथ उसके साथ बेरहमी से मारपीट की गई थी, जिससे उसकी मौत हो गई थी.
सिद्दीक कप्पन को तीन अन्य लोगों – अतीकुर रहमान, मसूद अहमद और उनके कार चालक मोहम्मद आलम – के साथ मथुरा से यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के दो दिन बाद यूपी पुलिस ने कप्पन पर जाति आधारित दंगा भड़काने का इरादा रखने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का मामला दर्ज किया था. इसके बाद उन पर देशद्रोह के आरोप और गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत भी मामले जोड़े गए थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)