जोशीमठ के बाद जम्मू के डोडा में भूधंसाव के कारण ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया

जम्मू कश्मीर के डोडा ज़िले की ठठरी तहसील के नई बस्ती गांव में भूधंसाव के बाद 19 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है. क़रीब दो दर्जन पक्की इमारतों में दरार पड़ने के कारणों का पता लगाने के लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के विशेषज्ञों की एक टीम ने गांव का निरीक्षण किया है.

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Doda: A resident shows cracks that have appeared in his house in Nai Basti area, in Doda district, Jammu & Kashmir, Saturday, Feb 4, 2023. (PTI Photo) (PTI02_04_2023_000048A)

जम्मू कश्मीर के डोडा ज़िले की ठठरी तहसील के नई बस्ती गांव में भूधंसाव के बाद 19 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है. क़रीब दो दर्जन पक्की इमारतों में दरार पड़ने के कारणों का पता लगाने के लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के विशेषज्ञों की एक टीम ने गांव का निरीक्षण किया है.

डोडा ज़िले के नई बस्ती गांव में अपने घर में पड़ीं दरारों को दिखाता एक व्यक्ति. (फोटो: पीटीआई)

डोडा/जम्मू: भूधंसाव की चपेट में आने की वजह से उत्तराखंड के हिमालयी शहर जोशीमठ से हजारों लोगों को निकाले जाने के कुछ हफ्ते बाद जम्मू और कश्मीर के डोडा जिले में भी ऐसी ही स्थिति सामने आ रही है.

इसके बाद भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के विशेषज्ञों की एक टीम ने शनिवार को जम्मू एवं कश्मीर के डोडा जिले के एक गांव का निरीक्षण किया, ताकि करीब दो दर्जन पक्की इमारतों में दरारों के कारणों का पता लगाया जा सके.

डोडा के उपायुक्त विशेष पाल महाजन ने कहा कि जीएसआई के विशेषज्ञों ने ठठरी तहसील में प्रभावित नई बस्ती गांव का दौरा किया और 19 रिहायशी घरों, एक मस्जिद और लड़कियों के एक धार्मिक स्कूल में दरार का कारण जाना.

गांव के भूमि धंसाव की तुलना जोशीमठ में हाल ही में हुई त्रासदी से करने पर उन्होंने कहा, ‘जब तक जीएसआई टीम अपना निष्कर्ष प्रस्तुत नहीं करती, तब तक कोई टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी.’

यह गांव किश्तवाड़-बटोटे राष्ट्रीय राजमार्ग पर डोडा शहर से 35 किलोमीटर दूर है.

महाजन ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अब्दुल कयूम सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और कहा कि जीएसआई टीम जल्द ही अपनी रिपोर्ट देगी.

19 परिवारों के 100 से अधिक सदस्यों के घरों में दरारें आने के बाद उन्हें वहां से निकाला गया. शुक्रवार (3 फरवरी) को तीन मकान ढह गए.

कुछ परिवारों को जिला प्रशासन द्वारा स्थापित एक अस्थायी आश्रय में भेज दिया गया है और कई अन्य अपने पुश्तैनी घरों में लौट गए हैं.

ज़ाहिदा बेगम, जिनके परिवार को एक अस्थायी आश्रय में भेज दिया गया है, ने कहा कि वे 15 साल से गांव में रह रही हैं और कंक्रीट के घरों में दरारें देखकर हैरान हैं.

एक अन्य निवासी फारूक अहमद ने कहा कि पुलिसकर्मियों, पूर्व सैनिकों, रक्षाकर्मियों और मजदूरों के 19 परिवारों के 117 सदस्यों को स्थानांतरित किया गया है.

उपायुक्त ने प्रभावित परिवारों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया और कहा कि उनके लिए सभी आवश्यक सुविधाओं के साथ एक राहत शिविर स्थापित किया गया है.

ठठरी के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) अतहर अमीन जरगर ने कहा कि प्रशासन स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है और लोगों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक और एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं.

जरगर ने एएनआई को बताया, ‘कल (3 फरवरी) 21 इमारतें प्रभावित हुई थीं. प्रभाव का क्षेत्र वहीं तक सीमित है, जैसा कि आज (4 फरवरी) सुबह देखा गया. स्थिति नियंत्रण में थी.’

उन्होंने कहा, ‘सरकार ने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण से एक टीम भेजी और वे अपना अध्ययन कर रहे हैं. वे अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेंगे. लोगों ने क्षेत्र खाली कर दिया है.’

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ठठरी के एसडीएम अतहर अमीन जरगर ने कहा, ‘गांव से निकाले गए 300 ग्रामीणों में से अधिकांश ने अपने रिश्तेदारों के घरों में शरण ली है. प्रशासन द्वारा लगाए गए राहत शिविर में हमारे पास 30 से 40 लोग हैं, जो रात में अपने रिश्तेदारों के घर जाना भी पसंद करते हैं.’

प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार, घरों से निकलने वाला पानी जो जमीन में रिसता रहता है, वह इस समस्या के कारणों में से एक हो सकता है, क्योंकि यह क्षेत्र 1980 के दशक में एक पुराना डूबता हुआ क्षेत्र था, जहां बाद के वर्षों में लोग आकर बस गए थे.

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को कहा कि जम्मू कश्मीर प्रशासन डोडा की इमारतों में दरारों पर कड़ी नजर रख रहा है, लेकिन जोशीमठ में हुए भू-धंसाव जैसी स्थिति से उन्होंने इनकार किया है.

उन्होंने कहा, ‘मुझे (इमारतों में दरार के बारे में) ज्यादा जानकारी नहीं है. हमें विशेषज्ञों की राय पर विश्वास करना चाहिए और उन्हें विश्लेषण करने देना चाहिए और तथ्यों के साथ सामने आना चाहिए.’

सिन्हा ने राजभवन में संवाददाताओं से कहा, ‘नई बस्ती के प्रभावित परिवारों को सर्वोत्तम संभव सहायता प्रदान की जाएगी. सभी प्रभावित लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है और हंगामा करने की जरूरत नहीं है. प्रशासन स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है.’

द वायर से बातचीत में श्रीनगर के एक पर्यावरणविद् ने कहा कि पीर पंजाल पर्वत, जो डोडा और जम्मू क्षेत्र के अन्य जिलों को कश्मीर घाटी से अलग करते हैं, सड़क और बिजली परियोजनाओं के निर्माण के लिए डायनामाइट विस्फोटों और पहाड़ियों को काटने के कारण अत्यधिक अस्थिर हो गए हैं.

कनेक्टिविटी में सुधार के लिए जम्मू कश्मीर प्रशासन ने राष्ट्रीय राजमार्ग 244 पर विस्तार कार्य शुरू किया है, जो जम्मू में डोडा और किश्तवाड़ जिलों को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले से जोड़ता है. ठठरी से करीब सात किमी दूर सरकार 850 मेगावाट की रातले जलविद्युत परियोजना का निर्माण करा रही है.

नाम न बताने की शर्त पर पर्यावरणविद् ने द वायर को बताया, ‘अब तक यह सुझाव देने के लिए कोई सबूत नहीं है कि ये परियोजनाएं ठठरी में भूमि के धंसने का कारण बन रही हैं, लेकिन यह एक तथ्य है कि विकास के नाम पर पहाड़ों के विनाश ने हजारों लोगों को पीर पंजाल के पहाड़ी जिलों में रहने के लिए मजबूर कर दिया है और चेनाब घाटी गंभीर जोखिम में है.’

प्रभावित परिवारों के लिए काम करने वाले जम्मू कश्मीर स्थित गैर-लाभकारी संगठन ‘अबाबील’ से जुड़े सैयद इमरान ने कहा कि पिछले दो हफ्तों से नई बस्ती गांव में जमीन धंसने की शिकायतें आ रही थीं, लेकिन स्थिति शुक्रवार (3 फरवरी) की सुबह खराब हो गई, जब कई घरों में नई दरारें आ गईं.

नई बस्ती के सरपंच मोहम्मद सादिक ने कहा कि पिछले 24 घंटों में दो दर्जन से अधिक घरों में दरारें आ गई हैं और आशंका है कि 60-80 घर जमीन धंसने से प्रभावित हो सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘नई बस्ती के ऊपरी क्षेत्र में दिखाई देने वाली एक प्रमुख दरार चौड़ी हो रही है, जिससे लोगों पर खतरा बढ़ गया है.’

मालूम हो कि उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों और अंतरराष्ट्रीय स्कीइंग गंतव्य औली का प्रवेश द्वार कहलाने वाला जोशीमठ शहर आपदा के कगार पर खड़ा है.

 जोशीमठ को भूस्खलन और धंसाव क्षेत्र घोषित कर दिया गया है तथा दरकते शहर के क्षतिग्रस्त घरों में रह रहे परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में पहुंचाया जा रहा है.

आदिगुरु शंकराचार्य की तपोभूमि के रूप में जाना जाने वाला जोशीमठ निर्माण गतिविधियों के कारण धीरे-धीरे दरक रहा है और इसके घरों, सड़कों तथा खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें आ रही हैं. तमाम घर धंस गए हैं.

नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीसीपी) की पनबिजली परियोजना समेत शहर में बड़े पैमाने पर चल रहीं निर्माण गतिविधियों के कारण इस शहर की इमारतों में दरारें पड़ने संबंधी चेतावनियों की अनदेखी करने को लेकर स्थानीय लोगों में सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश है.

स्थानीय लोगों ने इमारतों की खतरनाक स्थिति के लिए मुख्यत: एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जैसी परियोजनाओं और अन्य बड़ी निर्माण गतिविधियों को जिम्मेदार ठहराया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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