हिमाचल प्रदेश चुनाव राउंडअप: भाजपा के नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के भ्रष्टाचार को बनाया मुद्दा, कांग्रेस के राहुल गांधी ने नोटबंदी और जीएसटी पर किया प्रहार, अब फ़ैसला जनता के हाथ.
शिमला/नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए धुआंधार प्रचार का दौर मंगलवार को समाप्त हो गया. इस दौरान प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भाजपा के बीच तीखी जुबानी जंग देखने को मिली. राज्य में नौ नवंबर को मतदान होना है.
भाजपा ने राज्य में हालांकि प्रेम कुमार धूमल को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है लेकिन परोक्ष रूप से प्रचार अभियान की कमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही संभाली हुई थी. उन्होंने भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने नोटबंदी और जीएसटी को लेकर केंद्र पर जोरदार पलटवार किया.
भाजपा के मुख्य रणनीतिकार और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के अलावा कई केंद्रीय मंत्री और दोनों पक्षों के शीर्ष नेताओं ने मुकाबले को आर-पार का बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
हिमाचल प्रदेश के दो बार के मुख्यमंत्री 73 वर्षीय धूमल की कोशिश कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार वीरभद्र सिंह को रिकॉर्ड सातवीं बार सत्ता में आने से रोकने की होगी.
राज्य में कांग्रेस के शीर्ष नेता 83 वर्षीय सिंह भ्रष्टाचार के मामलों का सामना कर रहे हैं. साथ ही राज्य कांग्रेस प्रमुख सुखविंदर सिंह सुक्खू से उनके मतभेद खुलकर सामने आ गए. सिंह सुक्खू को पद से हटवाना चाहते थे लेकिन चुनाव से पहले यह मुमकिन नहीं हो सका.
कांग्रेस के पुराने दिग्गज वीरभद्र के सामने सत्ता विरोधी लहर से जूझने की चुनौती भी होगी. आंतरिक गुटबाजी से सत्ता में वापसी की कांग्रेस की संभावनाएं कमजोर पड़ सकती हैं. इसके बावजूद कांग्रेस ने चुनाव लड़ने के लिए वीरभद्र सिंह पर विश्वास जताया है.
भाजपा ने कीं 197 रैलियां, वीरभद्र ने 200 से अधिक
कांग्रेस हाल में कई चुनावों में हार का सामना कर चुकी है और हिमाचल में जीत से पार्टी का मनोबल बढ़ेगा. भाजपा ने राज्य में 197 रैलियां कीं और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने पिछले ढाई महीने में कांग्रेस के लिए अकेले 200 से अधिक जनसभाओं को संबोधित किया.
प्रधानमंत्री मोदी ने सात, शाह ने छह, राहुल गांधी ने तीन, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने तीन और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सात जनसभाओं को संबोधित किया.
बडसर के एक उम्मीदवार की मौत और भाजपा के एक बागी नेता के चुनाव नहीं लड़ने के कारण अब 337 उम्मीदवार चुनाव मैदान में रह गए हैं.
उल्लेखनीय है कि केंद्र की नोटबंदी की घोषणा को एक साल पूरे होने के एक दिन बाद हिमाचल प्रदेश में मतदान होगा. कांग्रेस और कुछ अन्य दलों ने आठ नवंबर को काला दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है वहीं केंद्र की सत्तारूढ़ भाजपा इस दिन को कालाधन विरोधी दिवस के रूप में मनाएगी.
प्रधानमंत्री मोदी और अन्य भाजपा नेताओं ने वीरभद्र सिंह और उनकी सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर प्रहार किया.
रविवार को एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने दावा किया था कि पर्वतीय राज्य को पांच माफियाओं- खनन माफिया, वन माफिया, ड्रग माफिया, टेंडर और स्थानांतरण माफिया- से बचाने की जरूरत है.
राहुल गांधी ने अपनी जनसभाओं में इस पर पलटवार करते हुए मोदी पर भ्रष्टाचार के खिलाफ चुनिंदा तरीके से बात करने का आरोप लगाया. उन्होंने साथ ही सवाल किया था कि भाजपा ने जिस रोजगार की बात की थी, वो कहां है.
दोनों दलों के बीच कड़ी टक्कर
राज्य में दोनों दलों के बीच कड़ी टक्कर नजर आ रही है लेकिन वीरभद्र सिंह को विधानसभा की अपनी सीट निकालने में कोई खास मुश्किल पेश आने की संभावना नहीं है. वह अर्की विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां उनके सामने भाजपा के रतन सिंह पाल चुनावी मैदान में हैं.
राजनीतिक पंडितों की निगाहें सुजानपुर सीट पर भी लगी होंगी, जहां विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धूमल का मुकाबला कांग्रेस के राजिंदर राणा से हो रहा है.
वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह पहली बार अपनी चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं. वह शिमला ग्रामीण क्षेत्र से चुनावी मैदान में हैं. मंडी सीट पर भी सभी की निगाहें लगी हुई हैं जहां सुखराम के बेटे अनिल शर्मा भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. शर्मा चुनावों से ठीक पहले भाजपा में शामिल हुए थे, जिसके लिए भाजपा को आलोचना भी झेलनी पड़ी.
दोनों पार्टियों के करीब दर्जनभर बागी नेता भी चुनावी मैदान में हैं. राज्य विधानसभा के लिए होने वाले चुनावों की मतगणना 18 दिसंबर को होगी.
कांग्रेस और भाजपा ने सभी 68 सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं. माकपा के 14 और अन्य छोटे दलों एवं निर्दलयी को मिला लिया जाए तो 187 उम्मीवार चुनाव मैदान में हैं.
नवीनतम फोटो मतदाता सूची के मुताबिक 25,68,761 पुरुष, 24,57,166 महिला और 14 अन्य थर्ड जेंडर सहित कुल 50,25,941 मतदाता हैं. राज्य में 7,521 मतदान केंद्र बनाए गए हैं.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी पुष्पेंद्र राजपूत ने बताया कि 40,000 पुलिस और सुरक्षाकर्मियों के अलावा अर्धसैनिक बलों की 65 कंपनियां स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराने के लिए राज्य में पहुंच चुकी हैं.
2019 में सत्ता में आए तो जीएसटी को पूरा बदल देंगे: राहुल
चुनाव प्रचार के लिए हिमाचल पहुंचे राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि केंद्र में 2019 में उनकी पार्टी की सरकार आने पर जीएसटी में व्यापक बदलाव किए जाएंगे ताकि व्यापारियों, ग्राहकों और अन्य तबकों को राहत दी जा सके.
राहुल ने कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरोपों पर पलटवार करते हुए दावा किया कि नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार इस पर्वतीय राज्य में भ्रष्टाचार का स्तर अन्य राज्यों से कम है. विकास के मानदंडों पर हिमाचल प्रदेश भाजपा शासित गुजरात से कहीं बेहतर है.
उन्होंने मोदी पर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुनिंदा तरीके से बोलने का आरोप लगाते हुए पूछा कि भाजपा ने जिन रोजगारों का वादा किया था, वे कहां हैं. कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि मोदी ने कभी व्यापमं घोटाले की बात नहीं की. ललित मोदी घोटाले या अन्य किसी मामले की बात नहीं की जो भाजपा शासित राज्यों में सामने आए हैं.
हिमाचल के पोंटा साहिब, चंबा और नगरोटा में चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा, हम 2019 में सत्ता में आने पर जीएसटी में पूरी तरह बदलाव करेंगे ताकि इससे प्रभावित हुई जनता की परेशानियां कम हों.
उन्होंने कहा कि आठ नवंबर को नोटबंदी को एक साल पूरा होने के मौके पर कांग्रेस के प्रस्तावित आंदोलन का उद्देश्य छोटे कारोबारियों, युवाओं, महिलाओं और किसानों की दुर्दशा को उजागर करना है, जिन्हें सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. चीन के साथ तुलना करते हुए राहुल ने कहा कि वह हर 24 घंटे में 50 हजार लोगों को रोजगार देता है वहीं मोदी सरकार केवल 450 लोगों को रोजगार देती है.
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री की प्रमुख जिम्मेदारी बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार निर्माण होना चाहिए. राहुल ने कहा कि यह नहीं किया जा रहा जो विश्वासघात है. नोटबंदी पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को देश को बताना चाहिए कि इस प्रक्रिया में काला धन कहां मिला.
राहुल की नजर में खोट है: राजनाथ
हिमाचल प्रदेश में गुजरात की तुलना में कम भ्रष्टाचार होने की राहुल गांधी की टिप्पणी पर उन्हें आड़े हाथ लेते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष की नजर में खोट है और उन्हें हकीकत नजर नहीं आती.
राजनाथ ने दावा किया कि आतंकी वित्तपोषण पर लगाम लगाने की सरकार की कोशिशों से नक्सल गतिविधियों में 52 फीसदी की कमी आई है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने से पुलिस बल में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित हो जाएगा.
गृह मंत्री ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह नोटबंदी और जीएसटी के मुद्दे पर दुर्भावनापूर्ण प्रचार चला रही है. उन्होंने कहा कि इन कदमों से भविष्य में बहुत फायदा होगा.
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के आखिरी दिन पत्रकारों से बातचीत में राजनाथ ने कहा, लंबे समय में फायदे के लिए यह अल्पकालिक दर्द है और इन कदमों से न सिर्फ सुधार आएगा बल्कि आतंकी वित्तपोषण पर भी लगाम लगेगी.
हिमाचल प्रदेश में गुजरात के मुकाबले कम भ्रष्टाचार होने के कांग्रेस उपाध्यक्ष के दावे के बारे में पूछे जाने पर राजनाथ ने कहा कि राहुल की नजर में खोट है और उन्हें हकीकत नजर नहीं आती.
अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब होने के कांग्रेस के आरोप को खारिज करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि यूपीए के शासनकाल में महंगाई की दर जीडीपी वृद्धि दर से ज्यादा थी. उन्होंने कहा कि अब चालू खाते का घाटा कम हो गया है और निवेश आ रहा है. उन्होंने सवाल किया कि अगर अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब है तो भारत में निवेश क्यों आ रहा है.
कांग्रेस और भाजपा का पुराने नेताओं पर भरोसा
हिमाचल विधानसभा चुनावों में मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए सत्तारूढ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा ने अपने पुराने दिग्गजों की ताकत पर भरोसा जताया है.
हिमाचल प्रदेश में सत्तारूढ कांग्रेस ने छह बार के मुख्यमंत्री तथा पांच बार के सांसद 83 साल के वीरभद्र सिंह पर जबरदस्त भरोसा जताया है.
अधिक उम्र होने के बावजूद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पूरे प्रदेश में घूम घूम कर कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में लगातार रैलियां कर रहे हैं. सिंह स्वयं प्रदेश के अर्की विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में हैं.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सूरजेवाला ने बताया, मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह एक वरिष्ठ एवं बडे़ जनाधार वाले नेता हैं. राज्य में अवाम कांग्रेस को दोबारा चुनेगी क्योंकि हमारी सरकार के दौरान विकास के बहुत से काम हुए हैं.
राज्य के मंडी इलाके के कांग्रेस के कद्दावर नेता एवं स्वास्थ्य मंत्री 72 वर्षीय कौल सिंह ठाकुर नौवीं बार चुनाव मैदान में हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम तथा उनके बेटे अनिल शर्मा के भाजपा में जाने से पार्टी को मिलने वाले किसी फायदे को विफल करने में ठाकुर प्रमुख भूमिका अदा करेंगे.
अनिल शर्मा तीन हफ्ते पहले तक वीरभद्र सरकार में मंत्री थे. इस महीने की नौ तारीख को होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों से कुछ पहले उन्होंने हाथ का साथ छोड कर भाजपा का दामन थाम लिया.
भारतीय जनता पार्टी से 73 साल के प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं. धूमल राज्य में दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. प्रदेश के हमीरपुर, कांगड़ा, उना, चम्बा, सोलन तथा मंडी जिलों में मजबूत पकड़ है. राज्य विधानसभा की 68 सीटों में से अधिकतर सीटें इन्हीं क्षेत्रों से आती है.
हमीरपुर से भाजपा सांसद तथा धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर धूमल के बारे में कहते हैं, वे एक अनुभवी राजनेता हैं. दो बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उन्होंने लोगों के दिलों पर राज किया है. मुझे लगता है कि इससे उनका नाम मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में घोषित किए जाने से पार्टी को बड़ी सफलता मिलेगी.
भारतीय जनता पार्टी दो बार मुख्यमंत्री रह चुके 83 वर्षीय शांता कुमार की ताकत का भी इस्तेमाल करने की योजना बना रही है. खास तौर से राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कांगड़ा इलाके में. हालांकि, वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं.
शिमला ग्रामीण में विक्रमादित्य को मिल सकती है कड़ी चुनौती
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में शिमला ग्रामीण सीट पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर है, जहां उनके बेटे विक्रमादित्य को मुख्यमंत्री के सहयोगी रहे और भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे प्रमोद शर्मा से कड़ी टक्कर मिलने की संभावना है.
शर्मा को भाजपा से टिकट की घोषणा पार्टी को आश्चर्यचकित करने वाली थी क्योंकि उसके पास विक्रमादित्य का मुकाबला करने के लिए कोई दमदार उम्मीदवार नहीं था. विक्रमादित्य पहली बार चुनावी मैदान में हैं.
वर्ष 2012 में यहां से 20 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज करने वाले मुख्यमंत्री ने इस सीट को अपने बेटे के लिए खाली किया और खुद अर्की सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
शुरुआत में, कांग्रेस दावा कर रही थी कि उसके लिए एकतरफा मुकाबला है लेकिन शर्मा के चुनावी मैदान में आ जाने से सारी गणनाएं उलट गईं क्योंकि वह सुन्नी भज्जी क्षेत्र के रहने वाले हैं जहां मतदाताओं की अच्छी आबादी है.
शर्मा को 2012 में ठियोग सीट से कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया था और वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उम्मीदवार थे और उन्हें 4480 मत मिले थे. भाजपा उम्मीदवार को 8892 जबकि वीरभद्र सिंह को 28889 मत मिले थे. उन्होंने अपने बेटे के लिए इस सीट को इस आशा में चुना है कि यह सुरक्षित सीट है.
मुख्यमंत्री का कहना है कि बीते पांच वर्ष में इस सीट पर 1300 करोड़ रुपये का काम हुआ और कांग्रेस विकास के नाम पर वोट मांग रही है. शर्मा ने इस चुनाव को शाही व्यक्ति और आम आदमी के बीच की चुनावी जंग बताया है. हालांकि वह मुख्यमंत्री या विक्रमादित्य पर सीधे हमला बोलने से बच रहे हैं. शर्मा ने जबरदस्त अभियान चलाया लेकिन भाजपा के बागी मोहन दास शर्मा के चुनावी मैदान में उतरने से पार्टी के लिए चिंता पैदा हो गई हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)