ज़ी समूह और नेटवर्क 18 के भी नाम जुड़े. कांग्रेस ने जयंत सिन्हा व आरके सिन्हा से मांगा इस्तीफा, सरकार पर लगाया कालेधन पर कुछ नहीं करने का आरोप.
पैराडाइज़ पेपर्स की सीरीज़ रिपोर्ट में कुछ नये नामों का खुलासा हुआ है. दूसरी ओर, खुलासा करने वाले अखबार इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जांच का आदेश दिया है.
अखबार का दावा है कि पैराडाइज़ पेपर्स अब तक का सबसे बड़ा फाइनेंशियल लीक है, जिसने खुलासा किया है कि कैसे बरमूडा की एप्पलबी और सिंगापुर की एशियासिटी ट्रस्ट ने दुनिया भर के अमीरों और ताकतवर लोगों को अपना पैसा विदेश भेजने में मदद की.
अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, पैराडाइज़ पेपर्स के रिकॉर्ड में नेटवर्क 18 मीडिया ग्रुप का भी नाम है. 2007 में अमेरिकी कंपनी वायाकॉम के साथ राघव बहल की कंपनी नेटवर्क 18 ने ज्वाइंट वेंचर वायाकॉम 18 शुरू किया था. इस ग्रुप ने कई सहायक कंपनियां लॉन्च कीं जो कि एप्पलबी और दूसरी कंपनियों से जुड़ीं. नेटवर्क 18 के मैनेजिंग एडीटर राघव बहल थे, जिन्होंने 2014 में इसका मालिकाना रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेच दिया था. रिकॉर्ड के मुताबिक, नेटवर्क 18 का नाम चार पुरानी आॅफशोर कंपनियों से जुड़ रहा है.
इस खुलासे में सुभाष चंद्रा के जी मीडिया समूह का भी नाम आया है. एस्सेल समूह के मालिक और भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुभाष चंद्रा की कंपनी के प्रमोटर ने आॅफशोर रूट से फंड हासिल किए.
एप्पलबी कंपनी के रिकॉर्ड में भारत का सन बिजनेस ग्रुप दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है. सन ग्रुप के नंद लाल खेमका का नाम 17 संस्थानों के लाभार्थी/अधिकारी के रूप में दर्ज है, जबकि उनके बेटे शिव विक्रम 104 संस्थानों के अधिकारी हैं. उदय हर्ष खेमका का नाम 102 आॅफशोर कंपनियों के अधिकारी के तौर पर दर्ज है.
पैराडाइज पेपर्स में जिन जिन भारतीयों के नाम हैं उनमें भाजपा नेता व केंद्र सरकार में मंत्री, जयंत सिन्हा, भाजपा सांसद आरके सिन्हा, कांग्रेस नेता अशोक गहलोत और सचिन पायलट, कॉरपोरेट लॉबीस्ट नीरा राडिया, दिलनशीं संजय दत्त, फोर्टिस एस्कार्ट ग्रुप के अशोक सेठ, कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली के बेटे हर्ष मोइली, पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम, कीमत राय गुप्ता, अमिताभ बच्चन, विजय माल्या,
पैराडाइज दस्तावेजों की जांच करेगा बहु-एजेंसी समूह
समाचार एजेंसी भाषा की खबर के मुताबिक, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि पनामा दस्तावेजों की जांच कर रहा बहु-एजेंसी समूह (एमएजी) ताजा सामने आए पैराडाइज दस्तावेजों की जांच की निगरानी करेगा. बरमूडा की एक विधि सलाहकार कंपनी के कंप्यूटर रिकार्ड से उड़ाए गए इने दस्तावेजों में कई भारतीय इकाइयों और हस्तियों के विदेशों में निवेश का उल्लेख है.
पैराडाइज दस्तावेजों में 714 भारतीय व्यक्तियों और इकाइयों के नाम हैं. केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा और अभिनेता अमिताभ बच्चन जैसे लोग शामिल हैं. सीबीडीटी ने कहा है कि देश भर में आयकर विभाग की जांच इकाइयों को इन सूचनाओं को लेकर सतर्क कर दिया गया है. प्रत्यक्ष कर व्यवस्था के इस शीर्ष निकाय ने कहा है कि उसकी विदेशी इकाइयां विदेशों में निवेश करने वाले कुछ मामलों की तेजी से जांच करने में पहले से ही लगी हैं.
आयकर विभाग के नीति नियामक निकाय सीबीडीटी के बयान में कहा गया है , ‘जैसे ही आगे की सूचना आती है, कानून के मुताबिक उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी.’
बयान के अनुसार सरकार ने पैराडाइज पेपर्स के मामलों में जांच का निर्देश दिया है. इस पर नजर सीबीडीटी के चेयरमैन की अध्यक्षता वाला पुनर्गठित बहु एजेंसी समूह (एमएजी) करेगा. इसमें सीबीडीटी, प्रवर्तन निदेशालय, रिजर्व बैंक तथा वित्तीय खुफिया इकाई के प्रतिनिधि शामिल हैं.
पनामा दस्तावेज में आये भारतीयों के विदेशों में जमा धन की वैधता की जांच के लिए इस समूह एमएजी का गठन पिछले साल अप्रैल में किया गया था. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि समूह पैराडाइज पेपर्स में भारत के जिन 714 व्यक्तियों तथा इकाइयों के नाम आए हैं उनके आयकर रिटर्न के ब्योरे की जांच करेगा और उसके पश्चात जरूरत पड़ने पर उपयुक्त कार्रवाई करेगा.
हालांकि सीबीडीटी ने कहा कि उसे अभी ताजा घोषणा के बारे में पूरा ब्योरा नहीं मिला है. अबतक मीडिया में कुछ भारतीय नागरिक और इकाइयों के नाम आए हैं.
पैराडाइज दस्तावेज में व्यक्तियों तथा इकाइयों के विदेशों में संपत्ति का खुलासा किया गया है. इसका खुलासा इंडियन एक्सप्रेस ने इंटरनेशनल कंसोर्टियम आफ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) ने किया.
हालांकि अबतक आईसीआईजे वेबसाइट ने भी सभी इकाइयों के नाम और ब्योरा जारी नहीं किया है.
दस्तावेज में 714 भारतीयों और इकाइयों के नाम हैं. पैराडाइज के कागजों में करीब 70 लाख कर्ज समझौते, वित्तीय ब्योरे, ई-मेल, ट्रस्ट के कागजात और अन्य दस्तावेज शामिल है. ये दस्तावेज करीब 50 साल के हैं और इसे प्रतिष्ठित विदेशी विधि कंपनी एप्पलबी से हासिल किया गया है. इसके कार्यालय बरमुडा और अन्य जगहों पर हैं.
आईसीआईजे की मीडिया सहयोगी इंडिया एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पैराडाइज पेपर्स में जिन भारतीयों के नाम है, उसमें बालीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन, फरार व्यवसायी विजय माल्या, कंपनियों के लिए जन संपर्क का काम करने वाली नीरा राडिया, संजय दत्त की पत्नी मान्यता, केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा और राज्यसभा सदस्य आर के सिन्हा के नाम हैं. आईसीआईजे जांच को लेकर वैश्विक स्तर पर 95 मीडिया सहयोगियों के साथ काम करता है.
लीक दस्तावेज में छोटी कंपनियों, परिवार द्वारा संचालित ट्रस्ट कंपनियों, एशिया सिटी सिंगापुर और 19 गोपनीय क्षेत्रों में पंजीकृत कंपनियों से ली गई फाइलें शामिल हैं. आईसीआईजे का कहना है कि ये दस्तावेज जर्मनी के अखबार ज़्यूड डॉयचे त्साइटुंग ने प्राप्त किए थे.
हालांकि इसमें साथ में सावधानी के रूप में यह भी कहा गया है कि विदेशों में कंपनियों और न्यासों का पंजीकरण वैध कार्यों के लिए भी कराया जाता है और पैराडाइज सूची में किसी नाम के आने का मतलब यह नहीं है कि संबंधित व्यक्ति या इकाई ने कानून का उल्लंघन ही किया है.
रिपोर्ट के अनुसार आंकड़े में शामिल 180 देशों में नामों की संख्या के आधार पर भारत से 714 नाम हैं. भारत इस सूची में 19वें स्थान पर है. नंद लाल खेमका द्वारा स्थापित सन ग्रुप का भी नाम इसमें शामिल हैं.
जिन अन्य भारतीयों के नाम इसमें हैं, उसमें सन टीवी-एयरसेल-मैक्सिस मामला, एस्सार-लूप 2जी मामला, एसएनसी-लवालीन से जुड़े नाम शामिल हैं. एसएनसी- लवलीन मामले में केरल के माकपा नेता केरल के वर्तमान मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का नाम भी चर्चा में आया था और अब वह इस मामले से बरी हो चुके हैं.
इसके अलावा इसमें राजस्थान एम्बुलेंस घोटाले से जुड़ी कंपनी जीस्टा हेल्थकेयर का भी उल्लेख है जिसमें शुरुआत में कांग्रेस नेता सचिन पायलट और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के पुत्र कार्ती चिदंबरम स्वतंत्र निदेशक थे.
कांग्रेस ने जयंत सिन्हा से मांगा इस्तीफा
कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर काले धन के मामले में पिछले 41 माह में कोई भी कदम नहीं उठाने का आरोप लगाते हुए मीडिया के एक वर्ग में आए पैराडाइज दस्तावेजों में कथित रूप से केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा का नाम आने पर उनसे तुरंत इस्तीफा देने की मांग की.
कर से बचने के लिए कर पनाहगाह वाले देशों से संबंधित इन दस्तावेजों के अनुसार सिन्हा भारत में ओमिदयार नेटवर्क के प्रबंध निदेशक रहे हैं और ओमिदयार नेटवर्क ने अमेरिकी कंपनी डीलाइट डिजाइन में निवेश किया था. डीलाइट डिजाइन की केमैन द्वीप में अनुषंगी कंपनी है.
जयंत सिन्हा ने कहा है कि किसी भी निजी उद्देश्य से कोई लेनदेन नहीं किया गया और लेनदेन वैध और प्रमाणिक हैं.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पैराडाइज दस्तावेजों का उल्लेख करते हुए संवाददाताओं से कहा कि इस कर पनाहगाह वाली कंपनी ने 30 लाख अमेरिकी डालर का ऋण लिया था. इस ऋण के लिए एक समझौता किया गया जिस पर सिन्हा के हस्ताक्षर भी हैं.
उन्होंने दावा कि सिन्हा ने डीलाइट डिजाइन में निदेशक होने की बात चुनाव आयोग के समक्ष दाखिल घोषणापत्र तथा लोकसभा सचिवालय एवं प्रधानमंत्री कार्यालय से छिपाई.
उन्होंने कहा कि सिन्हा मई 2014 में सांसद बनने के बाद भी इस कंपनी के निदेशक रहे. उन्होंने कहा कि ऐसा करना सरासर हितों का टकराव है और क्या यह राज्य मंत्री रहने के साथ लाभ के पद के सिद्धांत के विरुद्ध नहीं है?
सुरजेवाला ने कहा कि इन दस्तावेजों में भाजपा के राज्यसभा सदस्य आर के सिन्हा का नाम भी आया है. उन्होंने कहा कि यह खुलासा होने के बाद आर के सिन्हा ने सात दिनों का मौन व्रत ले लिया है.
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि नागर विमानन राज्य मंत्री सिन्हा को अब एक भी दिन पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है. साथ ही उन्होंने मांग की कि भाजपा सरकार को इस मामले में भी समुचित जांच करवानी चाहिए.
सुरजेवाला ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव से पहले कहा था कि वह सत्ता में आने के 100 दिनों के भीतर विदेशों में रखे देश का 80 लाख करोड़ रूपये वापस लाएंगे. उन्होंने यह भी कहा था कि यह धन वापस आने से प्रत्येक देशवासी के खाते में 15 लाख रुपये पहुंच जाएंगे. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार को सत्ता में आए 41 माह बीत चुके हैं किंतु कालाधन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
उन्होंने कहा कि लीकटेंस्टाइन बैंक, एचएसबीसी बैंक और उसके बाद पनामा पेपर्स में करीब 2000 लोगों के नाम सामने आए. किंतु मोदी सरकार ने अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं की. उन्होंने दावा किया कि इंटरनेशनल कंसोर्टियम आफ इवेंस्टिगेटिव जर्नलिज्म आईसीआईजे के आफशोर लीक्स में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह का भी नाम आया था किंतु उस मामले में भी अभी सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने कहा कि इस मामलें में अभी तक प्राथमिकी भी दर्ज क्यों नहीं की गई.
कालाधन खुलासों में कांग्रेस नेता सचिन पायलट का नाम आने के बारे में पूछे जाने पर सुरजेवाला ने कहा, सचिन पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि जिस कंपनी का नाम आया था, वह उसके तब निदेशक थे जब वह सांसद नहीं थे. कुछ समय के बाद उन्होंने निदेशक पद त्याग दिया था.
कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने सवाल किया कि केंद्र सरकार उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करती और उनके नामों का खुलासा क्यों नहीं करती जिनके नाम लीकटेंस्टाइन बैंक, एचएसबीसी, पनामा दस्तावेजों और पैराडाइज दस्तावेजों में हैं.
उन्होंने सवाल किया, क्या प्रधानमंत्री अपने भरोसे का साहस दिखाकर इनने संबंधित सारी सूचना उच्चतम न्यायालय की उस पीठ को सौंपेंगे जो कालाधन-धारकों के खिलाफ कार्रवाई की निगरानी कर रही है. क्या कम्प्रोमाइज्ड ब्यूरो आफ इंवेस्टीगेशन एवं प्रवर्तन निदेशालय कार्रवाई करेगा.