सिडनी के लोवी इंस्टिट्यूट का 2023 के लिए जारी ‘एशिया पावर इंडेक्स’ दिखाता है कि चीन की ताक़त इसके कठोर कोविड-19 लॉकडाउन और प्रतिबंधों के कारण कम हो गई है. इंडेक्स में जापान को एशिया के तीसरे सबसे शक्तिशाली देश और भारत को चौथे स्थान पर रखा गया है.
नई दिल्ली: 2022 के अधिकांश समय तक अपनी जीरो कोविड-19 योजना पर बने रहने के चीन के फैसले ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में उसकी भू-राजनीतिक स्थिति को कमजोर कर दिया है. एक ऑस्ट्रेलियाई थिंक-टैंक ने हाल ही में जारी एक विश्लेषण में यह कहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, सिडनी के लोवी इंस्टिट्यूट का 2023 के लिए एशिया पावर इंडेक्स दिखाता है कि चीन की ताकत अपने कठोर कोविड-19 लॉकडाउन और प्रतिबंधों के कारण कम हो गई है. रिपोर्ट में जापान को तीसरे सबसे शक्तिशाली देश और भारत को चौथे स्थान पर रखा गया है.
विश्लेषण के मुख्य निष्कर्षों में कहा गया है कि भारत एक ‘असमान शक्ति’ (कुछ मामलों में अच्छा और कुछ में खराब) है और ‘क्षेत्रीय संतुलन में एक असमान रणनीतिक योगदान’ देने में कामयाब रहा है.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हालांकि भारत चौथे स्थान पर काबिज है लेकिन हाल के वर्षों में उसे झटके लगे हैं, जिन्होंने देश को एशिया पावर इंडेक्स में 40 अंक से अधिक व्यापक शक्ति वाले देशों के रूप में परिभाषित प्रमुख शक्तियों की एक विशेष श्रेणी से बाहर कर दिया है.
थिंक-टैंक ने पाया, ‘भारत शक्ति के क्षेत्रीय संतुलन में एक असमान योगदानकर्ता बना हुआ है और अपने संसाधनों के सापेक्ष आशानुरूप प्रदर्शन नहीं करता है. नई दिल्ली का कूटनीतिक प्रभाव एक स्थान बढ़कर 2022 में चौथे पायदान पर रहा, जहां विशेषज्ञों ने इसके नेताओं की एशिया और साथ ही वैश्विक मंच पर देश के राष्ट्रीय हितों को लेकर चलने की क्षमता के लिए बड़ी रेटिंग दी.’
2018 के बाद से एशिया पावर इंडेक्स ने प्रत्येक देश के ‘पावर गैप’ (उपलब्ध संसाधनों को देखते हुए इसकी क्षमता की तुलना में देश की वास्तविक शक्ति) को भी मापा है. इस विश्लेषण से दिए गए निष्कर्षों में दावा किया गया है कि भारत ‘उम्मीद से कम सफलता पाने वाला (अंडरअचीवर)’ देश है और ‘अपने आकार और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर अपेक्षा से कम अच्छा प्रदर्शन कर रहा है.’
भारत के विशाल आकार का मतलब है कि देश, जो केवल संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के पीछे है, का निश्चित रूप से एक प्रमुख शक्ति बनना लगभग तय है. एशिया में भारत के संभावित भविष्य के प्रभाव का आकलन करते हुए रिपोर्ट कहती है कि यह ‘चुनौतीपूर्ण है.’
भारत एशिया में आर्थिक संबंधों के लिहाज से नौवें स्थान पर है और विश्लेषण का दावा है कि देश ‘2018 के बाद से हर साल इस मामले में नीचे ही गया है.’
अध्ययन में पाया गया है, ‘2022 में इसका यूएस इंडोपैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क के व्यापार स्तंभ से खुद को अनुपस्थित करने का इसका निर्णय केवल इस स्थिति को मजबूत ही करेगा.’
एक विदेशी समाचार एजेंसी से बात करते हुए एशिया पावर इंडेक्स की प्रोजेक्ट लीड सुज़ैना पैटन ने कहा कि एशिया में चीन के राजनयिक प्रभाव ने ‘2022 में अमेरिका के प्रभाव को करीब से ग्रहण लगा दिया क्योंकि बीजिंग ने क्षेत्र में अधिकांश देशों को बाइडन प्रशासन की तुलना में अधिक लुभाया.’
जहां चीन पूरे क्षेत्र के अधिकांश देशों के लिए सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना हुआ है, वहीं पैटन का कहना है कि चीन के समग्र आर्थिक प्रभाव को इसके कठोर जीरो-कोविड मानकों ने कमजोर किया. वहां महामारी संबंधित प्रतिबंधों में 2022 के अंत में ढील दी गई थी.
रिपोर्ट में पाया गया है कि अमेरिका ने 2022 के पावर इंडेक्स में शीर्ष स्थान बरकरार रखा है क्योंकि यह सैन्य क्षमता, रक्षा नेटवर्क और सांस्कृतिक प्रभाव सहित कई अन्य मानकों में चीन से अधिक मजबूत है.
अध्ययन में दावा किया गया है, ‘अमेरिका अपनी सैन्य क्षमता और बेजोड़ क्षेत्रीय रक्षा नेटवर्क से अपनी ताकत प्राप्त करता है.’ अध्ययन में पाया गया है कि चीन भी अपनी सैन्य क्षमता में लगातार सुधार कर रहा है और पिछले पांच वर्षों में अमेरिका के साथ अंतर को काफी हद तक कम कर रहा है.
अध्ययन के अनुसार, भारत भी भविष्य के संसाधन उपायों में अधिक अंक पा रहा है, जो आने वाले दशकों में इसके आर्थिक, सैन्य और जनसांख्यिकीय प्रभाव के संभावित बड़े हिस्से को दिखाते हैं.
रूस की स्थिति दिलचस्प है. रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस एशिया में पांचवें सबसे शक्तिशाली देश के रूप में अपनी जगह बनाए हुए है. वह 2018 से इस स्थान पर जमा हुआ है. हालांकि, उसका प्रभाव असंतुलित है और घट रहा है.
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