मोदी के पीएम बनने के बाद जादू हुआ कि अडानी दुनिया के दूसरे सबसे अमीर शख़्स बन गए: राहुल गांधी

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अडानी समूह से जुड़े मामले का हवाला देते हुए लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला और कहा कि इस सरकार के दौरान नियम बदलकर हवाई अड्डों के ठेके अडानी समूह को दिए गए तथा प्रधानमंत्री के विदेश दौरों के बाद दूसरे देशों में भी इस उद्योगपति को कई व्यावसायिक ठेके मिले.

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बजट सत्र के दौरान लोकसभा में उद्योगपति गौतम अडानी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर दिखाते कांग्रेस सांसद राहुल गांधी. (फोटो: पीटीआई)

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अडानी समूह से जुड़े मामले का हवाला देते हुए लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला और कहा कि इस सरकार के दौरान नियम बदलकर हवाई अड्डों के ठेके अडानी समूह को दिए गए तथा प्रधानमंत्री के विदेश दौरों के बाद दूसरे देशों में भी इस उद्योगपति को कई व्यावसायिक ठेके मिले.

राहुल गांधी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अडानी समूह से जुड़े मामले का हवाला देते हुए मंगलवार को लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि 2014 में मोदी के दिल्ली में आने के बाद ऐसा ‘असली जादू’ हुआ कि आठ वर्षों के भीतर उद्योगपति गौतम अडानी दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बन गए.

उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए यह दावा भी किया कि मौजूदा सरकार के दौरान नियम बदलकर हवाई अड्डों के ठेके अडानी समूह को दिए गए तथा प्रधानमंत्री के विदेश दौरों के बाद दूसरे देशों में भी इस उद्योगपति को कई व्यावसायिक ठेके मिले.

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से सवाल किया, ‘अडानी जी आपके साथ कितनी बार विदेश गए? आपके विदेश जाने के बाद अडानी जी कितनी बार वह देश गए? कितनी बार ऐसा हुआ कि किसी देश में आपके दौरे के बाद अडानी को ठेका मिला? अडानी जी ने पिछले 20 साल में भाजपा को कितना पैसा दिया? चुनावी बॉन्ड में कितना पैसा दिया?’

राहुल गांधी ने दावा किया, ‘प्रधानमंत्री जब 2014 में दिल्ली आते हैं तो असली जादू शुरू होता है. 2014 में अडानी अमीरों की सूची में 609वें नंबर पर थे, फिर आठ वर्षों में वह दूसरे स्थान पर आ गए.’

उन्होंने आरोप लगाया कि नियम बदलकर अडानी को छह हवाई अड्डे दिए गए. उन्होंने दावा किया कि जांच एजेंसी का दुरुपयोग करके मुंबई हवाई अड्डा अडानी के हाथों में दे दिया गया.

सदन में राहुल गांधी के वक्तव्य के दौरान केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू और भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस नेता को लोकसभा में ‘तथ्यहीन आरोप’ नहीं लगाने चाहिए.

इस पर हस्तक्षेप करते हुए रिजिजू ने कहा, ‘बिना तथ्य के आरोप लगाने का कोई मतलब नहीं है. अगर आरोप लगा रहे हैं तो दस्तावेज रखना पड़ेगा.’

राहुल गांधी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री जी ऑस्ट्रेलिया जाते हैं और वहां एक ठेका मिलता है जिस पर स्टेट बैंक से अडानी समूह को एक अरब डॉलर का कर्ज दिया जाता है. प्रधानमंत्री बांग्लादेश जाते है और कुछ दिनों बाद बांग्लादेश का 1500 मेगावाट बिजली का ठेका अडानी समूह को मिल जाता है.’

उन्होंने दावा किया कि यह हिंदुस्तान की विदेश नीति नहीं है, यह ‘अडानी जी की विदेश नीति’ है.

सत्तापक्ष के सदस्यों की टोका-टोकी के बीच कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘प्रधानमंत्री और देश की सरकार की मदद से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का हजारों करोड़ रुपये अडाणी जी को मिलता है.’

उनका कहना था, ‘हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी जी की विदेश में शेल कंपनियां हैं. इन कंपनियों से भारत में जो पैसा आ रहा है, वह किसका है? यह पता लगाना देश की सरकार की जिम्मेदारी है कि येल कंपनियां किसकी हैं और जो पैसा आ रहा है वह किसका है?’

कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री और अडानी की एक तस्वीर भी दिखाई, जिस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन में यह न दिखाएं.

कांग्रेस नेता ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘पहले मोदी जी अडानी के विमान में घूमते थे और अब अडानी जी प्रधानमंत्री जी के जहाज में घूमते हैं.’

उन्होंने यह भी तंज भी कसा, ‘हार्वर्ड (अमेरिकी संस्थान) को अध्ययन करना चाहिए कि राजनीति और कारोबार का क्या रिश्ता होता है? नरेंद्र मोदी जी को इसमें स्वर्ण पदक मिलेगा.’

उन्होंने यह भी कहा कि वह अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान देश में जहां भी गए, हर जगह ‘अडानी’ नाम सुनने को मिला.

उद्योगपति गौतम अडानी के समूह से जुड़े हालिया घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में उनके नाम का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा, ‘मैं देश में जहां-जहां गया, हर जगह एक ही नाम ‘अडानी’ सुनाई दिया; लोगों ने पूछा कि इनका हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री के साथ क्या रिश्ता है.’

द हिंदू के मुताबिक, राहुल गांधी ने कहा, ‘मुझसे यात्रा के दौरान लोगों ने पूछा कि एलआईसी का पैसा अडानी समूह में क्यों डाला जा रहा है. उन्होंने यह भी पूछा कि अडानी के शेयर जो अस्थिर हैं, उसमें एलआईसी का पैसा क्यों लगाया जा रहा है. मैं कहना चाहता हूं कि सरकार और प्रधानमंत्री अडानी की मदद कैसे करते हैं- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से हजारों करोड़ रुपये अडानी को दिए जाते हैं.’

रक्षा सौदे को लेकर राहुल गांधी ने कहा, ‘अडानी ने कभी ड्रोन नहीं बनाया जबकि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ऐसा करता था और अन्य कंपनियां करती हैं. प्रधानमंत्री इजराइल जाते हैं और अडानी को ठेका मिलता है. उनकी चार डिफेंस फर्म हैं और यह काम उन्होंने पहले नहीं किया था. छोटे हथियार, स्नाइपर राइफल्स, सभी अडानी द्वारा बनाए गए हैं.’

कांग्रेस नेता ने रफाल सौदे को लेकर सोमवार को एचएएल में एक कार्यक्रम के दौरान विपक्ष पर सरकार के खिलाफ झूठे आरोप लगाने का आरोप लगाने के लिए भी प्रधानमंत्री पर निशाना साधा.

उन्होंने कहा, ‘कल प्रधानमंत्री ने एचएएल में कहा कि हमने गलत आरोप लगाए. लेकिन वास्तव में एचएएल का 126 विमानों का अनुबंध अनिल अंबानी के पास गया, जो बाद में दिवालिया हो गए.’

मालूम हो कि अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे, जिसके बाद समूह की कंपनियों के शेयरों में पिछले कुछ दिन में भारी गिरावट आई है. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से  ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.

रिपोर्ट सामने आने के बाद अडानी समूह ने बीते 26 जनवरी को कहा था कि वह अपनी प्रमुख कंपनी के शेयर बिक्री को नुकसान पहुंचाने के प्रयास के तहत ‘बिना सोचे-विचारे’ काम करने के लिए हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ ‘दंडात्मक कार्रवाई’ को लेकर कानूनी विकल्पों पर गौर कर रहा है.

इसके जवाब में हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा था कि वह अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह कायम है. कंपनी ने यह भी कहा था कि अगर अडानी समूह गंभीर है, तो उसे अमेरिका में भी मुकदमा दायर करना चाहिए, जहां हम काम करते हैं. हमारे पास कानूनी प्रक्रिया के दौरान मांगे जाने वाले दस्तावेजों की एक लंबी सूची है.

बीते 30 जनवरी को अडानी समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के जवाब में 413 पृष्ठ का ‘स्पष्टीकरण’ जारी किया है. अडानी समूह ने इन आरोपों के जवाब में कहा था कि यह हिंडनबर्ग द्वारा भारत पर सोच-समझकर किया गया हमला है. समूह ने कहा था कि ये आरोप और कुछ नहीं सिर्फ ‘झूठ’ हैं.

समूह ने कहा था, ‘यह केवल किसी विशिष्ट कंपनी पर एक अवांछित हमला नहीं है, बल्कि भारत, भारतीय संस्थाओं की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता, तथा भारत की विकास गाथा और महत्वाकांक्षाओं पर एक सुनियोजित हमला है.’

अडानी समूह के इस जवाब पर पलटवार करते हुए हिंडनबर्ग समूह की ओर से बीते 31 जनवरी को कहा गया था कि धोखाधड़ी को ‘राष्ट्रवाद’ या ‘कुछ बढ़ा-चढ़ाकर प्रतिक्रिया’ से ढका नहीं जा सकता. भारत एक जीवंत लोकतंत्र और उभरती महाशक्ति है. अडानी समूह ‘व्यवस्थित लूट’ से भारत के भविष्य को रोक रहा है.

हिंडनबर्ग की ओर से कहा गया था, ‘हम असहमत हैं. स्पष्ट होने के लिए हम मानते हैं कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और एक रोमांचक भविष्य के साथ एक उभरती हुई महाशक्ति है. हम यह भी मानते हैं कि भारत का भविष्य अडानी समूह द्वारा रोका जा रहा है, जिसने देश को व्यवस्थित रूप से लूटते हुए खुद को राष्ट्रवाद के आवरण में लपेट लिया है.’

हिंडनबर्ग रिसर्च ने प्रतिक्रिया में कहा कि धोखाधड़ी, धोखाधड़ी ही होती है चाहे इसे दुनिया के सबसे अमीर आदमी ने अंजाम क्यों न दिया हो.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अरबपति गौतम अडानी द्वारा नियंत्रित समूह की प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों के पास ‘पर्याप्त ऋण’ था, जिसने पूरे समूह को ‘अनिश्चित वित्तीय स्थिति’ में डाल दिया है.

साथ ही दावा किया गया था कि उसके दो साल के शोध के बाद पता चला है कि 17,800 अरब रुपये मूल्य वाले अडानी समूह के नियंत्रण वाली मुखौटा कंपनियां कैरेबियाई और मॉरीशस से लेकर यूएई तक में हैं, जिनका इस्तेमाल भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी को अंजाम देने के लिए किया गया.

इसके बाद बीते 1 फरवरी को अडानी एंटरप्राइजेज ने अपने 20 हजार करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) को वापस लेने और निवेशकों का पैसा लौटाने की घोषणा की थी.

एफपीओ एक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा एक कंपनी, जो पहले से ही एक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है, निवेशकों या मौजूदा शेयरधारकों, आमतौर पर प्रमोटरों को नए शेयर जारी करती है. एफपीओ का उपयोग कंपनियां अपने इक्विटी आधार में विविधता लाने के लिए करती हैं.

एक कंपनी आईपीओ की प्रक्रिया से गुजरने के बाद एफपीओ लाती है, और इसके जरिये कंपनी जनता के लिए अपने अधिक शेयर उपलब्ध कराने या किसी ऋण का भुगतान करने या अपने लिए पूंजी जुटाने के लिए करती है.

‘अग्निपथ योजना को सेना पर थोपा गया है’

राहुल गांधी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि ‘अग्निपथ’ योजना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और गृह मंत्रालय द्वारा लाई गई है और इसे सेना पर थोपा गया है.

उन्होंने अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के अनुभव का उल्लेख किया और कहा कि उन्हें इस दौरान जनता की आवाज को बहुत गहराई से सुनने का मौका मिला.

उन्होंने कहा, ‘यात्रा के दौरान मुझे बहुत कुछ सुनने को मिला. सबसे ज्यादा जिन मुद्दों के बारे में लोगों ने मुझसे कहा, उनमें बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की समस्याएं प्रमुख हैं.’

राहुल गांधी ने कहा कि हिंदुस्तान के युवा सत्तारूढ़ भाजपा की बात से सहमत नहीं है कि युवाओं को ‘अग्निवीर’ बनाने वाली योजना से उन्हें फायदा होगा. उन्होंने कहा, ‘सेना के वरिष्ठ अधिकारियों और अनेक लोगों ने मुझसे कहा कि यह योजना आरएसएस और गृह मंत्रालय से आई है. यह योजना सेना से नहीं आई है. यह योजना सेना पर थोपी गई है.’

कांग्रेस नेता ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में बहुत सारी बातें बोली गईं, लेकिन अग्निपथ योजना के बारे में सिर्फ एक बार बोला गया और यह नहीं बताया गया कि यह योजना कहां से आई, किसने बनाई.

उन्होंने देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) का नाम लेते हुए दावा किया कि यह योजना उन्होंने बनाई है. राहुल गांधी ने दावा किया, ‘राष्ट्रपति के अभिभाषण में बेरोजगारी और महंगाई जैसे शब्द एक भी बार नहीं आए.’

मालूम हो कि ‘अग्निपथ योजना’ की घोषणा बीते 14 जून को केंद्र की मोदी सरकार द्वारा की गई थी, जिसमें साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच के युवाओं को केवल चार वर्ष के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है. चार साल बाद इनमें से केवल 25 प्रतिशत युवाओं की सेवा नियमित करने का प्रावधान है.

इस योजना के खिलाफ कई राज्यों में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. बाद में सरकार ने 2022 में भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को एक साल के लिए बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)