आरोग्य सेतु ऐप साल 2020 में अपनी लॉन्चिंग के साथ सवालों के घेरे में था. साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना था कि सरकार इस ऐप के ज़रिये नागरिकों की काफ़ी निजी जानकारी इकट्ठा करती है, जो अप्रत्यक्ष रूप से निगरानी के लिए इस्तेमाल की जा सकती है. केंद्र सरकार ने इन चिंताओं को ख़ारिज कर दिया था.
नई दिल्ली: महामारी के खिलाफ लड़ाई के दौरान कोविड-19 के संभावित मामलों का पता लगाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप की शुरुआत की थी. हवाई यात्रा से पहले इसका ऐप मोबाइल फोन में रखना सरकार ने अनिवार्य कर दिया था. अब सरकार ने संसद में बताया है कि इस ऐप के माध्यम से एकत्र किए गए सभी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग डेटा को नष्ट कर दिया गया है.
सरकार की ओर से कहा गया है कि मोबाइल ऐप की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग सुविधा, जिसके उपयोग ने सुरक्षा संबंधी कई चिंताओं को जन्म दिया था, को अक्षम कर दिया गया है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कांग्रेस सांसद अमर सिंह द्वारा इस मोबाइल ऐप से संबंधित कई प्रश्नों के जवाब में यह जानकारी साझा की.
सिंह ने ऐप के माध्यम से एकत्र किए गए डेटा को नियंत्रित करने वाले वर्तमान कानून का विवरण मांगने के साथ पूछा था कि क्या इसके द्वारा 10 मई, 2022 तक एकत्र किए गए डेटा को आरोग्य सेतु डेटा एक्सेस और नॉलेज शेयरिंग प्रोटोकॉल, 2020 के अनुसार हटा दिया गया है.
इसके जवाब में चंद्रशेखर ने कहा, ‘आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत गठित राष्ट्रीय कार्यकारी समिति ने 29/03/2020 को एक आदेश जारी कर समस्या क्षेत्रों की पहचान करने और प्रभावी समाधान प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी और डेटा प्रबंधन पर एक अधिकार प्राप्त समूह का गठन करने को कहा था. और कोविड-19 महामारी के संबंध में इन योजनाओं के प्रभावी और समयबद्ध कार्यान्वयन के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए गए.’
उनके अनुसार, ‘अधिकार प्राप्त समूह के एक निर्णय के अनुसार, इसके अध्यक्ष ने आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप द्वारा डेटा के सुरक्षित संग्रह, व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा और व्यक्तियों तथा कोविड-19 महामारी के शमन एवं निवारण के लिए व्यक्तिगत या गैर-व्यक्तिगत डेटा का कुशल उपयोग और शेयरिंग सुनिश्चित करने के लिए आरोग्य सेतु डेटा एक्सेस और नॉलेज शेयरिंग प्रोटोकॉल, 2020 को अधिसूचित करते हुए दिनांक 11/5/2020 को एक आदेश जारी किया था.’
उन्होंने कहा, ‘उक्त प्रोटोकॉल के प्रावधानों के अनुसार, आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप की संपर्क ट्रेसिंग सुविधा को बंद कर दिया गया है और इसके माध्यम से एकत्र डेटा को हटा दिया गया है.’
मंत्री ने यह भी कहा, ‘स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, राज्य के स्वास्थ्य विभागों, राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों और जिला सिविल सर्जनों के स्वीकृत अधिकारियों को आरोग्य सेतु के माध्यम से एकत्र किए गए डेटा तक सुरक्षित पहुंच प्रदान की गई थी.’
रिपोर्ट के मुताबिक, आरोग्य सेतु ऐप को 2020 की शुरुआत में लोगों के बीच निकट संपर्क (Contact) का पता लगाने के लिए विकसित किया गया था, ताकि उनमें से किसी के कोविड-19 से संक्रमित होने की स्थिति में उनसे संपर्क किया जा सके.
इस प्रक्रिया के लिए उपयोगकर्ताओं को अपने मोबाइल नंबर, नाम, लिंग, आयु के साथ क्या वे कानून प्रवर्तन या स्वास्थ्य देखभाल जैसे उच्च जोखिम वाले व्यवसाय समूह से संबंधित हैं, की घोषणा करने की आवश्यकता थी.
ऐप के माध्यम से नियमित रूप से लोगों से उनके स्वास्थ्य का ‘स्व-मूल्यांकन’ करने के लिए कहा गया था, जैसे कि क्या उनमें कोविड-19 से जुड़े लक्षणों में से कोई है या उनमें शुगर, ब्लड प्रेशर या मोटापे जैसे कारक हैं, जो उन्हें रोग के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं.
हालांकि साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों और पूर्व खुफिया अधिकारियों ने इसके जरिये लाखों भारतीयों के डेटा के संभावित उल्लंघन पर चिंता जताई गई थी. विशेषज्ञों का कहना था कि सरकार इस ऐप के जरिये नागरिकों की बहुत सारी काफी निजी जानकारी इकट्ठा करती है, जो अप्रत्यक्ष रूप से निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
भारत सरकार के अधिकारियों ने चिंताओं को खारिज करते हुए कहा था कि उनके एन्क्रिप्शन मानकों में डेटा या नेटवर्क उल्लंघनों के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा है.
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, कम से कम 21 करोड़ 82 लाख लोगों ने इस ऐप में लॉगिन किया था. एक समय ऑफिस जाने वालों के साथ-साथ फ्लाइट लेने वालों के लिए भी इसे अनिवार्य कर दिया गया था.
गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों में कहा गया था कि एंप्लॉयर यानी नियोक्ता सभी ऑफिसों और कार्यस्थलों के कर्मचारियों के फोन में आरोग्य सेतु ऐप इंस्टॉल कराने की हरसंभव कोशिश करेंगे.
इसके अलावा जिला प्रशासन को भी कहा गया था कि वे निर्देश जारी कर लोगों से आरोग्य सेतु ऐप इंस्टाल करवाएं ताकि समय रहते खतरे का पता लगने पर स्वास्थ्य सेवाओं के उचित इंतजाम किए जा सकें.
मालूम हो कि जनवरी 2021 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में केंद्र और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र एनआईसी को आरोग्य सेतु ऐप के जरिये एकत्र किए गए डेटा को साझा करने से रोक दिया था. अदाल ने कहा था कि यूजर्स की सहमति के बिना ऐसा नहीं किया जा सकता है.
अक्टूबर 2020 में द वायर ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि कोविड-19 के प्रसार की रोकथाम के रूप में मोदी सरकार द्वारा बहुप्रचारित आरोग्य सेतु ऐप एक बार फिर से आलोचना के घेरे में है.
कोविड-19 के प्रसार की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा आरोग्य सेतु ऐप के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा था, हालांकि उसे किसने बनाया इस बारे में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र को कोई जानकारी नहीं थी. केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने सरकार के इस जवाब को ‘अतर्कसंगत’ करार दिया था.
इस ऐप को बनाने वालों के बारे में कोई जानकारी नहीं देने पर केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने कड़ी फटकार लगाई था और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र को कारण बताओ नोटिस जारी किया था.
इस रिपोर्ट में बताया था कि आरोग्य सेतु ऐप से कितनों को कोरोना जांच की सलाह दी गई, सरकार के पास इसकी जानकारी नहीं थी.
सितंबर 2020 में द वायर ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए मोदी सरकार द्वारा लाए गए आरोग्य सेतु ऐप के प्रचार में केंद्र ने करीब 4.15 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. ये राशि सिर्फ साढ़े तीन महीने के भीतर में खर्च की गई थी.