हिंडनबर्ग रिसर्च पर न कभी प्रतिबंध लगा, न उसके ख़िलाफ़ कोई जांच चल रही है: संस्थापक एंडरसन

अडानी समूह के ख़िलाफ़ धोखाधड़ी का आरोप लगाने वाली रिपोर्ट जारी करने के बाद सोशल मीडिया पर ऐसी ख़बरें चलने लगी थीं कि हिंडनबर्ग रिसर्च के ख़िलाफ़ अमेरिका में तीन मामलों की जांच चल रही है, इसके बैंक एकाउंट जब्त कर दिए गए हैं और इसे न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों पर रिपोर्ट जारी करने से रोक दिया गया है.

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(फोटो साभार: फेसबुक/ट्विटर)

अडानी समूह के ख़िलाफ़ धोखाधड़ी का आरोप लगाने वाली रिपोर्ट जारी करने के बाद सोशल मीडिया पर ऐसी ख़बरें चलने लगी थीं कि हिंडनबर्ग रिसर्च के ख़िलाफ़ अमेरिका में तीन मामलों की जांच चल रही है, इसके बैंक एकाउंट जब्त कर दिए गए हैं और इसे न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों पर रिपोर्ट जारी करने से रोक दिया गया है.

(फोटो साभार: फेसबुक/ट्विटर)

नई दिल्ली: अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च के संस्थापक नाथन (नेट) एंडरसन ने कहा है कि उनकी कंपनी पर कभी प्रतिबंध नहीं लगा और न ही कभी उसके बैंक एकाउंट पर रोक लगाई गई. साथ ही कंपनी के खिलाफ कोई जांच भी नहीं चल रही है.

हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट में धोखाधड़ी के आरोप लगने के बाद अडानी समूह के शेयर गिरने से समूह की कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 100 अरब डॉलर से ज्यादा नीचे आ चुका है.

अडानी समूह के खिलाफ 24 जनवरी को उद्योग जगत की सबसे बड़ी धोखाधड़ी का आरोप लगाने वाली 100 पृष्ठ की रिपोर्ट जारी करने के बाद सोशल मीडिया पर ऐसी खबरें चलने लगी थीं कि हिंडनबर्ग के खिलाफ अमेरिका में तीन आपराधिक मामलों की जांच चल रही है और इसलिए इसे वित्तीय उद्योग नियामक प्राधिकरण (एफआईएनआरए) द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया है, इसके बैंक एकाउंट जब्त कर दिए गए हैं और इसे न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (एनवाईएसई) में सूचीबद्ध कंपनियों पर कोई भी रिपोर्ट जारी करने से रोक दिया गया है.

एंडरसन ने ट्विटर पर एक रिपोर्ट साझा करते हुए ऐसी किसी भी खबर को खारिज करते हुए कहा कि हिंडनबर्ग न कभी प्रतिबंधित हुई है न ही उसके खिलाफ कोई जांच चल रही है.

उन्होंने कहा, ‘हम पर एफआईएनआरए ने प्रतिबंध लगा दिया है. (कभी नहीं.) हमारे बैंक एकाउंट जब्त कर लिए गए हैं (नहीं). एनवाईएसई पर सूचीबद्ध कंपनी पर कोई रिपोर्ट प्रकाशित नहीं कर सकते (ऐसा नहीं है). हमारे खिलाफ जांच जारी है (नहीं).’

हिंडनबर्ग को एंडरसन ने 2017 में स्थापित किया था.

हिंडनबर्ग इससे पहले लॉर्ड्सटाउन मोटर्स कॉरपोरेशन (अमेरिका), कांडी (चीन), निकोला मोटर कंपनी (अमेरिका), क्लोवर हेल्थ (अमेरिका) और टेक्नोग्लास (कोलंबिया) के खिलाफ भी रिपोर्ट प्रकाशित कर चुकी है.

हिंडनबर्ग ने इनके अलावा अडानी समूह पर रिपोर्ट प्रकाशित करने से दो महीने से भी कम समय पहले एनवाईएसई में सूचीबद्ध कंपनी वेलटॉवर इंक के खिलाफ भी रिपोर्ट प्रकाशित की थी.

मालूम हो कि अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे, जिसके बाद समूह की कंपनियों के शेयरों में पिछले कुछ दिन में भारी गिरावट आई है. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.

रिपोर्ट सामने आने के बाद अडानी समूह ने बीते 26 जनवरी को कहा था कि वह अपनी प्रमुख कंपनी के शेयर बिक्री को नुकसान पहुंचाने के प्रयास के तहत ‘बिना सोचे-विचारे’ काम करने के लिए हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ ‘दंडात्मक कार्रवाई’ को लेकर कानूनी विकल्पों पर गौर कर रहा है.

इसके जवाब में हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा था कि वह अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह कायम है. कंपनी ने यह भी कहा था कि अगर अडानी समूह गंभीर है, तो उसे अमेरिका में भी मुकदमा दायर करना चाहिए, जहां हम काम करते हैं. हमारे पास कानूनी प्रक्रिया के दौरान मांगे जाने वाले दस्तावेजों की एक लंबी सूची है.

इसके बाद बीते 30 जनवरी को अडानी समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के जवाब में 413 पृष्ठ का ‘स्पष्टीकरण’ जारी किया था. अडानी समूह ने इन आरोपों के जवाब में कहा था कि यह हिंडनबर्ग द्वारा भारत पर सोच-समझकर किया गया हमला है. समूह ने कहा था कि ये आरोप और कुछ नहीं सिर्फ ‘झूठ’ हैं.

समूह ने कहा था, ‘यह केवल किसी विशिष्ट कंपनी पर एक अवांछित हमला नहीं है, बल्कि भारत, भारतीय संस्थाओं की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता, तथा भारत की विकास गाथा और महत्वाकांक्षाओं पर एक सुनियोजित हमला है.’

अडानी समूह के इस जवाब पर पलटवार करते हुए हिंडनबर्ग समूह की ओर से बीते 31 जनवरी को कहा गया था कि धोखाधड़ी को ‘राष्ट्रवाद’ या ‘कुछ बढ़ा-चढ़ाकर प्रतिक्रिया’ से ढका नहीं जा सकता. भारत एक जीवंत लोकतंत्र और उभरती महाशक्ति है. अडानी समूह ‘व्यवस्थित लूट’ से भारत के भविष्य को रोक रहा है.

हिंडनबर्ग की ओर से कहा गया था, ‘हम असहमत हैं. स्पष्ट होने के लिए हम मानते हैं कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और एक रोमांचक भविष्य के साथ एक उभरती हुई महाशक्ति है. हम यह भी मानते हैं कि भारत का भविष्य अडानी समूह द्वारा रोका जा रहा है, जिसने देश को व्यवस्थित रूप से लूटते हुए खुद को राष्ट्रवाद के आवरण में लपेट लिया है.’

हिंडनबर्ग रिसर्च ने प्रतिक्रिया में कहा कि धोखाधड़ी, धोखाधड़ी ही होती है चाहे इसे दुनिया के सबसे अमीर आदमी ने अंजाम क्यों न दिया हो.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अरबपति गौतम अडानी द्वारा नियंत्रित समूह की प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों के पास ‘पर्याप्त ऋण’ था, जिसने पूरे समूह को ‘अनिश्चित वित्तीय स्थिति’ में डाल दिया है.

साथ ही दावा किया गया था कि उसके दो साल के शोध के बाद पता चला है कि 17,800 अरब रुपये मूल्य वाले अडानी समूह के नियंत्रण वाली मुखौटा कंपनियां कैरेबियाई और मॉरीशस से लेकर यूएई तक में हैं, जिनका इस्तेमाल भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी को अंजाम देने के लिए किया गया.

इसके बाद बीते 1 फरवरी को अडानी एंटरप्राइजेज ने अपने 20 हजार करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) को वापस लेने और निवेशकों का पैसा लौटाने की घोषणा की थी. समूह द्वारा एफपीओ लाए जाने के दौरान ही हिंडनबर्ग की ओर से रिपोर्ट जारी की गई थी.

एफपीओ एक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा एक कंपनी, जो पहले से ही एक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है, निवेशकों या मौजूदा शेयरधारकों, आमतौर पर प्रमोटरों को नए शेयर जारी करती है. एफपीओ का उपयोग कंपनियां अपने इक्विटी आधार में विविधता लाने के लिए करती हैं.

एक कंपनी आईपीओ की प्रक्रिया से गुजरने के बाद एफपीओ लाती है, और इसके जरिये कंपनी जनता के लिए अपने अधिक शेयर उपलब्ध कराने या किसी ऋण का भुगतान करने या अपने लिए पूंजी जुटाने के लिए करती है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)