तीन दिवसीय उत्तर प्रदेश ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ किया, जहां मुकेश अंबानी, कुमार मंगलम बिड़ला समेत अन्य उद्योगपति मौजूद रहे, हालांकि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद सवालों के घेरे में आए उद्योगपति गौतम अडानी वहां नहीं पहुंचे.
नई दिल्ली: अडानी समूह के नियामकों के निशाने पर आने के संकट के बीच इसके संस्थापक गौतम अडानी शुक्रवार को लखनऊ में वैश्विक निवेशकों के शिखर सम्मेलन में अनुपस्थित रहे.
रिपोर्ट के अनुसार, तीन दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मुकेश अंबानी एवं कुमार मंगलम बिड़ला समेत प्रमुख उद्योगपतियों की उपस्थिति में किया था.
खबरों के मुताबिक, शीर्ष उद्योगपतियों ने इस आयोजन में इंफ्रास्ट्रक्चर और व्यापार विकास में अरबों डॉलर खर्च करने की प्रतिबद्धता जताई.
राज्य के बुनियादी ढांचा एवं उद्योग मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अडानी समूह ने लगभग 60,000-70,000 करोड़ रुपये का निवेश करने का वादा किया है, हालांकि सम्मेलन में कंपनी का प्रतिनिधित्व कौन करता है, यह देखा जाना बाकी है.
यह भी ज्ञात नहीं है कि अडानी समिट के बाकी दिन शामिल होंगे या नहीं , लेकिन वे शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के दिन दिखाई नहीं दिए – एकमात्र दिन जिसमें प्रधानमंत्री ने भाग लिया था.
अडानी अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी के आरोपों का सामना कर रहे हैं, जिसके चलते भारतीय और वैश्विक नियामकों के निशाने पर आ गए हैं. अडानी ने आरोपों का खंडन किया है, उन्हें ‘दुर्भावनापूर्ण’, ‘आधारहीन’ और ‘भारत पर सुनियोजित हमला’ करार दिया है.
रिपोर्ट जारी होने के बाद से समूह का मूल्यांकन लगभग आधा हो गया है. अडानी दुनिया के टॉप 10 सबसे अमीर लोगों की लिस्ट से भी बाहर हो गए हैं.
प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनके घनिष्ठ संबंधों पर सवाल न केवल विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए हैं बल्कि विभिन्न मीडिया आउटलेट्स ने भी इस संबंध में रिपोर्ट की हैं. हालांकि, अडानी ने इस बात से इनकार किया है कि अपने व्यापारिक साम्राज्य को बढ़ाने के लिए उन्हें प्रधानमंत्री से कोई मदद मिली है.
ब्लूमबर्ग ने बताया है कि कैसे अडानी के साम्राज्य को हुआ गंभीर नुकसान मोदी की आर्थिक योजनाओं को पटरी से उतार सकता है क्योंकि यह समूह भारत में खानों, बंदरगाहों और हवाई अड्डों सहित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के सबसे बड़े हिस्सा का संचालन करता है.
फाइनेंशयल टाइम्स ने बताया है कि अडानी समूह के प्रमोटरों को को 500 मिलियन डॉलर (करीब 4,100 करोड़ रुपये) से अधिक के मार्जिन कॉल का सामना करने के बाद 6 फरवरी को 1.11 बिलियन डॉलर (लगभग 9,200 करोड़ रुपये) के ऋण का भुगतान करना पड़ा.
फोर्ब्स के मुताबिक, मार्जिन कॉल एक चेतावनी है कि आपको अपने मार्जिन खाते को अच्छी स्थिति में वापस लाने की जरूरत है. आपको अपने खाते में नकद या अतिरिक्त प्रतिभूतियों को जमा करना पड़ सकता है, या आपको उधार ली गई राशि से पूरी तरह से अपनी संपत्ति के अनुपात को बढ़ाने के लिए प्रतिभूतियों को बेचने की आवश्यकता हो सकती है.
दुनिया के सबसे बड़े शेयर निवेशक नॉर्वे के सॉवरेन वेल्थ फंड ने कहा है कि उसने अडानी समूह में लगभग 200 मिलियन डॉलर की अपनी हिस्सेदारी बेच दी है.
इसके अतिरिक्त, वित्तीय सूचकांक प्रदाता एमएससीआई ने भी समीक्षा की बात कही है.