नागरिकों के विरोध के बीच लद्दाख के उपराज्यपाल हटाए गए, कई अन्य राज्यों के राज्यपाल बदले

सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी आरके माथुर को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद अस्तित्व में आए केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख का पहला उपराज्यपाल नियुक्त किया गया था. क्षेत्र को छठी अनुसूची में लाने की मांग के लिए हो रहे प्रदर्शनों के बीच स्थानीयों ने एलजी की भूमिका पर भी सवाल उठाए थे.

सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी आरके माथुर को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद अस्तित्व में आए केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख का पहला उपराज्यपाल नियुक्त किया गया था. क्षेत्र को छठी अनुसूची में लाने की मांग के लिए हो रहे प्रदर्शनों के बीच स्थानीयों ने एलजी की भूमिका पर भी सवाल उठाए थे.

लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली/मुंबई/जयपुर: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर को हटा दिया है. इस वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इस संबंध में द हिंदू को बताया है.

भारत के राष्ट्रपति कार्यालय के एक संदेश में कहा गया है कि अरुणाचल प्रदेश के वर्तमान राज्यपाल ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बीडी मिश्रा को लद्दाख का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. इसमें कहा गया है कि माथुर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है.

यह कदम लद्दाख में सिविल सोसाइटी समूहों द्वारा किए जा रहे आंदोलन के बीच आया है. बता दें कि लेह अपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) नव निर्मित केंद्र शासित प्रदेश के लिए कई संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे हैं, जैसे कि संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना जो आदिवासी बहुल क्षेत्रों को सुरक्षा प्रदान करती है.

दोनों शक्तिशाली निकायों ने 15 फरवरी को दिल्ली में एक विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है.

1977 बैच के सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक अधिकारी (आईएएस) माथुर को लद्दाख के पहले राज्यपाल के रूप में वर्ष 2109 में नियुक्त किया गया था. यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को प्राप्त विशेष राज्य का दर्जा छीने जाने के बाद लिया गया था.

अनुच्छेद 370 हटाने के साथ जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था, जम्मू कश्मीर और लद्दाख. लद्दाख के पास विधानसभा नहीं है. स्थानीय लोगों ने उपराज्यपाल के हाथों में सत्ता के चाबी और उनके बाहरी होने पर कई साल उठाए थे.

बीते दिनों, लद्दाख के शिक्षा सुधारक और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने कहा था, ‘पहले विधानसभा (जम्मू और कश्मीर) में हमारे चार विधायक थे, अब हमारे पास जीरो प्रतिनिधित्व है. एलजी, जो एक बाहरी व्यक्ति हैं, को हम पर शासन करने के लिए भेजा जाता है. एक आदमी सब कुछ तय करता है. लद्दाख को आवंटित 6,000 करोड़ रुपये का 90% एक गैर-निर्वाचित व्यक्ति के फैसले पर है. वह दबाव या आर्थिक लाभ के चलते कोई भी फैसला ले सकते हैं. जब तक वह मुद्दों को समझेंगे, तब तक उनके जाने का समय हो जाएगा. हम पूर्ण राज्य की मांग कर रहे हैं ताकि हमारी आवाज सुनी जा सके.’

महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से कोश्यारी के इस्तीफे का एनसीपी, उद्धव नीत शिवसेना ने स्वागत किया

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख जयंत पाटिल ने राज्य के राज्यपाल पद से भगत सिंह कोश्यारी के इस्तीफे का रविवार को स्वागत किया और कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि यहां राज भवन में उनका स्थान लेने वाला नया राज्यपाल ‘भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) की कठपुतली’ नहीं होगा.

राष्ट्रपति भवन की एक विज्ञप्ति में रविवार को बताया गया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कोश्यारी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और उनकी जगह झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया है.

एनसीपी नेता जयंत पाटिल ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया, ‘मुझे उम्मीद है कि नए राज्यपाल पूर्ववर्ती (कोश्यारी) की तरह भाजपा की कठपुतली नहीं होंगे. हम महाराष्ट्र का राज्यपाल बदलने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं, क्योंकि महा विकास आघाड़ी की यह मांग थी.’

उन्होंने कहा, ‘पिछले राज्यपाल ने राज्य के सामाजिक आदर्शों के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी करने के साथ-साथ वर्तमान असंवैधानिक राज्य सरकार के शपथग्रहण समारोह का आयोजन करके अपने पद के कद को कम किया था. हम महाराष्ट्र के नए राज्यपाल की नियुक्ति की खबर का स्वागत करते हैं.’

गौरतलब है कि मौजूदा मुख्यंत्री एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की महाविकास आघाड़ी सरकार गई थी. इसके बाद शिंदे-भाजपा गठबंधन ने सरकार बनाई थी.

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के विधायक और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने भी कोश्यारी के इस्तीफे का स्वागत किया.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘महाराष्ट्र के लिए बड़ी जीत. महाराष्ट्र विरोधी राज्यपाल का इस्तीफा आखिरकार स्वीकार कर लिया गया.’

विधायक ने कहा, ‘छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले, हमारे संविधान, विधानसभा और लोकतांत्रिक आदर्शों का लगातार अपमान करने वाले को राज्यपाल के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता.’

कोश्यारी के कुछ बयानों को लेकर हाल में विवाद छिड़ने के बाद राज्य के राजभवन ने पिछले महीने घोषणा की थी कि वह पद से इस्तीफा देना चाहते हैं.

वहीं, उन्हें हटाए जाने की मांग के समर्थन में कुछ समय पहले प्रदर्शन भी हुए थे और सत्ता पक्ष के विधायक ने भी उन्हें राज्य से बाहर भेजे जाने की मांग की थी.

राजस्थान: कटारिया बने राज्यपाल, भाजपा को चुनना होगा नया नेता प्रतिपक्ष

राजस्थान में भाजपा के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक गुलाबचंद कटारिया (78) को असम का राज्यपाल नियुक्त किए जाने के बाद पार्टी को अब विधानसभा में नया नेता प्रतिपक्ष चुनना होगा.

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कई राज्यों के लिए नए राज्यपाल नियुक्त किए, जिनमें कटारिया भी शामिल हैं.

कटारिया को रविवार को असम का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. फिलहाल राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कटारिया आठवीं बार विधायक हैं और अपने लंबे राजनीतिक जीवन में वह गृह, शिक्षा, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रह चुके हैं.

वह 2003 से लगातार उदयपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं. एक बार सांसद भी निर्वाचित हो चुके हैं.

राज्यपाल नियुक्त किए जाने की घोषणा के बाद कटारिया ने यहां संवाददाताओं से कहा कि उन्हें पहले इसकी कोई जानकारी नहीं थी. हालांकि परसों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी बात हुई थी.

कटारिया ने कहा, ‘मुझे इसकी जानकारी नहीं थी. परसों प्रधानमंत्री जी ने फोन जरूर किया कि कैसे हैं, क्या चल रहा है.. बस इतना पूछा.. इससे अधिक कोई जानकारी नहीं थी.’

इसके अलावा कटारिया ने कहा कि उन्होंने कभी पार्टी से कोई पद नहीं मांगा, जो जिम्मेदारी दी गई उसे निभाया है.

कटारिया राज्य के उदयपुर संभाग से आते हैं और राजनीतिक जानकारों के अनुसार इस साल के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उनके राज्यपाल बनने से पार्टी के राज्य संगठन को बड़ा संकेत मिला है.

राष्ट्रपति मुर्मू ने छह नए राज्यपाल नियुक्त किए हैं

बहरहाल, भाजपा के चार नेता और उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एस. अब्दुल नजीर सहित छह नए चेहरों को रविवार को राज्यपाल नियुक्त किया गया.

जस्टिस नजीर अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ के सदस्य थे.

भाजपा नेताओं लक्ष्मण प्रसाद आचार्य, सीपी राधाकृष्णन, शिव प्रताप शुक्ला और राजस्थान में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया को क्रमशः सिक्किम, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और असम में राज्यपाल नियुक्त किया गया है.

महाराष्ट्र में कोश्यारी की जगह झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने ली है.

उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल और लेफ्टिनेंट जनरल केटी परनाइक (सेवानिवृत्त) को अरुणाचल प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)