मनरेगा योजना: केंद्र पर 14 राज्यों की 6,157 करोड़ रुपये की देनदारी बकाया

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के तहत केंद्र द्वारा 14 राज्यों को 6,157 करोड़ रुपये का बकाया देना बाकी है. इनमें 8 राज्य विपक्ष शासित हैं. लगभग 2,700 करोड़ रुपये अकेले पश्चिम बंगाल को देना बाकी है.

(फोटो साभार: UN Women/Gaganjit Singh/Flickr CC BY-NC-ND 2.0)

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के तहत केंद्र द्वारा 14 राज्यों को 6,157 करोड़ रुपये का बकाया देना बाकी है. इनमें 8 राज्य विपक्ष शासित हैं. लगभग 2,700 करोड़ रुपये अकेले पश्चिम बंगाल को देना बाकी है.

फोटो: पीटीआई

नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष समाप्त होने में बस डेढ़ महीने का समय बचा है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की भौतिक घटक मद के तहत 14 राज्यों को 6,157 करोड़ रुपये का बकाया देना बाकी है, जिससे कुशल मजदूरों की मजदूरी और निर्माण सामग्री के लिए भुगतान होना है.

द हिंदू के मुताबिक, माकपा सांसद जॉन ब्रिटास के एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने पिछले बुधवार को राज्यसभा को बताया कि यह आंकड़ा तीन फरवरी तक की देनदारी का है.

14 राज्यों में से 8 विपक्ष शासित राज्य हैं. बकाये की सूची में लगभग 2,700 करोड़ रुपये केंद्र सरकार पर पश्चिम बंगाल के बकाया हैं. सरकार ने कथित तौर पर नियमों के उल्लंघन और व्यापक भ्रष्टाचार का हवाला देते हुए राज्य का एक साल से अधिक समय से भुगतान रोक दिया है.

केंद्र सरकार पर आंध्र प्रदेश का 836 करोड़ रुपये और कर्नाटक का 638 करोड़ रुपये बकाया है.

कार्यों के लिए सामग्री की आपूर्ति में देरी का योजना पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे आपूर्ति शृंखला टूट जाती है. देरी से होने वाले भुगतान के कारण विक्रेता सामग्री की आपूर्ति करने से कतराते हैं. इससे नए कार्यस्थलों पर काम शुरू करना मुश्किल हो जाता है. देश भर में पर्यवेक्षकों, जिनमें से अधिकांश महिलाएं हैं, को अपने वेतन में अत्यधिक देरी का सामना करना पड़ता है, क्योंकि उनका वेतन भी इसी मद से लिया जाता है.

पीपुल्स एक्शन फॉर एम्प्लॉयमेंट गारंटी (पीएईजी) ने एक हालिया बयान में कहा कि पिछले पांच वर्षों में बजट का 21 फीसदी पिछले वर्षों के बकाये को चुकाने में चला गया है. उनके अनुमान के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में बकाया राशि परिव्यय का लगभग 25 फीसदी है.

मनरेगा कार्यकर्ता निखिल डे कहते हैं कि नवीनतम बजट में केवल 60,000 करोड़ रुपये कार्यक्रम के लिए आवंटित किए गए हैं, जो 100 दिनों के गारंटीकृत कार्य के विपरीत केवल 20 दिनों का गारंटीकृत कार्य प्रदान करने के लिए पर्याप्त हैं.

वह बताते हैं, ‘इस साल सभी सक्रिय जॉब कार्डधारकों को 40 दिनों के काम का आश्वासन देने के लिए 1.24 लाख करोड़ रुपये की जरूरत थी. आज तक लगभग 17,000 करोड़ रुपये की देनदारियां लंबित हैं. बजट में दी गई राशि का मतलब वास्तव में आज की तारीख में काम पर जाने वालों के लिए लगभग 20 दिनों की गारंटी है.’

बजट में कटौती और 1 जनवरी से मोबाइल एप्लीकेशन पर उपस्थिति दर्ज कराने वाली राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली के विरोध में नरेगा संघर्ष मोर्चा प्रदर्शन कर रहा है.