31 दिसंबर 2007 को उत्तर प्रदेश के रामपुर स्थित सीआरपीएफ शिविर पर आतंकी हमला हुआ था, जिसके बाद पुलिस ने लगातार वाहनों की तलाशी ले रही थी. इसी क्रम में 2 जनवरी 2008 को सपा नेता आज़म ख़ान के काफिले को जांच के दौरान रोके जाने को लेकर वे नाराज़ हो गए थे और उनके समर्थकों ने सड़क जाम कर दिया था.
मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद की एक विशेष अदालत ने सोमवार को 15 साल पुराने मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव आजम खान और उनके विधायक पुत्र अब्दुल्ला आजम को दो साल की सजा सुनाई, जबकि मामले में सात लोगों को दोषमुक्त कर दिया.
जिला शासकीय अधिवक्ता (अपराध) नितिन गुप्ता ने बताया कि जांच के दौरान पुलिस से हुए विवाद में आजम खान समेत नौ लोगों के खिलाफ दर्ज एक मामले में यहां की एमपी/एमएलए अदालत की न्यायाधीश स्मिता गोस्वामी ने सोमवार को आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला को दो-दो साल की सजा और तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.
विशेष लोक अभियोजक मोहन लाल बिश्नोई ने बताया कि 2008 छजलैट प्रकरण में एमपी/एमएलए अदालत ने अपने फैसले में धारा 341 के तहत एक महीने की सजा और 300 रुपये का जुर्माना, धारा 353 के तहत दो साल की सजा और दो हजार रुपये जुर्माना, जबकि आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम की धारा 7 के तहत छह महीने की सजा और 500 रुपये का जुर्माना लगाया है. ये सभी सजा एक साथ चलेंगी.
31 दिसंबर 2007 की रात उत्तर प्रदेश के रामपुर स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के शिविर पर आतंकवादी हमला हुआ था, जिसके बाद पुलिस ने लगातार वाहनों की गहन तलाशी अभियान चलाया था. इसी क्रम में 2 जनवरी 2008 को सपा नेता आजम खान के काफिले को जांच के दौरान रोके जाने को लेकर वह नाराज हो गए. इसके बाद वह हरिद्वार राजमार्ग पर धरने पर बैठ गए और हंगामा किया.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, दोनों नेताओं को आईपीसी की धारा 341 (गलत तरीके से रोकना) और 353 (सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल प्रयोग) और आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम के तहत दोषी पाया गया था.
एक अन्य सरकारी वकील मोहनलाल विश्नोई ने कहा कि मामले के सात अन्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया. इनमें अमरोहा से सपा विधायक महबूब अली और पूर्व विधायक हकी इकराम कुरैशी और नईम-उल-हसन शामिल हैं. उन्होंने कहा कि अदालत ने अभियोजन पक्ष के कुल आठ और बचाव पक्ष के 17 गवाहों का परीक्षण किया था.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, मामला 2 जनवरी, 2008 का है, जब एक कार जिसमें अब्दुल्ला आजम और आजम खान यात्रा कर रहे थे, को मुरादाबाद जिले के छजलेट थाना क्षेत्र में उसकी खिड़कियों पर काली फिल्म लगी होने के कारण रोका गया था.
अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया था कि चेकिंग के दौरान कार चला रहे अब्दुल्ला आजम पुलिस के सामने वाहन के दस्तावेज पेश करने में विफल रहे. अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि इसके बाद बहस शुरू हुई, जिसके बाद गाड़ी में पीछे बैठे आजम खान बाहर निकल आए, जिससे विवाद बढ़ गया.
अभियोजन पक्ष ने कहा कि इसके बाद सपा के कई सदस्य मौके पर पहुंचे और सड़क जाम करते हुए पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन किया.
इस मामले को लेकर छजलैट थाना पुलिस ने आजम खान समेत नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था, तब से लेकर अभी तक मामले की सुनवाई चल रही थी.
वहीं, दूसरी ओर बचाव पक्ष के अधिवक्ता शाहनवाज हुसैन ने बताया कि अदालत में जमानत की अर्जी दी गई थी, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने आजम खान और अब्दुल्ला आजम को जमानत दे दी.
अब्दुल्ला आजम खान पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में रामपुर जिले के स्वार विधानसभा क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए हैं.
गौरतलब है कि यह दूसरा मामला है जिसमें यूपी के पूर्व मंत्री आजम खान को दोषी ठहराया गया है. पिछले साल 27 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश में रामपुर की एमपी/एमएलए अदालत ने सपा नेता एवं विधायक आजम खान को भड़काऊ भाषण देने के मामले में दोषी करार देते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई थी. उसके बाद आजम खान की उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई थी.
आजम खान पर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मिलक कोतवाली इलाके के खातानगरिया गांव में जनसभा को संबोधित करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को भला-बुरा कहने पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था.
भड़काऊ भाषण देने के मामले में विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने आजम खां को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 153-क (धार्मिक भावनाएं भड़काना), 505-क (विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के आशय से असत्य कथन) और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 (चुनाव के सिलसिले में विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य बढ़ाना) के तहत दोषी करार देते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई थी.
गौरतलब है कि 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से आजम खान के खिलाफ चोरी से लेकर भ्रष्टाचार तक के 87 मामले दर्ज किए गए.
जमीन कब्जाने से संबंधित मामले में वे करीब दो सालों तक जेल में रहे थे. इसी साल मई में सुप्रीम कोर्ट अंतरिम जमानत मिलने के बाद उन्हें जेल से रिहा किया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)