आरबीआई अधिनियम अडानी समूह पर बैंकों के ऋण जोख़िम का ख़ुलासा करने से रोकता है: केंद्र

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45ई के प्रावधान केंद्रीय बैंक को क्रेडिट जानकारी का ख़ुलासा करने से रोकते हैं.

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वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड. (फोटो साभार: यूट्यूब)

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45ई के प्रावधान केंद्रीय बैंक को क्रेडिट जानकारी का ख़ुलासा करने से रोकते हैं.

वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड. (फोटो साभार: यूट्यूब)

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने सोमवार (13 फरवरी) को कहा कि जीवन बीमा निगम ने 31 दिसंबर 2022 तक अडानी समूह में 35,917 करोड़ रुपये का निवेश किया है, और समूह की कंपनियों के लिए इसका कुल जोखिम इसकी कुल प्रबंधन के तहत संपत्ति (एसेट अंडर मैनेजमेंट- एयूएम) के 0.975 प्रतिशत है.

रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय ने कहा कि पांच अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनियों ने 31 जनवरी 2023 तक समूह में 347.64 करोड़ रुपये का निवेश, जो उनके कुल एयूएम का 0.14 प्रतिशत है, किया है.

ये बीमाकर्ता- न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया हैं.

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सरकार से लोकसभा में अडानी कंपनियों के लिए राज्य के स्वामित्व वाली बीमा कंपनियों के जोखिम के बारे में जानकारी मांगी थी.

उन्होंने यह भी पूछा कि क्या 1 जुलाई 2014 से 1 फरवरी 2023 तक पिछले आठ वर्षों में सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा अडानी कंपनियों को दिए ऋण और निवेश में वृद्धि हुई है.

हालांकि, सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि यह बैंकों की क्रेडिट जानकारी के खुलासे पर रोक लगाता है.

हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद कि अडानी समूह स्टॉक हेरफेर और लेखांकन धोखाधड़ी में शामिल था, जिसके कारण कंपनी के शेयर की कीमतों और बाजार मूल्य में गिरावट आई, समूह की कंपनियों में सरकार के निवेश पर विपक्ष द्वारा कई सवाल उठाए गए हैं.

केंद्र सरकार ने समूह के खिलाफ आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की विपक्ष की मांग को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. 24 जनवरी को रिपोर्ट जारी होने के बाद समूह के स्टॉक की कीमतों में गिरावट के कारण एलआईसी, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों में सार्वजनिक निवेश कैसे प्रभावित हुआ है, इस पर चर्चा से भी यह दूर हो गई है.

वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में तिवारी के सवालों का जवाब दिया.

आरबीआई ने कहा- बैंक, एनबीएफसी क्रेडिट जानकारी का खुलासा नहीं कर सकते

कराड ने कहा कि आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45ई के प्रावधान केंद्रीय बैंक को क्रेडिट जानकारी का खुलासा करने से रोकते हैं.

अधिनियम की धारा 45ई के अनुसार, बैंक की क्रेडिट जानकारी को गोपनीय माना जाएगा और इसे प्रकाशित या प्रकट नहीं किया जाएगा.

मंत्री ने आगे कहा कि अधिनियम की धारा 45एनबी में प्रावधान है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) द्वारा प्रस्तुत की गई किसी भी जानकारी को गोपनीय माना जाएगा और इसे प्रकाशित या प्रकट नहीं किया जाएगा.

उन्होंने आगे कहा कि अन्य वित्तीय संस्थान- जैसे एक्जिम बैंक, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक, राष्ट्रीय आवास बैंक, नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक- संबंधित अधिनियमों के प्रावधानों से बंधे हैं, और अपने घटकों के मामलों से संबंधित किसी भी जानकारी का खुलासा करने से प्रतिबंधित हैं.

इससे पहले, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार के स्वामित्व वाली सामान्य बीमा कंपनियों का अडानी समूह के लिए जोखिम उनके कुल एयूएम का 0.14 प्रतिशत है.

बता दें कि इससे पहले इस महीने की शुरुआत में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के अध्यक्ष दिनेश खारा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि बैंक का जोखिम 27,000 करोड़ रुपये या उसकी ऋण पुस्तिका के 0.8 से 0.9 प्रतिशत है.