यूपी: अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान लगी आग में मां-बेटी की मौत, हत्या का केस दर्ज

कानपुर देहात ज़िले के मडौली गांव का मामला. परिवार का आरोप है कि अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान जब महिलाएं अंदर थीं तो पुलिस ने उनकी झोपड़ी में आग लगा दी. पुलिस का दावा है कि दोनों ने ख़ुद को आग लगा ली. मामले में एसडीएम, थानाध्यक्ष, चार लेखपालों, एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों सहित 39 लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है.

कानपुर देहात जिले के एक गांव में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान मां-बेटी के कथित तौर पर आत्मदाह के बाद घटनास्थल पर तैनात सुरक्षाकर्मी. (फोटो: पीटीआई)

कानपुर देहात ज़िले के मडौली गांव का मामला. परिवार का आरोप है कि अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान जब महिलाएं अंदर थीं तो पुलिस ने उनकी झोपड़ी में आग लगा दी. पुलिस का दावा है कि दोनों ने ख़ुद को आग लगा ली. मामले में एसडीएम, थानाध्यक्ष, चार लेखपालों, एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों सहित 39 लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है.

कानपुर देहात जिले के एक गांव में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान मां-बेटी के कथित तौर पर आत्मदाह के बाद घटनास्थल पर तैनात सुरक्षाकर्मी. (फोटो: पीटीआई)

कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के रूरा थाना इलाके के मडौली गांव में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान सोमवार को एक महिला और उसकी बेटी ने कथित तौर पर अपनी झोपड़ी में खुद को आग लगा ली, जिससे दोनों की मौत हो गई.

अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान मां-बेटी की कथित तौर पर आत्मदाह करने के मामले में उप-जिलाधिकारी (एसडीएम), थानाध्यक्ष, चार लेखपालों, एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों सहित 39 लोगों के खिलाफ मंगलवार को एफआईआर दर्ज की गई.

पीड़ितों की पहचान प्रमिला दीक्षित (45 वर्ष) और उनकी बेटी नेहा दीक्षित (20 वर्ष) के रूप में हुई है.

पुलिस महानिरीक्षक (कानपुर रेंज) प्रशांत कुमार ने कहा कि एसडीएम (मैथा) ज्ञानेश्वर प्रसाद को निलंबित कर दिया गया है.

पुलिस महानिरीक्षक ने बताया कि हत्या, हत्या के प्रयास के अलावा मवेशियों को मारने या अपंग करने, घर को नष्ट करने के इरादे से आग लगाने और जान-बूझकर अपमान करने के आरोपों में एफआईआर दर्ज की गई है.

उन्होंने बताया कि पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, जिसकी पहचान अब तक उजागर नहीं की गई है.

कुमार ने बताया कि पीड़ितों के घर को गिराने में इस्तेमाल की गई जेसीबी को जब्त कर लिया गया है. उन्होंने बताया कि पीड़ित परिवार के सदस्यों और ग्रामीणों ने मां-बेटी के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाने से इनकार कर दिया.

पीड़ित परिवार के सदस्य और ग्रामीण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने के बाद ही पुलिस को शव परीक्षण के लिए ले जाने की अनुमति देने की अपनी मांग पर अड़े रहे. उन्होंने पीड़ित परिवार के कम से कम दो सदस्यों को पांच करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि और सरकारी नौकरी देने की भी मांग की है.

कुमार ने यह भी बताया कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है, जिसमें स्टेशन अधिकारी (रूरा) दिनेश गौतम भी शामिल हैं, उन्हें जल्द ही निलंबित किया जा सकता है.

महानिरीक्षक ने कहा कि दो महिलाओं की मौत के बाद इलाके में तनाव को देखते हुए गांव और उसके आसपास भारी पुलिस बल तैनात किया गया है.

हालांकि, उन्होंने ने समाजवादी पार्टी (सपा) के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को को मडौली गांव जाने से रोकने के बारे में न तो पुष्टि की और न ही उसा खंडन किया.

सपा का प्रतिनिधिमंडल का मंगलवार को पीड़ित परिवारों से मिलने जाने का कार्यक्रम था.

पार्टी ने ट्वीट कर कहा, ‘कानपुर में योगी सरकार के प्रशासन द्वारा उत्पीड़न का शिकार होकर अपनी जान गवाने वाली प्रमिला दीक्षित और उनकी बेटी नेहा दीक्षित के परिजनों से मिलने जा रहे समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल को रोका जाना सरकार की मंशा जाहिर करता है. समाजवादी पार्टी पीड़ित परिवार के साथ है!’

सूत्रों ने बताया कि एक दर्जन से अधिक अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास का मामला भी दर्ज किया गया है.

पुलिस अधीक्षक (एसपी, कानपुर देहात) बीबीजीटीएस मूर्ति ने संवाददाताओं को बताया कि विशाल दीक्षित ने पीड़ित प्रमिला दीक्षित के बेटे शिवम दीक्षित के खिलाफ ‘ग्राम समाज’ की जमीन पर कब्जा करने की शिकायत की थी. इस अतिक्रमण को हटाने के लिए एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद के नेतृत्व में जिला प्रशासन की टीम वहां गई थी.

एसपी ने कहा कि अतिक्रमण हटाया जा रहा था, तभी मां-बेटी ने आत्मदाह कर लिया.

शिवम की शिकायत पर एसडीएम (मैथा), जेसीबी चालक (दीपक), मदौली के लेखपाल अशोक सिंह, तीन अज्ञात लेखपाल, एक अज्ञात कानूनगो (राजस्व अधिकारी), थाना प्रभारी (रूरा) दिनेश कुमार गौतम तथा 12-15 और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

एक पुलिस अधिकारी ने सोमवार को बताया था कि पीड़ितों को बचाने के प्रयास में रूरा थाना के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) दिनेश गौतम और पीड़ित प्रमिला के पति गेंदनलाल झुलस गए. घटना से आक्रोशित परिजनों एवं उनके समर्थकों ने लेखपाल अशोक सिंह की पिटाई कर दी, जिसके बाद अतिक्रमण रोधी टीम वहां से भाग गई थी.

मां-बेटी के आत्मदाह की जानकारी मिलने के बाद अपर पुलिस महानिदेशक (कानपुर जोन) आलोक सिंह ने संभागीय आयुक्त राज शेखर के साथ गांव का दौरा कर मामले की जानकारी ली.

एनडीटीवी के मुताबिक, परिवार का आरोप है कि जब महिलाएं अंदर थीं तो पुलिस ने उनकी झोपड़ी में आग लगा दी. ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारी सुबह बुलडोजर लेकर पहुंचे और उन्हें कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई.

पीड़ित महिला के बेटे शिवम दीक्षित ने कहा, ‘जब लोग अंदर थे तब उन्होंने आग लगा दी. हम बस भागने में सफल रहे. उन्होंने हमारे मंदिर को तोड़ दिया. किसी ने भी कुछ नहीं किया, यहां तक कि डीएम (जिला मजिस्ट्रेट) भी नहीं. हर कोई भागा, कोई मेरी मां को नहीं बचा सका.’

पुलिस अधीक्षक (एसपी) बीबीजीटीएस मूर्ति ने कहा, ‘जो जानकारी हमें मिली है उससे पता चला है कि एक महिला और उनकी बेटी ने खुद को झोपड़ी के अंदर बंद कर आग लगा ली थी, जिससे उनकी मौत हो गई है. हम जांच करेंगे और अगर कुछ गलत मिलता है तो हम दोषियों को बख्शेंगे नहीं.’

मूर्ति ने कहा, ‘जब भी कोई अतिक्रमण विरोधी अभियान होता है, एक वीडियो शूट किया जाता है. हमने वीडियो मांगा है और इसकी जांच करेंगे.’

मौत के बाद इलाके में ग्रामीणों और पुलिस के बीच तनाव है. ग्रामीणों ने पुलिस पर ईंटें भी फेंकी.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानपुर जोन) आलोक सिंह, संभागीय आयुक्त राज शेखर के साथ, भीड़ को शांत करने के लिए गांव का दौरा किया. आला अधिकारियों का कहना है कि जो भी जिम्मेदार पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

शेखर ने कहा है कि जांच के आदेश दे दिए गए हैं. उन्होंने कहा, ‘यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. हम परिवार के साथ हैं. हम जिम्मेदार लोगों को नहीं बख्शेंगे.’

इसी बीच, घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राज्‍य की मुख्‍य विपक्षी समाजवादी पार्टी ने एक ट्वीट में कहा, ‘योगी जी (मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ) आपके जल्लाद और अमानवीय प्रशासन द्वारा की गई ये हत्या है.’

इसी ट्वीट में सपा ने यह भी कहा कि, ‘योगी सरकार में लगातार ब्राह्मण परिवार निशाना बनाए जा रहे. लगातार चुन-चुनकर ब्राह्मणों के साथ घटनाएं घटित हो रही हैं. दलित-पिछड़ों के साथ-साथ ब्राह्मण भी भाजपा शासित योगी सरकार के अत्याचार का निशाना बन रहे हैं.’

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी पार्टी के इस ट्वीट को री-ट्वीट किया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)