कर्नाटक कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा के मंत्रियों और विधायकों को ठेकेदार तय करने की स्वतंत्रता दे दी गई और आगामी चुनावों के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए तैयार ठेकेदारों को टेंडर आवंटित किए गए. पार्टी ने दावा किया कि टेंडर मूल मूल्य के 100 प्रतिशत अधिक मूल्य पर जारी किए जा रहे हैं.
बेंगलुरु: कर्नाटक कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार चुनावी राज्य में पार्टी के विधानसभा चुनाव अभियान के लिए चंदा इकट्ठा करने के लिए जल्दबाजी में बढ़ी हुईं दरों पर निविदाएं (Tenders) जारी कर रही है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी ने दावा किया कि टेंडर मूल मूल्य के 100 प्रतिशत अधिक मूल्यों पर जारी की जा रही हैं.
शिवकुमार ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कार्यालय पुराने बिलों को मंजूरी देने और नई परियोजनाओं को मंजूरी देने के दौरान कमीशन वसूलने में शामिल था.
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के मंत्रियों और विधायकों को ठेकेदार तय करने की स्वतंत्रता दे दी गई और आगामी चुनावों के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए तैयार ठेकेदारों को टेंडर आवंटित किए गए थे.
शिवकुमार ने कहा, ‘यदि वास्तविक निविदा लागत 500 करोड़ रुपये की है तो इसे 1,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा रहा है. हम सबूत देने को तैयार हैं. कुछ मामलों में यह कैबिनेट की मंजूरी से हो रहा है, लेकिन अन्य मामलों में यह सात दिनों के भीतर जल्दबाजी में बिना कैबिनेट मंजूरी के हो रहा है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘विधायकों को ऐसी परियोजनाओं का प्रभार दिया गया है और वे चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले एक निश्चित राशि देने के ठेकेदारों द्वारा वादे के साथ लेनदेन को अंतिम रूप दे रहे हैं.’
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने आरोप लगाया कि प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं है और टेंडर के पैसे को दोगुना या तिगुना कर दिया गया है. ठेकेदारों को उनके द्वारा प्रदान किए जाने वाले उच्चतम कमीशन के आधार पर चुना जा रहा है, जो राज्य में 40 प्रतिशत कमीशन का ही विस्तार है.
सिद्धारमैया ने कहा, ‘सरकार ज्यादा कमीशन देने वालों को टेंडर दे रही है, जबकि उन्हें सबसे योग्य को इसे देना चाहिए. यह वह हिस्सा है, जहां 40 प्रतिशत कमीशन दिया जाता है. हम उन लोगों की जांच कर रहे हैं जिन पर भ्रष्टाचार और पक्षपात का आरोप है. हमने पहले भी सरकार और अनुबंध अधिकारियों को चेतावनी दी थी. हम अदालत जाएंगे.’
शिवकुमार ने भाजपा विधायक गुलीहट्टी शेखर के एक पत्र का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को ऊपरी भद्रा परियोजना के 22,2000 करोड़ रुपये के टेंडरों को रद्द करने करने को कहा था.
विधायक ने अपने पत्र में आरोप लगाया था कि लगभग एक ही दिन में कई निगमों के बोर्डों में 18,000 करोड़ रुपये के टेंडर अवैध तरीके से दिए गए.
पत्र में कहा गया था, ‘कृष्णा भाग्य जल निगम लिमिटेड (केबीजेएनएल), विश्वेश्वरैया जल निगम लिमिटेड (वीजेएनएल), कर्नाटक नीरावरी निगम लिमिटेड (केएनएनएल) और अन्य सिंचाई निगम 18,000 करोड़ रुपये की राशि के कार्यों के लिए अवैध फैसलों में शामिल हैं और वीजेएनएल के लिए जारी किए गए 4,200 करोड़ रुपये के टेंडर में पारदर्शिता की कमी है.’
उन्होंने आगे कहा था कि होसदुर्गा, जगलुर, कडुर और अन्य तालुकों में एक पाइप लाइन के माध्यम से ड्रिप सिंचाई प्रणाली शुरू करने और झील में पानी भरने के लिए जारी किए गए टेंडर में भी खामियां थीं.
आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि वह विधानसभा में कांग्रेस को जवाब देंगे. उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के पास इस तरह के टेंडर देने का अनुभव है. हम सभी जानते हैं कि सिद्धारमैया ने सिंचाई विभाग में क्या किया था.’
मालूम हो कि इससे पहले अगस्त 2022 में राज्य ठेकेदार संघ ने कर्नाटक सरकार पर 40 प्रतिशत तक कमीशन मांगने का आरोप लगाया था और इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने की बात कही थी.
इससे पहले कर्नाटक में भाजपा के वरिष्ठ विधायक केएस ईश्वरप्पा पर एक ठेकेदार की आत्महत्या मामले में 40 प्रतिशत कमीशन मांगने का आरोप लगा था.
अप्रैल 2022 में उडुपी के एक होटल में बेलगावी के एक ठेकेदार संतोष पाटिल की आत्महत्या के बाद शिवमोगा से विधायक ईश्वरप्पा ने ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. इस मामले में उन पर 40 प्रतिशत कमीशन मांगने का आरोप लगा था.
ईश्वरप्पा के खिलाफ ठेकेदार की मौत को लेकर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था. ठेकेदार ने ईश्वरप्पा एवं उनके करीबियों पर 2021 में बेलगावी के हिंदलगा गांव में एक उत्सव से पूर्व निर्माण कार्य पूरा करने के बाद इसके बिल को मंजूर कर राशि जारी करने के लिए 40 फीसदी कमीशन मांगने का आरोप लगाया था.
जुलाई 2022 में पुलिस ने केएस ईश्वरप्पा को सबूतों के अभाव में ‘क्लीन चिट’ दे दी थी.