तुर्की भूकंप: दिल्ली सरकार को इमारतों की संरचनात्मक स्थिरता पर रिपोर्ट देने का निर्देश

दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि दिल्ली में इमारतों की भूकंपीय स्थिरता ख़राब है और बड़े भूकंप से बड़ी संख्या में लोग हताहत हो सकते हैं. अदालत ने दिल्ली सरकार से एक संशोधित कार्य योजना के साथ एक नई स्थिति रिपोर्ट दाख़िल करने को कहा है.

(फोटो: पीटीआई)

दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि दिल्ली में इमारतों की भूकंपीय स्थिरता ख़राब है और बड़े भूकंप से बड़ी संख्या में लोग हताहत हो सकते हैं. अदालत ने दिल्ली सरकार से एक संशोधित कार्य योजना के साथ एक नई स्थिति रिपोर्ट दाख़िल करने को कहा है.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: तुर्की और सीरिया में बीते 6 फरवरी को आए भूकंप की पृष्ठभूमि में शहर के निवासियों की सुरक्षा पर विचार करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने बीते बृहस्पतिवार को राज्य सरकार से शहर में इमारतों की संरचनात्मक स्थिरता पर एक अद्यतन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि दिल्ली में इमारतों की भूकंपीय स्थिरता खराब है और बड़े भूकंप से बड़ी संख्या में लोग हताहत हो सकते हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से एक संशोधित कार्य योजना के साथ एक नई स्थिति रिपोर्ट (Status Report) दाखिल करने को कहा है, क्योंकि यह रिकॉर्ड में नहीं थी.

याचिकाकर्ता अर्पित भार्गव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रवि सीकरी ने तुर्की और सीरिया के बारे में बात की और कहा कि दिल्ली भी भूकंपीय क्षेत्र में आती है.

हाईकोर्ट ने कहा, ‘वे स्थिति के प्रति समान रूप से जागरूक हैं. याचिका में कुछ भी विरोधात्मक नहीं है. हम सभी को अपनी जान की चिंता है, इसलिए उन्हें (दिल्ली सरकार) अपनी रिपोर्ट दाखिल करने दीजिए.’

हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया और याचिका पर आगे की सुनवाई 10 मई के लिए सूचीबद्ध कर दी.

अदालत समय-समय पर शहर सरकार और नागरिक अधिकारियों को एक कार्य योजना विकसित करने का निर्देश देते हुए आदेश पारित करती रही है.

19 जनवरी को दिल्ली सरकार ने एक स्थिति रिपोर्ट दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि 12 क्षेत्रों में 4,618 उच्च जोखिम वाले भवनों की पहचान की गई और आगे की कार्रवाई के लिए 8 सितंबर 2022 तक 4,463 नोटिस जारी किए गए थे.

अधिवक्ता सीकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि इमारतों को भूकंपरोधी बनाने के लिए अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की है. उन्होंने कहा कि पिछले आठ सालों में 32 लाख भवनों में से केवल 4,500 भवनों को संरचनात्मक रूप से अनुकूल बनाया गया है, वह भी अदालत के नियमित हस्तक्षेप के बाद.

दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि यह जमीन की मालिक एजेंसी है, जो शहर की इमारतों को संरचनात्मक रूप से स्थिर बनाने के लिए जिम्मेदार है. यह प्रस्तुत किया गया था कि यह स्थानीय निकाय हैं, जो कार्य योजना के कार्यान्वयन के लिए उत्तरदायी हैं.

दिल्ली सरकार ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में कहा है कि हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार, दिल्ली के शहरी स्थानीय निकायों और अन्य विभागों ने रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें पता चला है कि संरचनात्मक सुरक्षा का आकलन करने के लिए 10,203 इमारतों की पहचान की गई है और नोटिस जारी किए गए हैं. उनमें से 6,192 के संबंध में उनके मालिकों को संरचनात्मक सुरक्षा प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है.

स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली छावनी बोर्ड, दिल्ली विकास प्राधिकरण, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद और लोक निर्माण विभाग ने अभी तक भूकंप की तैयारी से संबंधित अद्यतन आवश्यक जानकारी जमा नहीं की है. स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें पिछले साल दिसंबर में पत्र जारी कर जरूरी जानकारी देने को कहा गया था.