सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मनोनीत सदस्य दिल्ली मेयर चुनाव में वोट नहीं दे सकते

दिल्ली नगर निगम के चुनाव दिसंबर 2022 में संपन्न हुए, लेकिन आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच खींचतान के कारण मेयर का चुनाव दो महीने में तीन बार स्थगित करना पड़ा. आप का आरोप था कि भाजपा मनोनीत सदस्यों को वोट देने की अनुमति देकर मेयर पद पर क़ब्ज़ा करना चाहती है.

(फोटो साभार: एएनआई)

दिल्ली नगर निगम के चुनाव दिसंबर 2022 में संपन्न हुए, लेकिन आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच खींचतान के कारण मेयर का चुनाव दो महीने में तीन बार स्थगित करना पड़ा. आप का आरोप था कि भाजपा मनोनीत सदस्यों को वोट देने की अनुमति देकर मेयर पद पर क़ब्ज़ा करना चाहती है.

(फोटो साभार: एएनआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा कि मनोनीत सदस्य दिल्ली नगर निगम के महापौर (मेयर) चुनाव में मतदान नहीं कर सकते हैं. अदालत के इस फैसले को आम आदमी पार्टी (आप) के लिए एक बड़ी जीत कहा जा रहा है.

हालांकि दिल्ली नगर निगम के चुनाव दिसंबर 2022 में संपन्न हुए, लेकिन आप और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच खींचतान के कारण मेयर का चुनाव दो महीने में तीन बार स्थगित करना पड़ा.

आप ने आरोप लगाया था कि भाजपा मनोनीत सदस्यों को वोट देने की अनुमति देकर मेयर के पद पर ‘कब्जा’ करना चाहती है. पार्टी की ओर से कहा गया था कि मनोनीत सदस्यों को वोट देने की अनुमति देना नियमों के खिलाफ है और उन्हें डर है कि मनोनीत सदस्यों के वोट स्वत: ही भाजपा को चले जाएंगे. मनोनीत सदस्यों की नियुक्ति उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने की है.

दिसंबर 2022 के चुनावों में आप 134 वार्ड जीतकर विजेता बनकर उभरी थी, जबकि भाजपा ने 104 सीटें हासिल की थी, जबकि कांग्रेस 9 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी.

कानूनी समाचार पोर्टल लाइव लॉ के मुताबिक, प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने संविधान के अनुच्छेद 243R और दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 की धारा 3(3) पर भरोसा करते हुए कहा कि उपराज्यपाल द्वारा मनोनीत सदस्यों को महापौर के चुनाव में वोट देने का अधिकार नहीं है.

पोर्टल के अनुसार, सीजेआई चंद्रचूड़ ने मौखिक रूप से आदेश लिखने के बाद कहा, ‘एल्डरमेन (मनोनीत सदस्य) मतदान नहीं कर सकते हैं और यह लोकतंत्र का मूल सिद्धांत है.’

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अदालत के आदेश जारी होने के 24 घंटे के भीतर नगर निकाय की पहली बैठक आयोजित करने के लिए संबंधित अधिकारियों द्वारा एक नोटिस जारी किया जाना चाहिए. अदालत ने कहा कि नोटिस में यह संकेत होना चाहिए कि महापौर का चुनाव एजेंडे में होगा.

अदालत ने कहा कि चुनाव के बाद निर्वाचित महापौर को उप-महापौर और स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव कराने के लिए पीठासीन अधिकारी के रूप में काम करना चाहिए. कोर्ट ने अदालत कि मनोनीत सदस्यों को उप-महापौर और स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव में भी मतदान करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

अदालत ने यह आदेश आम आदमी पार्टी की मेयर उम्मीदवार शैली ओबेरॉय द्वारा दायर याचिका पर पारित किया.

इसी बीच, अदालत के फैसले के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश जनतंत्र की जीत है.

केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट का आदेश जनतंत्र की जीत. उच्चतम न्यायालय का बहुत-बहुत शुक्रिया. ढाई महीने बाद अब दिल्ली को मेयर मिलेगा. ये साबित हो गया कि उपराज्यपाल और भाजपा मिलकर आए दिन दिल्ली में कैसे गैरकानूनी और असंवैधानिक आदेश पारित कर रहे हैं.’