आईओसी ने अडानी के गंगावरम बंदरगाह के साथ एक ‘प्रतिकूल अनुबंध’ पर हस्ताक्षर किए: कांग्रेस

‘हम अडानी के हैं कौन’ शृंखला के तहत कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया है कि सरकार द्वारा संचालित विशाखापट्टनम बंदरगाह के बजाय एक प्रतिकूल अनुबंध के ज़रिये इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) द्वारा गंगावरम बंदरगाह का इस्तेमाल किया जा रहा है.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश. (फाइल फोटो: पीटीआई)

‘हम अडानी के हैं कौन’ शृंखला के तहत कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया है कि सरकार द्वारा संचालित विशाखापट्टनम बंदरगाह के बजाय एक प्रतिकूल अनुबंध के ज़रिये इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) द्वारा गंगावरम बंदरगाह का इस्तेमाल किया जा रहा है.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कांग्रेस ने शुक्रवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर एक कथित अनुबंध को लेकर निशाना साधा, जिसे इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने अडानी समूह के साथ किया था. इसमें समूह के स्वामित्व वाले गंगावरम बंदरगाह से तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) का आयात होना था.

द हिंदू के मुताबिक, ‘हम अडानी के हैं कौन’ शृंखला के एक भाग में पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा संचालित विशाखापट्टनम बंदरगाह के बजाय एक प्रतिकूल अनुबंध के जरिये आईओसी द्वारा गंगावरम बंदरगाह का इस्तेमाल किया जा रहा है.

बता दें कि ‘हम अडानी के हैं कौन’ शृंखला के जरिये कांग्रेस हर दिन ट्विटर पर प्रधानमंत्री मोदी से तीन सवाल पूछती है.

जयराम रमेश ने सरकार पर यह ताजा हमला उस दिन किया है, जब कांग्रेस ने अडानी मुद्दे पर देश भर में लगभग दो दर्जन संवाददाता सम्मेलन किए.

उनके बयान से एक दिन पहले ही तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने बिना टेंडर के अडानी के स्वामित्व वाले बंदरगाह को काम सौंपने में घोटाले का आरोप लगाया था.

तब आईओसी ने मोइत्रा को जवाब देते हुए स्पष्ट किया था कि एलपीजी आयात के लिए गंगावरम बंदरगाह की सेवाओं को किराये पर लेने का समझौता पास के बंदरगाहों के साथ मौजूदा समझौते के अतिरिक्त था और कोई ‘आपूर्ति लो या भुगतान करो (Take or Pay)’ का समझौता नहीं था.

‘आपूर्ति लो या भुगतान करो’ के अनुबंध में, एक कंपनी या तो दूसरे पक्ष से उत्पाद लेती है या उन्हें जुर्माना देती है.

जयराम  रमेश ने कहा, ‘अब यह सर्वविदित है कि आपने अडानी बंदरगाह के कारोबार का विस्तार करने में सहायता करने के लिए आपके अधिकार क्षेत्र में उपलब्ध सभी साधनों का उपयोग किया है. चाहे वह बिना बोली की प्रक्रिया को अपनाए बंदरगाह रियायतें देना हो या व्यापारिक समूहों पर आयकर के छापे डलवाकर उन्हें अपनी मूल्यवान परिसंपत्तियों को अडानी को बेचने के लिए बाध्य करना हो.’

उन्होंने कहा, ‘आपकी सरकार ने महाराष्ट्र में दिघी बंदरगाह के लिए जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट द्वारा 2021 की बोली को पहले ही रोक दिया था, जो अंतत: अडानी की झोली में चली गई. अब हमें पता चला है कि आईओसी, जो पहले सरकार द्वारा संचालित विशाखापट्टनम बंदरगाह के माध्यम से एलपीजी का आयात कर रही थी, को अब इसकी बजाय पड़ोस के गंगावरम बंदरगाह का उपयोग करने के लिए तैयार किया जा रहा है और वह भी ‘आपूर्ति लो या भुगतान करो’ जैसे एक प्रतिकूल अनुबंध के आधार पर. क्या आप भारत के सार्वजनिक क्षेत्र को अपने मित्रों को और समृद्ध बनाने के उपकरण के रूप में देखते हैं?’

रमेश ने आगे बताया कि आईओसी ने स्पष्ट किया है कि उसने अडानी पोर्ट्स के साथ केवल एक ‘गैर-बाध्यकारी समझौता ज्ञापन’ पर हस्ताक्षर किए हैं और अभी तक किसी ‘आपूर्ति लो या भुगतान करो’ जैसे बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.

कांग्रेस नेता ने पूछा, ‘क्या अडानी पोर्ट्स ने अंजाने में इस खेल को अंतिम रूप देने से पहले इसका खुलासा कर दिया था? क्या ऐसे समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर स्पष्ट रूप से उस दिशा का संकेत नहीं दे रहे हैं, जिसमें आईओसी को धकेला जा रहा है? क्या यह तथ्य है कि ‘आपूर्ति लो या भुगतान करो’ अनुबंध पर हस्ताक्षर होने ही वाले थे, इस वास्तविकता को उजागर नहीं करते हैं कि अडानी के बंदरगाह को एलपीजी के आयात के लिए प्रमुख बंदरगाह बनाया जा रहा था, जैसा कि आईओसी ने कहा है?’