यूपीए सरकार के एक रक्षा सौदे में बिना अनुमति गिरफ़्तारी करने पर अदालत ने ईडी को फटकारा

मामला यूपीए सरकार के समय डीआरडीओ के तहत भारत सरकार को तीन ईएमपी-145 विमानों की आपूर्ति से जुड़ा है. जिसमें इंटरदेव एविएशन सर्विसेज के निदेशक इंदर देव भल्ला पर विमान सौदे से कमीशन के रूप में प्राप्त काले धन को सफेद करने के लिए शेल कंपनियां बनाने का आरोप है. 

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(फोटो साभार: विकिपीडिया)

मामला यूपीए सरकार के समय डीआरडीओ के तहत भारत सरकार को तीन ईएमपी-145 विमानों की आपूर्ति से जुड़ा है. जिसमें इंटरदेव एविएशन सर्विसेज के निदेशक इंदर देव भल्ला पर विमान सौदे से कमीशन के रूप में प्राप्त काले धन को सफेद करने के लिए शेल कंपनियां बनाने का आरोप है.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के समय के एक विमान सौदे के संबंध में सिंगापुर के एक व्यवसायी को कोलकाता हवाई अड्डे पर गिरफ्तार करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की खिंचाई की. अदालत ने फैसला सुनाया कि केंद्रीय एजेंसी की कार्रवाई ‘अनुचित’ थी, क्योंकि उसने गिरफ्तारी से पहले अदालत से अनुमति नहीं मांगी थी.

न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, दिल्ली के राउज एवेन्यू में एक विशेष अदालत के न्यायाधीश अनिल अंतिल ने गिरफ्तारी को ‘अवैध’ घोषित किया और व्यवसायी इंदर देव भल्ला को अंतरिम जमानत दे दी. भल्ला को 13 फरवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस कोलकाता अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था.

इंटरदेव एविएशन सर्विसेज के निदेशक भल्ला पर विमान सौदे से कमीशन के रूप में प्राप्त काले धन को सफेद करने के लिए शेल कंपनियां बनाने का आरोप है.

मामला रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के तहत भारत सरकार को तीन ईएमपी-145 विमानों की आपूर्ति से जुड़ा है.

एजेंसी के मुताबिक, उनकी गिरफ्तारी गैर-जमानती वारंट और लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) के आधार पर की गई थी. ईडी ने पूछताछ के लिए आरोपी की 14 दिनों की हिरासत मांगी थी.

आरोपी को अंतरिम जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी 2018 में जारी गैर-जमानती वारंट के आधार पर हुई है, जबकि एजेंसी उसके बाद पहले ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी थी और मार्च 2021 में इसका संज्ञान लिया गया था.

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, विशेष न्यायाधीश अनिल अंतिल ने आदेश में कहा, ‘एजेंसी को अदालत की अनुमति के बिना अभियुक्त को गिरफ्तार करने के लिए कानूनी रूप से अधिकार नहीं था और न ही अब कानूनी रूप से अधिकार है कि वह मामले के इस चरण में हिरासत रिमांड की मांग कर सके, वह भी यह अच्छी तरह जानते हुए कि संज्ञान लिए जाने के बाद उनकी अपनी शिकायत और आग्रह पर कोर्ट द्वारा आरोपी को तलब किया गया था.’

लाइव लॉ के मुताबिक, आरोपी की वकील साक्षी कक्कड़ ने पहले अदालत को बताया था कि भल्ला को जांच में शामिल होने के लिए कभी भी कोई समन नहीं मिला था और गैर-जमानती वारंट अदालत को गुमराह करने के बाद लिए गए थे.

कक्कड़ ने अदालत से यह भी कहा था कि भल्ला की गिरफ्तारी ‘अवैध’ थी, क्योंकि मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 13 का पालन नहीं किया गया था और जिस आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया था, उसे भल्ला को बताया नहीं गया था.

न्यायाधीश अंतिल ने अपने आदेश में कहा कि भल्ला सहित आरोपियों के खिलाफ उचित जांच करने के बाद दिसंबर 2020 में इस मामले में पीएमएलए के तहत शिकायत दर्ज की गई थी. अदालत ने यह भी कहा कि मामले का संज्ञान मार्च 2021 में लिया गया था और आरोपियों को समन भी जारी किया गया था.

जज ने आगे कहा कि जब समन किसी न किसी कारणवश तामील नहीं किए गए थे, अदालत द्वारा नए समन जारी किए गए थे, अभियुक्त संख्या 11 समेत अन्य अभियुक्तों की तामील करने के लिए नए समन की मांग करने के लिए जांच अधिकारी और एजेंसियों की ओर से आवेदन भी दायर किए गए थे.

जज ने आगे कहा, ‘इसलिए, जब जांच पूरी होने के बाद आरोपी के खिलाफ शिकायत/चार्जशीट दायर की गई है; अपराधों का संज्ञान लिया गया है; उसके अनुसार समन जारी किए गए हैं, तब अदालत की अनुमति के बिना अभियुक्त को पकड़ने/गिरफ्तार करने और/या उसकी पुलिस हिरासत की मांग करना मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए पूरी तरह अनुचित है.’

केंद्रीय एजेंसी की खिंचाई करते हुए अदालत ने कहा कि वह अभियुक्त को गिरफ्तार करने के लिए छल का सहारा नहीं ले सकती है.

भल्ला की हिरासत के लिए केंद्रीय एजेंसी की याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने उन्हें सुनवाई की अगली तारीख तक अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया. अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी.

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