महाराष्ट्र: आठ साल बीतने के बाद भी गोविंद पानसरे हत्याकांड में अब तक ट्रायल शुरू नहीं हुआ

तर्कवादी और अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता 82 वर्षीय गोविंद पानसरे की 16 फरवरी 2015 को कोल्हापुर में सुबह की सैर से घर लौटते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हत्या के आरोपी एक हिंदू कट्टरपंथी समूह ‘सनातन संस्था’ के सदस्य हैं.

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गोविंद पानसरे (फोटो: पीटीआई)

तर्कवादी और अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता 82 वर्षीय गोविंद पानसरे की 16 फरवरी 2015 को कोल्हापुर में सुबह की सैर से घर लौटते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हत्या के आरोपी एक हिंदू कट्टरपंथी समूह ‘सनातन संस्था’ के सदस्य हैं.

गोविंद पानसरे (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: तर्कवादी और अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता गोविंद पानसरे की हत्या को आठ साल हो चुके हैं. हालांकि, उनकी हत्या का मुकदमा (ट्रायल) अभी भी शुरू नहीं हुआ है. उनकी बहू और सामाजिक कार्यकर्ता मेघा पानसरे ने कहा, ‘दोषियों को दंडित किया जाना बहुत जरूरी है, क्योंकि समाज में हिंसा बढ़ गई है.’

मालूम हो कि 16 फरवरी 2015 को 82 वर्षीय पानसरे को कोल्हापुर में अपनी पत्नी के साथ सुबह की सैर से घर लौटते समय पांच बार गोली मारी गई थी. चार दिन बाद उनकी मौत हो गई थी.

द हिंदू के मुताबिक, अभियुक्तों में से वीरेंद्र तावड़े (नरेंद्र दाभोलकर हत्या मामले में भी अभियुक्त) और समीर गायकवाड़ को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन वे जमानत पर बाहर हैं. सचिन अंदुरे, अमित बद्दी, वासुदेव सूर्यवंशी, भरत कुराने, अमित देगवेकर, शरद कालस्कर और गणेश मिस्किन जेल में हैं.

पानसरे मामले में गिरफ्तार अमोल काले और अमित देगवेकर पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड में भी आरोपी हैं. मुख्य शूटर माने जा रहे सारंग अकोलकर और विनय पवार फरार हैं.

10 जनवरी 2023 को कोल्हापुर की एक विशेष अदालत ने अभियुक्तों, जो एक हिंदू कट्टरपंथी समूह ‘सनातन संस्था’ के सदस्य हैं, के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 120बी (आपराधिक साजिश) एवं 34 (समान इरादे) और शस्त्र अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत आरोप तय किए थे.

विशेष लोक अभियोजक हर्षद निंबालकर ने कहा, ‘अगली तारीख 20 फरवरी को है, जब मैं अदालत को गवाहों की एक सूची दूंगा, जिन्हें मैं गवाहों की समेकित सूची से जांचना चाहता हूं, जो मैंने पहले ही दे दी है. हम जल्द ही सबूतों की रिकॉर्डिंग शुरू करेंगे. हम ट्रायल शुरू करेंगे, और एटीएस (आतंकवाद निरोधी दस्ते) की जांच भी साथ-साथ चलती रहेगी.’

3 अगस्त 2022 को पानसरे परिवार द्वारा दायर एक याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने हत्या की जांच महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित एक विशेष जांच दल (एसआईटी) से लेकर एटीएस को सौंप दी थी.

पानसरे परिवार की ओर से अदालत में पेश वकील अभय नेवगी ने कहा, ‘एटीएस को जांच सौंपना मामले में एक सकारात्मक कदम है और मुझे उम्मीद है कि एजेंसी एक महीने में शुरू होने वाले मुकदमे के लिए फरार शूटरों को गिरफ्तार कर लेगी.’

पानसरे की बहू मेघा पानसरे ने कहा, ‘हम मामले की गति से संतुष्ट नहीं हैं, क्योंकि ट्रायल अभी तक शुरू नहीं हुई है. हम उम्मीद कर रहे थे कि अब आरोपियों के खिलाफ आरोप तय हो गए हैं, मुकदमा भी शुरू हो जाएगा. हालांकि, गति बहुत धीमी है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘अब जबकि मामले की जांच एटीएस को सौंप दी गई है, हम उम्मीद करते हैं कि इसमें तेजी आएगी और एजेंसी मास्टरमाइंड एवं फरार लोगों तक पहुंच जाएगी. हमें उम्मीद है कि एटीएस के सुराग को आरोप-पत्र में शामिल किया जाएगा, क्योंकि इस मामले की निगरानी हाईकोर्ट द्वारा की जा रही है.’

मेघा ने कहा, ‘एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर मेरे पास एक गंभीर अवलोकन है कि मामले में आरोपी ताकतें और संगठन बहुत मजबूत और आक्रामक हो गए हैं और समाज में हिंसा बढ़ गई है. इसलिए इन लोगों को दंडित करना बहुत जरूरी है, क्योंकि इन्हें नियंत्रित करने का कोई दूसरा तरीका नहीं है.’

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