गौतम अडानी के बड़े भाई ने शेल कंपनियों के ज़रिये अडानी समूह का विस्तार किया: फोर्ब्स

अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद निशाने पर आए अडानी समूह के संबंध में अमेरिका की फोर्ब्स पत्रिका ने बताया है कि गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी ने विभिन्न ऑफशोर क्षेत्रों में कंपनियों का एक कथित जाल खड़ा किया, जिनके बारे में नियामक अधिकरणों को नहीं बताया गया.

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विनोद अडानी.

अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद निशाने पर आए अडानी समूह के संबंध में अमेरिका की फोर्ब्स पत्रिका ने बताया है कि गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी ने विभिन्न ऑफशोर क्षेत्रों में कंपनियों का एक कथित जाल खड़ा किया, जिनके बारे में नियामक अधिकरणों को नहीं बताया गया.

विनोद अडानी.

नई दिल्ली: भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के सुर्खियों से दूर रहने वाले बड़े भाई की अडानी समूह की कंपनियों के विस्तार में केंद्रीय भूमिका रही है. फोर्ब्स पत्रिका ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उन्होंने विभिन्न ऑफशोर क्षेत्रों में कंपनियों का एक कथित जाल खड़ा किया, जिनका खुलासा नियामक अधिकरणों के सामने नहीं किया.

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में विनोद शांतिलाल अडानी का नाम पर्दे के पीछे से काम करने वाले मुख्य पात्रों में से एक के रूप में लिया गया था.

मालूम हो कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे, जिसके बाद समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई. अडानी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार मूल्य में 120 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.

हिंडनबर्ग रिपोर्ट में ‘ऑफशोर शेल कंपनियों की विशाल भूलभुलैया’ के पीछे 60 वर्षीय व्यवसायी को बताया गया था, जिसने ‘अडानी की सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध और निजी इकाइयों में अरबों डॉलर इधर-उधर किए थे, जहां अक्सर संबंधित पार्टी के सौदों की प्रकृति के लिए जरूरी खुलासे नहीं किए गए थे.’

हिंडनबर्ग को दिए विस्तृत जवाब में अडानी समूह ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि वह सभी कानूनों और सूचना सार्वजनिक करने संबंधी नीतियों का पालन करता है.अडानी समूह ने यह भी दावा किया था कि विनोद अडानी ‘किसी भी अडानी सूचीबद्ध इकाई या उनकी सहायक कंपनियों में कोई प्रबंधकीय पद नहीं रखते थे और दैनिक मामलों में उनकी कोई भूमिका नहीं थी.’

17 फरवरी को प्रकाशित लेख में फोर्ब्स ने सिंगापुर स्थित पिनेकल ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड (Pinnacle Trade and Investment Pte. Lte) की अज्ञात भूमिका के बारे में लिखा था, जिसे अप्रत्यक्ष तौर पर विनोद अडानी द्वारा रूस के वीटीबी बैंक से ऋण के लिए अडानी समूह के प्रमोटर शेयरों को कथित तौर पर गिरवी रखने के लिए इस्तेमाल किया गया था.

फोर्ब्स का दावा है कि पिनेकल ने 2020 में रूस के दूसरे सबसे बड़े बैंक वीटीबी बैंक के साथ एक ऋण व्यवस्था में प्रवेश किया था. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अप्रैल 2021 तक पिनेकल ने 263 मिलियन डॉलर उधार लिए थे और एक अनाम संबंधित पार्टी को 258 मिलियन डॉलर उधार दिए थे.’

सिंगापुर की फाइलिंग के अनुसार, पिनेकल ने रूसी सरकार के स्वामित्व वाले बैंक से ऋण के लिए गारंटर के रूप में दो निवेश फंडों की पेशकश की थी. इन निवेश फंडों की पहचान एफ्रो एशिया ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड और वर्ल्डवाइड इमर्जिंग मार्केट होल्डिंग लिमिटेड के रूप में की गई थी.

फोर्ब्स के लेखों में भारतीय स्टॉक एक्सचेंज की दो फाइलिंग का जिक्र है, जो जून 2020 और अगस्त 2022 की हैं और दिखाती हैं कि ‘विनोद अडानी मॉरीशस स्थित एक्रोपोलिस ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड के मालिक हैं, जो वर्ल्डवाइड इमर्जिंग मार्केट होल्डिंग लिमिटेड के 100 फीसदी शेयर का मालिकाना हक रखती है.’

लेख में दावा किया गया है कि एफ्रो एशिया ट्रेड और वर्ल्डवाइड के पास अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी ट्रांसमिशन, अडानी पोर्ट्स और अडानी पावर में 4 बिलियन डॉलर मूल्य का प्रमोटर स्टॉक है. फोर्ब्स ने यह भी कहा कि निवेश पर नज़र रखने वाली वेबसाइट ट्रेंडलाइन के अनुसार, एफ्रो एशिया ट्रेड और वर्ल्डवाइड के पास अन्य कोई प्रतिभूतियां नहीं हैं.

फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार, इसका अर्थ यह हुआ कि रूसी बैंक से पिनेकल का ऋण अडानी कंपनी के शेयरों की कीमत देखते हुए सुरक्षित था. इसमें कहा गया है, ‘किसी भी फंड ने चार अडानी कंपनियों, जिनमें उन्होंने निवेश किया है, के लिए भारतीय वित्तीय फाइलिंग में गिरवी शेयरों का खुलासा नहीं किया है.’

फोर्ब्स ने लिखा है कि न तो अडानी समूह और न ही विनोद अडानी ने इस संबंध में कोई जवाब दिया.

एक भारतीय प्रतिभूति विशेषज्ञ ने गोपनीयता की शर्त पर फोर्ब्स से बात करते हुए कहा कि पिनेकल अडानी कंपनी के अपने शेयरों के बजाय निवेश निधियों (Investment Funds) को गिरवी रख रहा था, जिससे गिरवी रखे गए शेयरों का खुलासा करने के दायित्व से निधियों को छूट मिल सकती है.