हेट स्पीच के मामलों में कार्रवाई की मांग की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बोली गई हर बात हेट स्पीच नहीं होता. अदालत को सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि हेट स्पीच की कोई परिभाषा नहीं है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सभी भाषण हेट स्पीच नहीं होते हैं और यह तय करना होगा कि कौन से बयान या भाषण उस परिभाषा के तहत आते हैं.
एनडीटीवी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट हेट स्पीच के मामलों में कार्रवाई की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था.
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि दो दिन पहले उन्होंने 2014 में दायर एक मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. चुनाव अभियान के दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा था, ‘जो लोग खुदा में विश्वास रखते हैं, उन्हें खुदा माफ नहीं करेगा अगर उन्होंने भाजपा को वोट दिया तो.’
मामले का हवाला देते हुए न्यायाधीशों ने कहा, ‘बोली गई हर बात हेट स्पीच नहीं होती है.’ अदालत को सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि हेट स्पीच की कोई परिभाषा नहीं है और इसकी व्याख्या के लिए भारतीय दंड संहिता के संबद्ध प्रावधानों पर निर्भर रहना पड़ता है.
शाहीन अब्दुल्ला की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि हाल ही में हरियाणा के मेवात में आयोजित एक कार्यक्रम में बजरंग दल के हजारों सदस्यों ने अपने धर्म की रक्षा के लिए ‘त्रिशूल’ उठाने का संकल्प लिया है. लगभग 25 किमी दूर पटौदी में भी ऐसा ही एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था.
याचिका में कहा गया है कि इन कार्यक्रमों में लोगों को मुसलमानों के खिलाफ भड़काने वाले भाषण दिए जाते हैं, जो देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा है. इसके बावजूद हरियाणा पुलिस ने वक्ताओं और आयोजकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.
अदालत ने कहा कि वह दक्षिणपंथी समूह हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की याचिका पर भी सुनवाई करेगी, जिसमें कथित तौर पर हिंदुओं के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण देने वाले मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है. अदालत ने कहा कि सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई 21 मार्च को होगी.
जस्टिस जोसेफ ने कहा, ‘हमारी सभ्यता, हमारा ज्ञान शाश्वत है और हमें हेट स्पीच में लिप्त होकर इसे कम नहीं करना चाहिए… सभी धर्मों का साझा दुश्मन नफरत है… नफरत को दिमाग से हटा दें और आप अंतर देखेंगे.’