प्रदूषण के कारण दिल्ली-एनसीआर के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों को बंद रखने की घोषणा. उच्च न्यायालय और एनजीटी ने राज्य सरकारों को फटकार लगाई.
नई दिल्ली: दिल्ली में बुधवार सुबह भी धुंध की गहरी चादर पसरी रही और कई स्थानों पर दृश्यता शून्य के करीब पहुंच गई. शहर में हवा की गुणवत्ता और भी ख़राब हो गई तथा प्रदूषण का स्तर आपात स्थिति के काफी करीब पहुंच गया.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 अंकों के स्तर में 487 तक पहुंच गया. यह इस बात का संकेत है कि प्रदूषण की स्थिति गंभीर है जो सेहतमंद लोगों को भी प्रभावित कर सकती है तथा बीमार लोगों पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है.
अगर वायु गुणवत्ता 500 के स्तर तक पहुंच जाती है तो फिर आॅड-ईवेन और निर्माण कार्यों पर रोक संबंधी क़दम तत्काल उठाए जा सकते हैं.
उच्चतम न्यायालय से अधिकार प्राप्त पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) की ओर से घोषित क़दमों को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है.
प्राधिकरण ने व्यस्त अवधि के दौरान मेट्रो किराये में कमी करने और पार्किंग की दर बढ़ाने जैसे कदमों का ऐलान किया है.
दिल्ली मेट्रो रेल निगम ने कहा कि मेट्रो के फेरे बढ़ाने जैसे क़दम उठाए जा सकते हैं, लेकिन उसने किराये कम करने के संदर्भ में कुछ नहीं कहा.
नगर निगमों ने भी पार्किंग का शुल्क करने के बारे में कोई घोषणा नहीं की है.
बहरहाल, ईपीसीए ने बीते मंगलवार को स्पष्ट किया था कि उसके आदेश क़ानूनी रूप से बाध्यकारी हैं और संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों की ओर से जारी किए जाने के बाद ये प्रभावी हो जाएंगे.
पर्यावरण मंत्रालय ने जनवरी में राज पत्र अधिसूचना के ज़रिये ईपीसीए को अधिकार दिया था कि वह दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (जीआरएपी) को लागू करा सकती है.
भू विज्ञान मंत्रालय में सचिव माधवन राजीवन ने कहा कि दिल्ली में धुंध स्थानीय मामला नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण क्षेत्र में फैल गई है. उन्होंने कहा कि यह स्थिति अभी अगले दो-तीन दिन तक बनेगी.
पड़ोसी राज्यों के खेतों में पराली जलाए जाने से उठने वाले धुएं और यहां की नमी की वजह से राष्ट्रीय राजधानी गैस चैंबर में तब्दील हो गई है.
इससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत आने लगी. प्रदूषण के स्तर में कमी लाने के लिए अधिकारियों ने सिलसिलेवार क़दम उठाते हुए प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने और पार्किंग शुल्क को चार गुना करने सहित कई घोषणाएं की.
भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने दिल्ली में जन स्वास्थ्य को लेकर आपात स्थिति बताते हुए सरकार से अपील की है कि स्कूलों में खुले में होने वाले खेलों और ऐसी अन्य गतिविधियों पर रोक लगाई जाए.
दिल्ली सरकार ने बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और दमा एवं हृदय से जुड़ी अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों सहित ऐसे लोगों के लिए स्वास्थ्य परामर्श जारी किया है, जिनके इससे प्रभावित का ख़तरा अधिक है.
डॉक्टरों ने बाहर निकलने से बचने की सलाह दी
दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के मद्देनज़र डॉक्टरों ने लोगों को तड़के और शाम के घंटों के दौरान बाहर निकलने से बचने की सलाह दी है.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने इसे लोगों के स्वास्थ्य के लिए आपात स्थिति बताया और कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए एक आंदोलन शुरू किए जाने की ज़रूरत है.
उन्होंने बुजुर्गों, बच्चों और श्वसन और हृदय संबंधी समस्याओं के मरीज़ों को बहुत ज़्यादा शारीरिक मेहनत वाली गतिविधियों से बचने की सलाह दी.
उन्होंने लोगों को सुबह या शाम के घंटों के दौरान बाहर निकलने से बचने की भी सलाह दी क्योंकि इन घंटों में प्रदूषण का स्तर काफी ज़्यादा बढ़ जाता है.
उन्होंने कहा, प्रदूषक कण उस समय ज्यादा नीचे आ जाते है जब तापमान कम होता है और वहां हवा भी नहीं चलती है. तड़के और देर शाम के घंटों में प्रदूषण का स्तर ज्यादा बढ़ जाता है.
एम्स में पल्मोनरी मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. करण मदान ने बताया कि बुजुर्गों और बच्चों के फेफड़े प्रदूषण के इस तरह के उच्च स्तर का मुकाबला करने में समर्थ नहीं होते है और इसलिए उन्हें सांस लेने में परेशानी आती है.
उन्होंने कहा, और यह फेफड़ों तक ही सीमित नहीं है. यह हृदय-नाड़ी तंत्र और मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है.
सफ़दरज़ंग अस्पताल में पल्मोनरी मेडिसिन के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. जेसी सूरी ने बताया कि हवा के विषाक्त पदार्थों में सांस लेना सॉंस की नली में संक्रमण और सूजन का कारण बनता है.
उन्होंने कहा, इसके तुरंत प्रभाव कफ़, गले का संक्रमण और निमोनिया है. इससे फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है.
उन्होंने कहा, जब भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसिज़ (सीओपीडी) से ग्रस्त होने या अस्थमा बिगड़ने की स्थिति पैदा होती है.
मास्क पहनने की सलाह
इस बीच दिल्ली में कई स्कूलों ने बाहरी गतिविधियां रोक दी हैं और अभिभावकों को अपने बच्चों को मास्क पहनाने की सलाह दी. बहरहाल, डॉक्टरों ने कहा कि मास्क के साथ-साथ दीर्घकालिक उपाय करने की ज़रूरत है.
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि मास्क की प्रभावशीलता पर पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं और पर्यावरण संरक्षण के लिए आंदोलन शुरू करने की ज़रूरत है.
उन्होंने कहा, मास्क बहुत ज्यादा मददगार नहीं है क्योंकि मास्क के किनारों से हवा अंदर जा सकती है और यदि उसे ज्यादा कसकर बांधा जाये तो बच्चों तथा बुजुर्गों को इसके इस्तेमाल में असुविधा हो सकती है.
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा की सरकारों से नाराजगी जताते हुए पूछा कि इस तरह के हालात बनने का पूर्वानुमान होने के बाद भी रोकथाम के लिए कदम क्यों नहीं उठाए गए.
शहर में धुंध की मोटी परत के छाए रहने के कारण दृश्यता कम हो गई है और उड़ान एवं रेल परिचालन प्रभावित हुआ.
इस वजह से कमरों और यहां तक कि भूमिगत मेट्रो स्टेशनों में सांस लेना मुश्किल हो गया. लोगों को आंखों में जलन महसूस हुई.
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को कहा, ‘वायु की गुणवत्ता बिगड़ रही है. प्राथमिक स्कूल रविवार तक बंद रहेंगे. इसके अलावा माध्यमिक स्कूलों की कक्षाएं भी रविवार तक नहीं चलेंगी.’
दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के स्कूल हवा की गुणवत्ता ख़राब होने के कारण बुधवार को बंद रहे.
ग़ाज़ियाबाद में अगले दो दिनों तक प्राथमिक विद्यालय बंद रहेंगे. दक्षिण दिल्ली नगर निगम ने बयान जारी कर कहा, प्रदूषण से पैदा हुई भारी धुंध के कारण एसडीएमसी ने बुधवार को अपने सभी स्कूलों को बंद रखने का निर्णय किया है.
पूर्वी दिल्ली नगर निगम की मेयर नीमा भगत ने सभी स्कूलों को बंद रखने के फैसले की पुष्टि की.
दिल्ली सरकार ने घोषणा की है कि उसके स्कूलों में प्राथमिक कक्षाएं बुधवार को बंद रहेंगी और सभी स्कूलों में बाहर होने वाली गतिविधियां बंद करने के लिए कहा गया है.
ग़ाज़ियाबाद की ज़िलाधिकारी ने भी घोषणा की कि बुधवार और बृहस्पतिवार को ज़िले के सभी प्राथमिक विद्यालय बंद रहेंगे.
वहीं उच्चतम न्यायालय की सिफारिश पर श्रेणीबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) को लागू करने के लिए बनाए गए पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण प्राधिकरण ने कहा कि अगले नोटिस तक योजना के अनुसार गंभीर श्रेणी के लिए तय सभी उपायों पर अमल किया जाएगा.
उसने क्षेत्र की सभी राज्य सरकारों को संकट की स्थिति के मद्देनजर सम-विषम जैसी योजना लागू करने की तैयारी करने को कहा.
उच्च न्यायालय और एनजीटी ने सरकारों की खिंचाई की
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में प्रदूषण के गंभीर स्तर के पीछे सबसे बड़ा खलनायक फसलों का पराली का जलाया जाना है.
इस बीच, राष्ट्रीय हरित अधिकरण एनजीटी ने पराली जलाने के चलन पर लगाम लगाने की कोई तैयारी नहीं करने पर दिल्ली सरकार और पड़ोसी राज्यों को लताड़ लगाई.
उच्च न्यायालय ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और पड़ोसी राज्यों से पूछा कि उन्होंने इस मसले से निपटने के लिए क्या कदम उठाए हैं. वहीं, एनजीटी ने दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की सरकारों को आपातकालीन स्थिति से निपटने की तैयारी पहले से नहीं करने को लेकर फटकार लगाई.
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, हवा की गुणवत्ता इतनी ख़राब है कि बच्चे ठीक से सांस नहीं ले पा रहे. आपने हमारे निर्देश के मुताबिक हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल कर पानी का छिड़काव क्यों नहीं किया आप निर्देश लें और हमें बृहस्पतिवार को सूचित करें.
पीठ ने राज्य सरकारों से बताने को कहा कि उन्होंने पहले से एहतियाती उपाय क्यों नहीं किए जबकि पहले ही बता दिया गया था कि ऐसे हालात पैदा हो सकते हैं. पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी बताने को कहा कि उसने क्या आपातकालीन कदम उठाए हैं.
दूसरी ओर, उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति संजीव सचदेव की पीठ ने कहा कि अक्टूबर से लेकर जनवरी तक नाज़ुक अवधि होती है जब मौसम की स्थितियों के कारण दिल्ली में हवा की गुणवत्ता ख़राब रहती है.
पीठ ने कहा कि इस अवधि में पराली को जलाना सबसे बड़े खलनायक का काम करता है, जिससे हालात और बिगड़ते हैं.
अदालत ने कहा, इस समय स्थिति नाज़ुक हो जाती है. यह हवा की गुणवत्ता पहले ही धूल से लदी रहती है, लेकिन पराली जलाना हालात ख़राब कर देता है. यह सबसे बड़ा खलनायक बन जाता है .
पीठ ने कहा कि पराली जलाने के अलावा धूल और निर्माण-कार्य का मलबा भी हवा की खराब गुणवत्ता के लिए ज़िम्मेदार हैं.
अदालत ने कहा कि पराली जलाने पर पूरी तरह रोक लगाने में वक्त लगेगा, लेकिन सरकारों को निर्माण-कार्य से पैदा होने वाली धूल जैसे नियमन लागू करने की कोशिश करनी चाहिए और ऐसा आसानी से किया जा सकता है.
पीठ ने दिल्ली सरकार से पूछा कि उसने धूल की समस्या से निपटने के लिए कौन से एहतियाती कदम उठाए गए हैं.
अदालत राष्ट्रीय राजधानी में हवा की ख़राब गुणवत्ता के मुद्दे पर 2015 में शुरू की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
इस मामले में एमिकस क्यूरी नियुक्त किए गए वरिष्ठ वकील कैलाश वासदेव ने अदालत को बताया कि उसके आदेशों पर पालन नहीं किया जा रहा और संबंधित अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई का वक्त आ गया है .
केंद्र की तरफ से पेश हुए वकील अजय दिगपाल ने पीठ को बताया कि पर्यावरण मंत्रालय ने सभी हितधारकों के साथ बैठकें की हैं और पराली जलाने के मुद्दे की समीक्षा की जाएगी.
केंद्र ने यह भी कहा कि वह संबंधित राज्य सरकारों की ओर से मुहैया कराई गई उपग्रह से ली गई तस्वीरों के ज़रिये फसलों के अवशेष जलाए जाने की निगरानी कर रहा है .
इस बीच, पंजाब सरकार ने अदालत में हलफनामा दायर कर दावा किया कि उसने पूरे राज्य में पराली जलाने पर रोक लगा दी है.
राज्य सरकार ने यह भी कहा कि वह 22 सितंबर को अदालत की ओर से जारी सभी निर्देशों का पालन कर रहा है.
इसके बाद, अदालत ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान से कहा कि वह 22 सितंबर को पारित आदेशों के पालन के लिए उठाए गए कदमों का ब्योरा दें. अदालत इस मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को करेगी.
उड़ानों और ट्रेनों के संचालन में देरी
कम दृश्यता के कारण उड़ानों का परिचालन प्रभावित हुआ. इस वजह से 300 उडानों का परिचालन दो घंटे तक की देरी से किया गया क्योंकि तीन में से केवल एक रनवे का इस्तेमाल किया गया. वहीं दिल्ली आने वाली 25 ट्रेनें विलंबित हुईं.
वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 के पैमाने पर 448 अंक के साथ गंभीर स्तर पर मापा गया और इस साल दूसरी बार यह इस श्रेणी में गया है.
इससे पहले 20 अक्टूबर को दिवाली की आतिशबाज़ी के बाद प्रदूषण का स्तर 403 तक पहुंच गया था.
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एजेंसी सिस्टम ऑफ एअर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में पिछले 24 घंटों में पीएम 2.5 और पीएम 10 का औसत स्तर 406 और 645 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा.
यह सुरक्षित स्तर 60 और 100 से कई गुना अधिक है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के कई निगरानी केंद्रों ने प्रदूषण के सभी स्तर को पार कर जाने के कारण काम करना बंद कर दिया.
गैस चेंबर बन गई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘दिल्ली गैस चैंबर बन गई है. हर साल इस अवधि में यही होता है. हमें पड़ोसी राज्यों में फसलों की पराली जलाने के मुद्दे का समाधान खोजना होगा.’
केंद्रीय प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड (सीपीसीबी) के सदस्य सचिव ए. सुधाकर ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा, ‘सोमवार की रात से प्रदूषण की तीव्रता चरम पर पहुंच गई है क्योंकि उत्तर प्रदेश से भारी हवाओं और नमी का मेल तथा पंजाब एवं हरियाणा की तरफ से पराली के धुएं वाली हवाएं दोगुनी ख़तरनाक हो गई हैं.’
सुधाकर ने कहा, ‘हम अगले दो-तीन दिन में कोई बहुत बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं कर रहे. कोहरे की मौजूदगी और हवा नहीं चलने से प्रदूषणकारी तत्व छितरा नहीं पा रहे हैं.’
उन्होंने बताया कि हवा की रफ्तार फिलहाल करीब तीन मीटर प्रति सेकेंड है जो पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे प्रदूषणकारी तत्वों के बिखराव के लिए अपर्याप्त है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वायु प्रयोगशाला के प्रमुख दीपांकर साहा ने कहा, ‘धुंध को स्मॉग नहीं कहा जा सकता है क्योंकि दिल्ली की हवा में गैसीय प्रदूषकों सल्फर ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाईऑक्साइड का स्तर सुरक्षित सीमा से परे नहीं गया है.’
साहा ने कहा, ‘हां, हवा निश्चित तौर पर हानिकारक है और मौसम के लिहाज़ से सबसे ख़राब है. पीएम 2.5 और पीएम 10 के रूप में धूलकण हमारे श्वसन तंत्र में प्रवेश कर सकते हैं लेकिन इसे स्मॉग नहीं कहा जा सकता है.’
पार्किंग शुल्क बढ़ाया गया
पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने दिल्ली और आसपास के राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान तथा हरियाणा को निर्देश दिया कि अधिक बसें लगाकर सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बेहतर बनाएं.
दिल्ली में वायु प्रदूषण को देखते हुए अधिकारियों ने पार्किंग शुल्क में चार गुना वृद्धि करने और मेट्रो किराये कम करने समेत कुछ एहतियाती कदमों की घोषणा की.
प्रदूषण नियमों का उल्लंघन करने पर 50 हज़ार जर्माने का निर्देश
अन्य उपायों में ईपीसीए ने सड़क निर्माण एजेंसियों को दिल्ली-एनसीआर में धूल प्रदूषण नियमों के उल्लंघन पर 50 हज़ार रुपये जुर्माना लगाने का निर्देश दिया.
इसके अलावा दिल्ली और आसपास के प्रदेशों की सरकारों से प्रदूषण बढ़ने पर ऑड-ईवन और निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने जैसे उपाय करने को भी कहा गया है.
अन्य उपायों में पूरे क्षेत्र में ईंट-भट्टों, हॉट मिक्स प्लांट और स्टोन क्रशर्स को बंद करना शामिल है.
इसी बीच केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ने आईजीआई हवाईअड्डे, दिल्ली मेट्रो और अन्य सरकारी मंत्रालयों में तैनात अपने जवानों के लिए 9,000 मास्क जारी करने का निर्देश दिया.
लगातार दूसरे दिन धुंध छायी रही, सांस लेने में तकलीफ
दिल्ली के मौसम की बात करें तो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बुधवार को लगातार दूसरे दिन भी घनी धुंध छायी रही और लोगों को सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ा.
सुबह 5:30 बजे और 8:30 बजे दृश्यता का स्तर 300 मीटर दर्ज किया गया.
बुधवार का न्यूनतम तापमान 14 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. आर्द्रता का स्तर भी अधिक दर्ज किया गया. सुबह 8:30 हवा में नमी 98 प्रतिशत दर्ज की गई.
मौसम विभाग कार्यालय ने दिन में आसमान साफ रहने का अनुमान व्यक्त किया है. मौसम विज्ञानी ने बताया, अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस के करीब रह सकता है.
बीते मंगलवार का अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमश: 30 और 16.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
फिर लागू हो सकता है आॅड-ईवेन योजना: सिसोदिया
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को कहा कि सरकार गाड़ियों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए वाहनों की सम-विषम योजना फिर से लागू कर सकती है.
उन्होंने कहा, हम दिल्ली के लोगों से अपील करते हैं कि वे सुबह तथा शाम की सैर से बचें.
नगर में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर तक पहुंच जाने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अधिकारियों के साथ एक बैठक की जिसमें स्वास्थ्य एवं पर्यावरण विभागों के अधिकारी भी शामिल हुए.
उन्होंने कहा कि अगर स्थिति बिगड़ जाती है तो सरकार ग्रेडेड एक्शन प्लान के लिए तैयार है. इसमें ट्रकों का प्रवेश रोक देना, निर्माण कार्य पर रोक लगा देना और वाहनों के लिए सम-विषम योजना फिर लायी जा सकती है.
हरियाणा-पंजाब के मुख्यमंत्रियों से बैठक करने की केजरीवाल ने जताई इच्छा
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रदूषण का चेताने वाला स्तर कम करने के कदमों पर चर्चा करने के लिए पंजाब एवं हरियाणा में अपने समकक्षों के साथ बुधवार को बैठक करने की इच्छा जताई.
दिल्ली में मंगलवार को वायु की गुणवत्ता इस मौसम में सबसे ख़राब रही. फसलों की पराली जलाने से पैदा हुए ज़हरीले धुएं और नमी के संयुक्त प्रभाव के कारण शहर गैस चेंबर में तब्दील हो गया और लोगों को सांस लेने में दिक्कत हुई.
केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘मैं पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर पराली जलाने के समाधान खोजने के लिए उनके साथ एक बैठक करने का अनुरोध कर रहा हूं.’
दिल्ली में ज़हरीली धुंध का ख़तरा बना रहेगा
दिल्ली की हवा में घुले प्रदूषक तत्वों की परत से बनी धुंध के अगले कुछ दिनों तक और अधिक गहराने की आशंका है.
इसके कारण मौसम विभाग ने मंगलवार को पूर्वानुमान के आधार पर तीन दिन तक धुंध के गंभीर रूप से गहराने की चेतावनी जारी की है.
दिल्ली में मंगलवार को दमघोंटू धुंध का संकट गहराने में पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही पराली के अलावा लगातार करवट लेते मौसम की भी अहम भूमिका है.
मौसम विभाग के मुताबिक तापमान में गिरावट और हवा के थमने की वजह से धुंध छंटने की संभावना नगण्य हो गई है.
मौसम विभाग की अधिकारी डॉ. के. सती देवी ने बताया, ‘दिल्ली और आसपास के इलाकों में पिछले 48 घंटों के दौरान तापमान और हवा की गति में गिरावट तथा नमी में इज़ाफ़े को देखते हुये वायुमंडल में धुंध छायी है.’
उन्होंने बताया, ‘इस बीच हवा की गति भी तीन मीटर प्रति सेकेंड के न्यूनतम स्तर पर रहने की वजह से मंगलवार को धुंध की चादर गहरा गई.’
उन्होंने बताया कि इसका असर अगले तीन दिन तक पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बने रहने की आशंका को देखते हुए धुंध के गहराने की चेतावनी जारी की गई है.
इस बीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की तस्वीरों में भी उत्तर भारत के वायुमंडल में आग जनित धुएं की मौजूदगी को दर्शाया गया है. नासा की तस्वीरों में पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के पर धुएं की मौजूदगी को लाल रंग से इंगित करते हुए साफ देखा जा सकता है.
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में हवा की गति थमने के कारण वायुमंडल में मौजूद प्रदूषक तत्वों पीएम 2.5 और पीएम 10 धुंध की शक्ल में जमा हो गए हैं. इसकी वजह से न सिर्फ हवा में घुटन बढ़ गई है बल्कि यातायात सहित सामान्य जनजीवन भी प्रभावित हुआ है.
हरियाणा और पंजाब में भी जनजीवन प्रभावित
पंजाब और पड़ोसी हरियाणा में भी धुंध से सामान्य जनजीवन पर असर पड़ते देखा गया. चंडीगढ़ में मौसम विभाग के निदेशक सुरिंदर पाल ने कहा कि हवाएं नहीं चलने और अगले कुछ दिन तक बारिश की कोई संभावना नहीं होने से हालात बदलने के आसार नहीं हैं. इससे हरियाणा में प्रदूषण बढ़ेगा.
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सुदूर-संवेदी तकनीक से अकेले पटियाला में पराली जलाने के तीन हज़ार से अधिक मामले दर्ज किए हैं.
बोर्ड के अध्यक्ष कहान सिंह पन्नू ने कहा कि किसानों के बीच पराली जलाने के ख़िलाफ़ जागरूकता लाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.
हरियाणा में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी इस दिशा में अभियान शुरू कर दिया है और राज्य के पर्यावरण मंत्री विपुल गोयल ने किसानों से फसलों के अवशेष नहीं जलाने का अनुरोध किया है.
उन्होंने बताया कि बोर्ड द्वारा पकड़े गए ऐसे 227 किसानों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं. 454 किसानों पर इसके लिए जुर्माना भी लगाया गया है.
हालांकि हरियाणा और पंजाब के कई किसान लगातार पराली जला रहे हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
पिछले कुछ दिन से सुबह के समय घनी धुंध के चलते हरियाणा सरकार ने राज्य के सभी सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों और गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों का समय 30 नवंबर तक सुबह नौ बजे से शाम साढ़े तीन बजे तक करने का फैसला किया है. यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा.
हर्षवर्धन ने सरकारों से प्रदूषण के स्तर में कमी लाने के लिए जरूरी उपाय करने को कहा
दिल्ली में प्रदूषण के गंभीर स्तर तक पहुंचने पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रों से जुड़े राज्यों की सरकारों को इसमें कमी लाने और श्रेणीबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के प्रभावी अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने को कहा.
हर्षवर्धन जलवायु परिवर्तन से जुड़े अहम सम्मेलन के लिए अभी जर्मनी में हैं.
उन्होंने कहा कि दिल्ली सहित सभी संबंधित राज्य सरकारों की कई बैठकें हुई हैं और स्थिति से निपटने के लिए ज़रूरी उपायों पर सहमति बनी है और समय-समय पर उसकी समीक्षा की जा रही है.
उन्होंने कहा, मौसम संबंधी प्रतिकूल स्थितियों के कारण कुछ क्षेत्रों में स्मॉग उच्च स्तर पर है.
इसी बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन से मिलने का समय मांगा है, जिसे उनके जर्मनी के बॉन शहर में होने के कारण तय नहीं किया जा सकता है.
हालांकि हर्षवर्धन के कार्यालय ने जवाब में कहा है कि वह इस समय उपलब्ध नहीं हैं और अभी देश से बाहर हैं. नौ नवंबर के बाद ही मुलाकात संभव है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)