हरियाणा के भिवानी में हुए दोहरे हत्याकांड मामले में हरियाणा पुलिस ने राजस्थान पुलिस के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करते हुए आरोप लगाया है कि राजस्थान पुलिस के कर्मियों ने मामले के एक आरोपी के घर दबिश दी और उसकी गर्भवती पत्नी के साथ मारपीट की, जिससे उनका गर्भपात हो गया.
गुरुग्राम: हरियाणा पुलिस ने राजस्थान के दो लोगों की हत्या के पांच आरोपियों में से एक की गर्भवती पत्नी पर हमला करने के आरोप में राजस्थान पुलिस के अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ मंगलवार को एक आपराधिक मामला दर्ज किया.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, मामला गो रक्षक दल के सदस्य श्रीकांत पंडित के परिवार द्वारा यह आरोप लगाए जाने के बाद दर्ज किया गया कि राजस्थान के पुलिसकर्मी 17 फरवरी को उनके घर में घुस गए और उनकी 9 महीने की गर्भवती पत्नी कमलेश पंडित को मारा, जिससे उनका गर्भपात हो गया. राजस्थान पुलिस ने आरोपों से इनकार किया है.
श्रीकांत पंडित की मां दुलारी देवी ने कहा कि 17 फरवरी को तड़के 3.30 बजे राजस्थान पुलिस के 30 से 40 जवानों ने मरोदा गांव में उनके घर में घुसकर उनकी बहू के साथ मारपीट की.
देवी ने कहा, ‘कमलेश नौ माह की गर्भवती थी. हमने पुलिस से गुहार लगाई, जिनमें से कुछ सादे कपड़ों में थे. उन्होंने हमें गालियां दीं, हमारे साथ मारपीट की और हमारे दो बेटों को अपने साथ ले गए.’
बताया गया है कि पुलिस जब परिवार से मिलने गई तो श्रीकांत पंडित घर पर नहीं थे. देवी के बेटे- विष्णु और राहुल पुलिस पूछताछ के बाद वापस घर लौट आए थे.
देवी ने कहा कि कमलेश को जमीन पर धक्का दे दिया और वह पेट के बल गिर गई. उन्होंने कहा, ‘वह दर्द से चिल्ला रही थी लेकिन वे उसे खून से लथपथ छोड़कर चले गए. जब तक हम अस्पताल पहुंचे, डॉक्टरों ने हमें बताया कि उसका गर्भपात हो गया है.’
पुलिस ने हरियाणा के नगीना थाने में धारा 312 (गर्भपात करना), 148 (दंगा), 149 (गैरकानूनी तरह से जमा होना), 323 (हमला), 354 (महिला का शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग करना) और 452 (घर में जबरन घुसना) के तहत मामला दर्ज किया है.
हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग ने मामले का संज्ञान लिया और उन्हें कार्रवाई करने के लिए लिखा था.
खबरों के मुताबिक, रविवार को नूंह पुलिस ने ‘भ्रूण’ को बाहर निकाला और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की गई, लेकिन मौत का कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है.
नूंह के पुलिस अधीक्षक वरुण सिंगला ने कहा, ‘हम सभी तथ्यों और विवरणों का सत्यापन कर रहे हैं. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बावजूद मौत का कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है, इसलिए हमने आगे की जांच के लिए विसरा को लैब में भेज दिया है.’
राजस्थान पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा कि जब वे इस मामले के संबंध में हरियाणा गए तो हरियाणा पुलिस के अधिकारी हमेशा उनके साथ थे.
राजस्थान के पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा ने कहा, ‘राजस्थान पुलिस हमेशा अपने हरियाणा समकक्षों के साथ रही है. निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार कानूनी कार्रवाई की गई है और किसी भी मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं किया गया है.’
नूंह की सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) उषा कुंडू ने कहा कि उनकी टीमें राजस्थान पुलिस के साथ थीं, लेकिन उन्हें पंडित का घर दिखाकर वापस लौट गईं. उन्होंने कहा, ‘उसके बाद क्या हुआ, हमें नहीं पता. हम जांच कर रहे हैं.’
मालूम हो कि राजस्थान के घाटमीका गांव के दो निवासी- जुनैद और नासिर 14 फरवरी की सुबह अपने एक रिश्तेदार से मिलने के लिए बोलेरो कार से घर से निकले थे और कभी नहीं लौटे. परिवारों ने आरोप लगाया कि बजरंग दल के सदस्यों ने जुनैद और नासिर की हत्या कर दी और पुलिस से संपर्क किया. हरियाणा के भिवानी में दोनों के जले हुए शव एक गाड़ी में मिले थे.
जुनैद के चचेरे भाई इस्माइल की शिकायत के आधार पर राजस्थान के भरतपुर में इस मामले को लेकर एफआईआर दर्ज की गई थी. मृतकों के परिजनों ने अपनी शिकायत में कहा था कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने दोनों का भरतपुर से अपहरण किया. इस मामले में पुलिस ने बजरंग दल और गोरक्षा दल के मोनू मानेसर समेत पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
इससे पहले मामले के आरोपियों में से तीन के हरियाणा पुलिस के मुखबिर होने की बात सामने आई है. वहीं, मोनू मानेसर हरियाणा सरकार की गो सुरक्षा टास्क फोर्स का सदस्य है.