विरोध के बाद आईसीएचआर ने राष्ट्रगान बंद किया, दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीर हटाई: रिपोर्ट

नई दिल्ली स्थित भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव कार्यालय एवं सम्मेलन कक्ष में 'भारत माता' और जनसंघ के पूर्व अध्यक्ष दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीरें लगी हुई थीं. कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने इस पर आपत्ति जताई थी. पिछले छह महीने से परिसर में रोज़ राष्ट्रगान गाया जा रहा था, जिसे बंद कर दिया गया है.

आईसीएचआर परिसर में राष्ट्रगान की तस्वीर. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली स्थित भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव कार्यालय एवं सम्मेलन कक्ष में ‘भारत माता’ और जनसंघ के पूर्व अध्यक्ष दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीरें लगी हुई थीं. कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने इस पर आपत्ति जताई थी. पिछले छह महीने से परिसर में रोज़ राष्ट्रगान गाया जा रहा था, जिसे बंद कर दिया गया है.

आईसीएचआर परिसर में राष्ट्रगान की तस्वीर. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले एक स्वायत्त निकाय भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) में पिछले छह महीनों से रोजाना राष्ट्रगान गाया जा रहा था. आपत्ति जताए जाने के बाद इस पर रोक लगा दी गई है.

इसके अलावा आईसीएचआर के सदस्य सचिव उमेश कदम के दफ्तर और सम्मेलन कक्ष में लगीं भारत माता और जनसंघ के पूर्व अध्यक्ष दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीरें भी कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के ‘विरोध’ के बाद हटा दी गई हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आईसीएचआर के अध्यक्ष रघुवेंद्र तंवर और सदस्य सचिव उमेश कदम ने इस बात की पुष्टि की है, लेकिन इसके बारे में अधिक जानकारी देने से इनकार कर दिया.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘राष्ट्रगान का गायन अगस्त 2022 में एक मौखिक आदेश के बाद शुरू हुआ था और एक मौखिक आदेश पर ही रोक दिया गया. भारत माता और दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीरें हटाने का कोई लिखित आदेश नहीं था, लेकिन इन्हें दोनों ही स्थानों से हटा दिया गया.’

सूत्रों ने बताया कि दोनों ही कमरों में उपाध्याय और भारत माता की तस्वीरें दीवार पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लगी हुई थीं.

भारत माता और दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीरों के बारे में पूछे जाने पर सदस्य सचिव उमेश कदम ने कहा, ‘(तस्वीरें लगाने का) कोई लिखित आदेश नहीं था. लोग आते हैं और ऐसी चीजें उपहार में देते हैं और हम उन्हें उचित स्थान पर लगा देते हैं.’

पता चला है कि राष्ट्रगान कर्मचारियों द्वारा हर दिन सुबह 10 बजे आईसीएचआर पुस्तकालय के सामने गाया जाता था. कदम ने कहा कि ‘यह कर्मचारियों द्वारा स्वेच्छा से किया जाता था.’

सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रगान का गायन पिछले साल 11 अगस्त को उमेश कदम के आईसीएचआर में शामिल होने के बाद शुरू हुआ था. संपर्क करने पर अध्यक्ष तंवर ने कहा, ‘यह सच है कि (तस्वीरों और राष्ट्रगान के लिए) कोई उचित अनुमति नहीं थी. न तो (शासन) परिषद से, न मुझसे, लेकिन तस्वीरें हटाने और राष्ट्रगान रोकने में मेरी कोई भूमिका नहीं है. मैं 10 फरवरी से आईसीएचआर कार्यालय नहीं गया हूं.’

तंवर ने आगे कहा, ‘आईसीएचआर एक गैर-सांप्रदायिक संस्था है. हमें इसकी पवित्रता बनाए रखनी है.’

कदम हाल ही में दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक प्रोफेसर के तौर पर पढ़ा रहे थे, जहां वह छात्र कल्याण के डीन भी थे.

आईसीएचआर की स्थापना इतिहास के वैज्ञानिक लेखन के लिए 1972 में हुई थी.