कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, मोदी ने रोजगारहीनता एवं आर्थिक अवसरों की कमी से उत्पन्न गुस्से को सांप्रदायिक घृणा में तब्दील कर भारत को क्षति पहुंचाई है.

नई दिल्ली: नोटबंदी के कारण भारत के दो प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी खत्म होने, असंगठित श्रम क्षेत्र के तबाह होने और कई लघु एवं मध्यम उद्योगों के बंद होने जाने का दावा करते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने नोटबंदी की बरसी पर आरोप लगाया कि इस फैसले के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक समय फूल-फल रही अर्थव्यवस्था के प्रति विश्वास का सफाया कर दिया है.
राहुल ने यह बात फाइनेंशियल टाइम्स में ‘मोदीज रिफॉर्म हैव रोब्ड इंडिया ऑफ इट्स इकोनॉमिक प्रोवेज’ (मोदी के सुधारों के कारण भारत के आर्थिक कौशल का सफाया) शीर्षक से प्रकाशित आलेख में कही है.
उन्होंने कहा कि एक साल पहले प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय रिजर्व बैंक की अनदेखी कर और अपने मंत्रिमंडल को एक कमरे में बंद कर अपनी एकपक्षीय एवं मनमानी विमुद्रीकरण योजना की घोषणा की थी और देशवासियों को महज चार घंटे का नोटिस दिया.
उन्होंने लिखा, प्रधानमंत्री ने दावा किया कि उनके निर्णय का लक्ष्य भ्रष्टाचार का सफाया है. बारह महीनों में केवल यही चीज हुई है कि उन्होंने एक समय फूलती-फलती हमारी अर्थव्यवस्था के प्रति विश्वास का सफाया कर दिया.
चार महीनों में 15 लाख लोगों ने रोजगार गंवा दिया
राहुल के आलेख में कहा गया कि नोटबंदी के कारण दो प्रतिशत जीडीपी का सफाया हो गया, अनौपचारिक श्रम क्षेत्र तबाह हो गया तथा कई छोटे एवं मध्यम व्यापार बंद हो गए. इसने लाखों परिश्रमी भारतीयों के जीवन को तबाह कर दिया.
उन्होंने कहा कि सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकलन के अनुसार, नोटबंदी के बाद प्रथम चार महीनों में 15 लाख लोगों ने रोजगार गंवा दिया.
उन्होंने कहा, इस साल जल्दबाजी में लागू किए गए और खराब तरीके से परिकल्पित जीएसटी के कारण हमारी अर्थव्यवस्था पर एक अन्य प्रहार हुआ है. नौकरशाही एवं जटिलताओं के कारण इसने लाखों लोगों की रोजी-रोटी तबाह कर दी. इसने आधुनिक समय का लाइसेंस राज पैदा कर दिया जिससे कड़े नियंत्रण लग गए और सरकारी अधिकारियों को व्यापक अधिकार मिल गए.
मोदी ने अपने को छिछले विमर्श के पीछे छिपाकर रखना पसंद किया
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा श्री मोदी ने रोजगारहीनता एवं आर्थिक अवसरों की कमी से उत्पन्न गुस्से को सांप्रदायिक घृणा में तब्दील कर भारत को क्षति पहुंचाई है. उन्होंने अपने को छिछले एवं घृणा से भरे राजनीतिक विमर्श के पीछे छिपाकर रखना पसंद किया. क्रोध के कारण हो सकता है कि मोदी सत्ता में आ गए हों किंतु इससे नौकरी पैदा नहीं हो सकती और न ही भारत के संस्थानों की समस्याएं दूर हो सकती हैं.

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि ये दोनों कदम ऐसे समय में उठाए गए हैं जब वैश्विक ताकतों की भारतीय आर्थिक मॉडल से विशिष्ट अपेक्षाएं थीं. राज्य की यह एक प्राथमिक जिम्मेदारी होती है कि उसके लोगों को रोजगार मिले. श्रम प्रधान नौकरियों में चीन के वैश्विक एकाधिकार ने अन्य देशों के लिए चुनौतियां पैदा की हैं. इसके कारण लाखों कामगार उत्साहहीन और नाराज हो गए और उन्होंने मतपेटी पर अपनी खीझ उतारी. चाहे वह मोदी, ब्रेक्जिट या डोनाल्ड ट्रंप को मिले वोट ही क्यों न हों.
उन्होंने कहा, मोदी जैसे लोकतांत्रिक रूप से चुने गए निरंकुश व्यक्ति के उदय को दो कारकों से बल मिला. कनेक्टिविटी में व्यापक वृद्धि एवं संस्थानों पर उसका गंभीर प्रभाव तथा दूसरा वैश्विक नौकरी बाजार में चीन का दबदबा.
राहुल ने कहा कि चीन की रोजगार चुनौती का सामना करने के लिए वास्तविक बल लघु एवं मझोले उद्योगों का हमारा विशाल नेटवर्क है. हमें इनके नेटवर्क को शक्तिसंपन्न बनाने और उन्हें पूंजी एवं प्रौद्योगिकी से जोड़ने की आवश्यकता है. किंतु उनकी मदद करने के बजाय मोदी सरकार ने नाेटबंदी एवं त्रुटिपूर्ण नये कर जीएसटी के कारण उन्हें घातक रूप से घायल कर दिया है.
नोटबंदी के एक साल पूरे होने के अवसर पर विपक्ष की तरफ से काला दिन मनाने की घोषणा के दिन राहुल गांधी ने नोटबंदी को हादसा बताते हुए इसे प्रधानमंत्री का विवेकहीन फैसला बताया है.
नोटबंदी से लोगों ने जान और नौकरी दोनों गंवाई: चिदंबरम
नोटबंदी की घोषणा के एक साल पूरे होने पर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने बुधवार को कहा कि नोटबंदी के कारण लाखों लोग परेशान हुए और इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि इसके कारण लोगों की जान और नौकरी दोनों गई.
नोटबंदी के फैसले के एक साल के बाद पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि इस काला दिवस पर, लोगों की वास्तविक जीवन की कहानी पढ़नी चाहिए और इसके कारण परेशान होने वाले लाखों लोगों के लिए प्रार्थना करनी चाहिए.
उन्होंने अपने कई ट्वीट में कहा, क्या कोई इससे इनकार कर सकता है कि लोगों की जान गई, छोटे व्यापार बंद हो गए और रोजगार छिन गया.
Was it ethical to destroy 15 lakh regular jobs during Jan-April 2017?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) November 8, 2017
चिदंबरम ने दावा किया कि जनता के पास 15 लाख करोड़ रुपये नकद है, यह मात्रा बढ़ रही है और नवंबर 2016 में 17 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा.
उन्होंने कहा कि कितनी नकदी रुपये की आपूर्ति होनी चाहिए, यह फैसला रिजर्व बैंक का होना चाहिए, ना कि सरकार का. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि कम मांग और कम वृद्धि के कारणों में से एक चलन में नकदी की कृत्रिम कमी भी है.
उन्होंने सवाल किया, पारदर्शिता के हित में, सरकार को रिजर्व बैंक बोर्ड का एजेंडा जारी करना चाहिए, पहले की टिप्पणी और पूर्व गर्वनर रघुराम राजन की टिप्पणी के बारे में बताना चाहिए. यदि सरकार को अपने निर्णय पर भरोसा है, तो वह इन दस्तावेजों को सार्वजनिक करने से क्यों डर रही है?
ठीक एक साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कालाधन, भ्रष्टाचार, जाली नोट और आतंकवाद को वित्त पोषण के खिलाफ लड़ाई की दिशा में एक कदम उठाते हुए 1,000 रुपये और 500 रुपये के मौजूदा नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी. विपक्ष बुधवार को नोटबंदी के एक साल पूरे होने पर काला दिवस मना रहा है.
चिदंबरम ने कहा, सरकार दावा करती है कि कालाधन का सफाया हो गया है लेकिन जब गुजरात चुनाव का अभियान शुरू होगा तब आपको सफाया हुआ काला धन मिल जाएगा.
उन्होंने पूछा, बीबीसी का कहना है कि मोदी के मुद्रा संबंधी इस दांव से भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है. क्या बीबीसी कालेधन और भ्रष्टाचार की समर्थक है?
ममता ने नोटबंदी को हादसा बताया
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नोटबंदी को डिमो-डिज़ॉस्टर (नोटबंदी हादसा) बताते हुए ट्विटर पर अपने डिस्प्ले पिक्चर को काला कर दिया.
ममता ने सोमवार को घोषणा की थी कि नोटबंदी के एक साल पूरे होने पर वह अपने ट्विटर का डिस्प्ले पिक्चर काला रखेंगी. मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया है, मैंने अपना ट्विटर का डिस्प्ले पिक्चर काला कर दिया है. नोटबंदी हादसा. अपनी आवाज उठाएं.
I have turned my Twitter DP black #DeMoDisaster. Let us raise our voices #Nov8BlackDay 1/2
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) November 8, 2017
ममता ने अपने कल के फेसबुक पोस्ट में आरोप लगाया था कि नोटबंदी बहुत बड़ा घोटाला था जिसकी घोषणा कालाधन को सफेद धन में बदलने के निजी हित में की गई थी.
उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है, नोटबंदी बड़ा घोटाला है. मैं दुहराती हूं, नोटबंदी बड़ा घोटाला है. यदि विस्तृत जांच की जाए तो यह साबित हो सकता है.
मुख्यमंत्री ने अपने पोस्ट में आरोप लगाया है, नोटबंदी कालाधन के खिलाफ लड़ाई नहीं थी. यह सिर्फ सत्तारूढ़ दल के निजी हितों के तहत कालाधन को सफेद धन में बदलने के लिए किया गया था. विदेशी खातों से कोई काला धन वापस नहीं लाया जा सका. विशेष रूप से, इसका परिणाम बड़ा, बहुत बड़ा शून्य रहा.
उन्होंने लिखा है, नोटबंदी ना आतंकवाद से लड़ सकी, ना वह काला धन से लड़ सकी और ना ही देश के विकास में उसने कोई योगदान दिया. लेकिन नोटबंदी के इस शैतान के कारण देश अपने सकल घरेलू उत्पाद का करीब तीन लाख करोड़ रुपया गंवा चुका है.
नोटबंदी से आतंकियों, नक्सलियों का वित्तपोषण रुका: निर्मला सीतारमण
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि नोटबंदी से जम्मू-कश्मीर में आतंकियों का वित्त पोषण रुक गया. उन्होंने कहा कि इससे देश के विभिन्न हिस्सों में वाम उग्रवाद पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा.
उन्होंने कहा कि कश्मीर में पथराव की घटनाओं में भी कमी आई है. उनके मुताबिक नोटबंदी से हुई धन की कमी के परिणामस्वरूप ऐसा हुआ.
एक पुस्तक के विमोचन समारोह से इतर सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा, आंकड़े यह दिखाते हैं कि नोटबंदी के बाद आतंकियों का विा पोषण स्पष्ट तौर पर रुक गया.
उन्होंने कहा, उनके पास वास्तव में नकदी की कमी हो गई है. बैंक लूट के कई प्रयास किये गए, जो स्पष्ट तौर पर यह दिखाते हैं कि नोटबंदी या 500 और 1,000 रुपये के नोट को वापस लिए जाने से आतंकियों के लिए धन का प्रवाह प्रभावित हुआ है. उन्होंने कहा कि नोटबंदी से वाम उग्रवाद भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
सोशल मीडिया पर विपक्ष ने छेड़ा अभियान
नोटबंदी की घोषणा के एक वर्ष पूरे होने पर विपक्षी दलों के नेताओं ने सोशल मीडिया पर इस कदम को लेकर केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ भाजपा पर जमकर निशाना साधा. इस फैसले के विरोध में विपक्षी दल काला दिवस मना रहे हैं.
वह नोटबंदी नहीं अहंकार संतुष्टि थी जिसमें 150 लोगों की बलि ली गई। #BJPMoneyLaunderingDay
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) November 8, 2017
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एक शेर ट्वीट कर कहा, एक आंसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है. तुमने देखा नहीं, आंखों का समुंदर होना. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपना ट्विटर का डिस्प्ले पिक्चर काला कर दिया है.
राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद ने ट्विटर पर लिखा है, वह नोटबंदी नहीं, अहंकार संतुष्टि थी जिसमें 150 लोगों की बलि ली गई.
उन्होंने लिखा है, नोटबंदी नीनो- नथिंग इन- नथिंग आउट- ना कुछ अंदर, ना कुछ बाहर तरीके से लागू किया गया, इसलिए परिणाम कुछ नहीं रहा.
Has #Demonetisaton addressed the problem of corruption, fake currency ? Has terrorism been rooted out for ever? #BJPMoneyLaunderingDay
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) November 8, 2017
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया है, क्या नोटबंदी से भ्रष्टाचार और जाली नोटों की समस्या हल हुई? क्या आतंकवाद हमेशा के लिए जड़ से समाप्त हो गया?
नोटबंदी की वजह का पता लगाने के लिए संसदीय समिति जांच करे
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने केंद्र के नोटबंदी के कदम के पीछे की असली वजह का पता लगाने के लिए संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की है.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने देश में डिजिटल भुगतान कंपनियों के लिए एक नियामक तंत्र बनाए जाने की मांग की. चव्हाण ने कहा, नोटबंदी के बाद वक्त गुजरने के साथ एक अलग दृश्य देखने को मिला, जो प्रधानमंत्री के आठ नवंबर को इसकी घोषणा के साथ किए गए शुरुआती दावों से भिन्न है. यह आवेग में लिया गया निर्णय था, जिससे देश को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)