जम्मू कश्मीर: एक और कश्मीरी पंडित की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या की

दक्षिण कश्मीर के पुलवामा ज़िले के अचन गांव में हुई आतंकी घटना. मृतक की पहचान संजय कुमार शर्मा की रूप में हुई. कश्मीरी पंडितों की निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं के बाद प्रशासन द्वारा उनके घर को 24 घंटे सुरक्षा प्रदान की जा रही थी. अचन में संजय का अकेला कश्मीरी पंडित परिवार है, जो घाटी में सशस्त्र विद्रोह शुरू होने पर यहां वापस आ गया था.

आतंकियों द्वारा संजय कुमार शर्मा की हत्या के बाद शोक संतप्त परिजन.(सभी फोटो: जहांगीर अली)

दक्षिण कश्मीर के पुलवामा ज़िले के अचन गांव में हुई आतंकी घटना. मृतक की पहचान संजय कुमार शर्मा की रूप में हुई. कश्मीरी पंडितों की निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं के बाद प्रशासन द्वारा उनके घर को 24 घंटे सुरक्षा प्रदान की जा रही थी. अचन में संजय का अकेला कश्मीरी पंडित परिवार है, जो घाटी में सशस्त्र विद्रोह शुरू होने पर यहां वापस आ गया था.

आतंकियों द्वारा संजय कुमार शर्मा की हत्या के बाद शोक संतप्त परिजन.(सभी फोटो: जहांगीर अली)

पुलवामा: जम्मू कश्मीर में रविवार को एक और कश्मीरी पंडित समुदाय के व्यक्ति की आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. मृतक की पहचान 45 वर्षीय संजय कुमार शर्मा के रूप में हुई है.

दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के अचन गांव में स्थित संजय के घर से बमुश्किल 50 मीटर की दूरी पर ही आतंकवादियों ने उनकी जान ले ली.

यह हमला ऐसे समय हुआ है, जब पिछले दो वर्षों से अधिक समय में कश्मीरी पंडितों की निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं (Targeted Killings) के बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा उनके दो मंजिला घर को 24 घंटे सुरक्षा प्रदान की जा रही थी.

उनके परिवार के मुताबिक, वह अपनी पत्नी सुनीता शर्मा के साथ अस्पताल जा रहे थे, जब उन पर जानलेवा हमला किया गया.

पुलिस उप-महानिरीक्षक (डीआईजी) दक्षिण कश्मीर रईस मुहम्मद भट ने कहा, ‘हम मामले की तेजी से जांच कर रहे हैं. हम हत्या में शामिल आतंकवादियों का पता लगाएंगे और जल्द ही उन्हें मार गिराएंगे.’

पिछले साल से सुरक्षा कारणों से संजय कुमार शर्मा के घर पर पांच पुलिसकर्मियों के समूह को तैनात किया गया था.

नाम न बताने की शर्त पर इनमें से एक पुलिसकर्मी ने कहा, ‘गोलियों की आवाज सुनने के बाद हम सतर्क हो गए. हमने गेट बंद कर दिया और हमलावरों ने घर में घुसने की कोशिश की तो स्थिति संभाली.’

उन्होंने कहा, ‘हमारा कर्तव्य घर की रक्षा करना है. जब वे घर से बाहर जाते हैं तो उनकी सुरक्षा करने की जिम्मेदारी हमारी नहीं होती है.’

अचन में संजय का अकेला कश्मीरी पंडित परिवार है, जो घाटी में सशस्त्र विद्रोह शुरू होने पर यहां वापस आ गया था. संजय संयुक्त परिवार में रहते थे. उनके तीन भाई हैं. भूषण शर्मा और अशोक शर्मा, पेशे से किसान हैं. सबसे छोटे भाई दीप शर्मा जम्मू कश्मीर पुलिस में कार्यरत हैं.

सबसे बड़े भाई भूषण ने कहा कि कश्मीरी पंडितों की निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं का सिलसिला शुरू होने के बाद बैंक प्रबंधन ने संजय को घर पर रहने के लिए कहा था. हालांकि उन्हें तनख्वाह मिल रही थी.

उन्होंने आगे कहा, ‘हमारे परिवार की खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए संजय को पिछले साल (भारत सरकार की आवास योजना के तहत) एक घर भी आवंटित किया गया था, जो अभी भी निर्माणाधीन है.’

संजय कुमार शर्मा.

इस बीच जम्मू कश्मीर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और कुछ कश्मीरी नेताओं ने इस हमले की निंदा की.

सिन्हा ने कहा, ‘पुलवामा में संजय कुमार शर्मा पर हुए कायराना आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हैं. प्रशासन शोक संतप्त परिवार के साथ खड़ा है.’

एक बयान ने उन्होंने कहा, ‘शोक संतप्त परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं. प्रशासन ने आतंकवादियों से निपटने के लिए सुरक्षा बलों को खुली छूट दी है और हम आतंकवाद के ऐसे कृत्यों का दृढ़ता और निर्णायक रूप से मुकाबला करना जारी रखेंगे.’

हालांकि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने हत्या की त्वरित जांच करने और अपराधियों को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है, लेकिन यह पीड़ित परिवार में सुरक्षा की भावना को बहाल करने में विफल रहा है.

संजय के भाई भूषण ने कहा, ‘हमारा परिवार अब गांव में सुरक्षित नहीं है. आज उसकी बारी थी. कल मेरा नंबर होगा. हमारी समस्या का कोई समाधान नहीं है. हमें यहां नहीं रहना चाहिए. जब तक हम यहां रहेंगे, ये हत्याएं होती रहेंगी, सुरक्षा हो या न हो.’

मालूम हो कि संजय की हत्या इस साल कश्मीरी पंडितों पर निशाना बनाकर किया गया पहला हमला है. साल 2020 के बाद से जारी ऐसी हत्याओं की वजह से कश्मीर के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के बीच चिंता व भय का माहौल और बढ़ गया है.

बता दें कि पिछले कुछ समय से आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाकर लगातार की जा रहीं हत्याओं के बाद से घाटी में प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत काम कर रहे अनेक कश्मीरी पंडित जम्मू जा चुके हैं.

मई 2022 में कश्मीर में राहुल भट की हत्या के बाद से पिछले लगभग छह महीनों में प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत कार्यरत कश्मीरी पंडित तबादले की मांग को लेकर जम्मू में पुनर्वास आयुक्त कार्यालय में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

पिछले साल दिसंबर में केंद्र सरकार ने कहा था कि कश्मीर घाटी में साल 2020 से अब तक 9 कश्मीरी पंडित मारे गए हैं, जिनमें से एक कश्मीरी राजपूत समुदाय से थे.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2020 के बाद से कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदायों के लगभग दो दर्जन सदस्य मारे गए हैं. इनमें से तीन कश्मीरी पंडित सहित कम से कम 14 लोगों की पिछले साल आतंकियों द्वारा हत्या की गई है.

सितंबर 2022 में सरकार ने संसद को सूचित किया था कि जम्मू कश्मीर में अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद से और इस साल जुलाई के मध्य तक पांच कश्मीरी पंडित और 16 अन्य हिंदुओं तथा सिखों सहित 118 नागरिक मारे गए थे.

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