कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक बयान में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के ख़िलाफ़ जो अपमानजनक बातें कही हैं, उन्हें वह भले ही दोहराते रह सकते हैं, लेकिन अडानी महाघोटाले में अपनी भूमिका पर हमारे सवालों से वह बच नहीं सकते हैं.
नई दिल्ली: कांग्रेस ने मंगलवार को ‘हम अडानी के हैं कौन’ शृंखला के हिस्से के रूप में अडानी समूह पर अपना हमला जारी रखते हुए पूछा कि क्या ‘सर्व-शक्तिशाली’ एजेंसियां मनी लॉन्ड्रिंग के उन आरोपों की जांच करेंगी, जो ऑफशोर शेल कंपनियों द्वारा कथित तौर पर गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी से जुड़े हुए हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सवालों के एक नए सेट में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि 29 जनवरी को विनोद अडानी के खिलाफ गंभीर आरोपों के जवाब में अडानी समूह ने यह कहते हुए खुद को अलग रखने की कोशिश की थी कि विनोद अडानी के पास अडानी समूह की किसी भी सूचीबद्ध संस्था या सहायक कंपनी में कोई प्रबंधकीय पद नहीं है और उनकी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में उनकी कोई भूमिका नहीं है.
जयराम रमेश ने कहा, ‘फिर भी अडानी समूह में विनोद अडानी की केंद्रीय भूमिका के बारे में लगातार खुलासे हो रहे हैं, जिसके कारण लगता है कि हमें ‘दिख रहा है विनोद’ शीर्षक से सवालों की एक उप-शृंखला शुरू करनी पड़ेगी.’
कांग्रेस नेता ने अपने दो पेज के बयान को टैग करते हुए ट्वीट किया, ‘प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के खिलाफ जो अपमानजनक बातें कही हैं, उन्हें वह भले ही दोहराते रह सकते हैं, लेकिन अडानी महाघोटाले में अपनी भूमिका पर हमारे सवालों से वह नहीं बच सकते हैं.’
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के ख़िलाफ़ जो अपमानजनक बातें कही हैं, उन्हें वह भले ही दोहराते रह सकते हैं, लेकिन अडानी महाघोटाले में अपनी भूमिका पर हमारे सवालों से नहीं बच सकते हैं। ये हैं "HAHK – हम अडानी के हैं कौन श्रृंखला" के 18वें दिन के 3 सवाल
चुप्पी तोड़िए प्रधानमंत्री जी। pic.twitter.com/WQdyhhOrNm
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) February 28, 2023
कांग्रेस महासचिव ने बयान में कहा है कि जैसा कि हमने 19 फरवरी को ‘हम अडानी के हैं कौन’ प्रश्न शृंखला में उल्लेख किया था कि अडानी समूह द्वारा स्टॉक एक्सचेंजों में दायर किए गए विभिन्न ज्ञापनों में कहा गया था कि ‘समूह का मतलब एसबी अडानी फैमिली ट्रस्ट, अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड, अडानी ट्रेडलाइन एलएलपी, गौतम अडानी, राजेश अडानी, विनोद एस. अडानी है.
कांग्रेस नेता ने आगे कहा, लेकिन अब हमें पता चला है कि 18 मार्च, 2020 को अडानी समूह की ओर से अहमदाबाद में कंपनी रजिस्ट्रार को लिखे पत्र में कहा गया है कि, ‘कंपनी के प्रवर्तक विनोद एस. अडानी ने महत्वपूर्ण लाभकारी हित में परिवर्तन इस प्रकार से की सूचना दी है’.
जयराम रमेश ने कहा कि इस पत्र पर अडानी एंटरप्राइजेज के कंपनी सचिव और संयुक्त अध्यक्ष (विधि) जतिन जालूंधवाला ने हस्ताक्षर किए थे और इससे स्पष्ट होता है कि अडानी समूह के मामलों में विनोद अडानी की एक केंद्रीय भूमिका में हैं.
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या ये अकाट्य सबूत अंतत: भारत की सर्वशक्तिशाली एजेंसियों द्वारा विनोद अडानी की विदेशी शेल कंपनियों द्वारा समक्रमिक व्यापार (राउंड ट्रिपिंग) और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच का मार्ग प्रशस्त करेंगे? अथवा आप अपने करीबी दोस्त को संरक्षण देना जारी रखेंगे और अपने बचाव में उसके द्वारा प्रस्तुत हास्यास्पद थोथी दलील को स्वीकार कर लेंगे.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया कि विनोद अडानी के करीबी सहयोगी जयचंद जिंगरी से जुड़े पांच निवेश फंडों ने 20,000 करोड़ रुपये के अडानी फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) में एंकर इन्वेस्टर के रूप में सब्सक्रिप्शन का 11.3 प्रतिशत हिस्सा लिया था, जो अंततः विफल रहा.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘विनोद अडानी की तरह जिंगरी मॉरीशस स्थित अडानी ग्लोबल में एक पूर्व निदेशक हैं, जो अडानी एक्सपोर्ट्स की सहायक कंपनी है, जिसे 2006 में अडानी एंटरप्राइजेज का नाम दिया गया था. उनके भगोड़े स्टॉक ब्रोकर केतन पारेख और धर्मेश दोशी के साथ संबंध होने की भी सूचना है.’
उन्होंने पूछा कि, ‘कुछ चुनिंदा एफपीओ निवेशकों की तरह, क्या इन फंडों को भी अवैध रूप से पूर्व सूचना दे दी गई थी कि एफपीओ को बाद में रद्द किया जाएगा और उनका निवेश केवल अडानी समूह की साख को बचाने के लिए किया जा रहा है? क्या संबंधित पक्षों द्वारा की गई ये हेराफेरी गंभीर जांच के योग्य नहीं है?’
जयराम रमेश ने कहा, ‘मॉरीशस-आधारित एक छठा फंड, द ग्रेट इंटरनेशनल टस्कर फंड, जिसने एंकर निवेशक चरण में निवेश किया था, उसमें वही निदेशक हैं, जो अन्य फर्मों में विनोद अडानी और सुबीर मित्रा के साथ सह-निदेशक हैं, जो अडानी परिवार कार्यालय के प्रमुख है.’
उन्होंने कहा कि ऐसी खबरें हैं कि सेबी इन फंडों में से कुछ की जांच कर रहा है, लेकिन हमें इस बात की चिंता है कि इन मामलों में भी जांच क्या उसी दिशा में आगे बढ़ेगी जैसे अडानी समूह की अन्य गतिविधियों की जांच आज तक कहीं पहुंच नहीं पाई है.
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया कि क्या आप भारतीय निवेशकों और नागरिकों को आश्वस्त कर सकते हैं कि सेबी आपके दोस्तों को बचाने के लिए सांकेतिक जांच करने की बजाय ठोस कदम उठाएगा?
बता दें कि बीते फरवरी महीने में एक रिपोर्ट में गया था कि भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के सुर्खियों से दूर रहने वाले बड़े भाई विनोद अडानी की अडानी समूह की कंपनियों के विस्तार में केंद्रीय भूमिका रही है. फोर्ब्स पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि उन्होंने विभिन्न ऑफशोर कंपनियों का एक कथित जाल खड़ा किया, जिनका खुलासा नियामक अधिकरणों के सामने नहीं किया.
मालूम हो कि बीते जनवरी महीने में अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे, जिसके बाद समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई.
इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में ‘ऑफशोर शेल कंपनियों की विशाल भूलभुलैया’ के पीछे 60 वर्षीय व्यवसायी विनोद अडानी को बताया गया था, जिसने ‘अडानी की सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध और निजी इकाइयों में अरबों डॉलर इधर-उधर किए थे, जहां अक्सर संबंधित पार्टी के सौदों की प्रकृति के लिए जरूरी खुलासे नहीं किए गए थे.’
हिंडनबर्ग को दिए विस्तृत जवाब में अडानी समूह ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि वह सभी कानूनों और सूचना सार्वजनिक करने संबंधी नीतियों का पालन करता है.
अडानी समूह ने यह भी दावा किया था कि विनोद अडानी ‘किसी भी अडानी सूचीबद्ध इकाई या उनकी सहायक कंपनियों में कोई प्रबंधकीय पद नहीं रखते थे और दैनिक मामलों में उनकी कोई भूमिका नहीं थी.’