इंटरनेट बंद करने के मामले में लगातार पांचवें साल भारत शीर्ष पर: रिपोर्ट

वैश्विक डिजिटल अधिकार समूह एक्सेस नाउ और #KeepItOn द्वारा संकलित डेटा बताता है कि 2022 में दुनियाभर के 35 देशों ने कम से कम 187 बार इंटरनेट बंद किया. भारत में इस अवधि में 84 इंटरनेट शटडाउन हुए, जो दुनिया में सर्वाधिक थे.

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(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Source: Franck/Unsplash)

वैश्विक डिजिटल अधिकार समूह एक्सेस नाउ और #KeepItOn द्वारा संकलित डेटा बताता है कि 2022 में दुनियाभर के 35 देशों ने कम से कम 187 बार इंटरनेट बंद किया. भारत में इस अवधि में 84 इंटरनेट शटडाउन हुए, जो दुनिया में सर्वाधिक थे.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Source: Franck/Unsplash)

नई दिल्ली: जानबूझकर इंटरनेट बंद करने (शटडाउन) के मामले में लगातार पांचवें वर्ष भारत शीर्ष पर आया है.

वैश्विक डिजिटल अधिकार समूह एक्सेस नाउ और #KeepItOn द्वारा संकलित डेटा से पता चलता है कि भारत ने 2022 में कम से कम 84 शटडाउन लागू किए, जो किसी भी देश के लिए सबसे अधिक है.

रिपोर्ट के अनुसार, इसी साल दुनियाभर के 35 देशों ने कम से कम 187 बार इंटरनेट बंद किया. इनमें से 33 रिपीट ऑफेंडर यानी बार-बार ऐसा करने वाले हैं.

भारत एकमात्र जी-20 देश है जिसने 2022 में दो बार से अधिक इंटरनेट बंद किया , रूस और ब्राजील अन्य दो ऐसे देश रहे जिन्होंने इसी अवधि में क्रमशः दो और एक इंटरनेट शटडाउन किया.

(साभार: एक्सेस नाउ)

#KeepItOn अभियान 2016 में लगभग 70 संगठनों के संघ द्वारा शुरू किया गया था. तब से, एक्सेस नाउ के शटडाउन ट्रैकर ऑप्टिमाइजेशन प्रोजेक्ट (STOP डेटाबेस) में दर्ज सभी शटडाउन का लगभग 58% हिस्सा भारत का है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इंटरनेट शटडाउन डिजिटल अधिनायकवाद की खतरनाक निशानी हैं.’ इसके अनुसार, 2022 में 22 शटडाउन के साथ यूक्रेन  दूसरे स्थान पर रहा. इसके बाद ईरान (18)और म्यांमार (सात) इंटरनेट शटडाउन वाले देशों की सूची में तीसरे और चौथे स्थान पर है. (हालांकि म्यांमार का इंटरनेट शटडाउन 570 दिनों से अधिक समय तक चला था.)

रिपोर्ट के कुछ अन्य प्रमुख निष्कर्ष थे:

1. भारतीय अधिकारियों ने जम्मू कश्मीर में कम से कम 49 बार इंटरनेट का उपयोग बाधित किया, जिसमें जनवरी और फरवरी में कर्फ्यू-शैली में लगाए गए तीन दिवसीय शटडाउन के 16 बैक-टू-बैक आदेश शामिल हैं.

2. अब तक 2022 दुनिया के बाकी हिस्सों में सबसे बड़ी संख्या में शटडाउन वाला वर्ष था.

3. म्यांमार के कई क्षेत्रों में लोग मार्च 2022 तक 500+ दिनों तक ब्लैकआउट में रहे.

4. 2022 के अंत तक, टाइग्रे, इथियोपिया में लोगों ने 2+ साल के पूर्ण कम्युनिकेशन ब्लैकआउट का सामना किया. यहां लगभग 787+ दिन इंटरनेट बंद रहा.

रिपोर्ट के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और बार-बार संसदीय सुझावों के बावजूद सरकारों ने शटडाउन को सामान्य बना दिया है और अधिकारियों ने पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए सबसे बुनियादी तंत्र बनाने से भी इनकार कर दिया है.

(साभार: एक्सेस नाउ)

इंटरनेट शटडाउन पर भारत की प्रतिक्रिया

वर्तमान में टेलीकॉम सेवाओं का निलंबन भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत अधिसूचित दूरसंचार सेवाओं (सार्वजनिक आपातकालीन और सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017 के अस्थायी निलंबन द्वारा की जाती है. 2017 के नियम के अनुसार, किसी क्षेत्र में एक बार में 15 दिन तक दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी तौर पर बंद किया जा सकता है.

तब से, अधिकारियों द्वारा जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और अन्य राज्यों में इंटरनेट स्वतंत्रता को कम करने के लिए इन नियमों का उपयोग किया गया है. विरोध के कारण प्रभावित क्षेत्रों में भारत सरकार द्वारा इंटरनेट सेवाओं को बंद करने या निलंबित करने की खबरें अक्सर आती रही हैं. अग्निपथ विरोध, किसानों के विरोध आदि के दौरान इंटरनेट बंद किया गया था.

संसदीय समिति ने इंटरनेट शटडाउन का रिकॉर्ड न रखने पर दूरसंचार विभाग की खिंचाई की थी

बीते फरवरी महीने में ही द वायर  ने बताया था कि जून 2012 से मार्च 2021 के बीच देशभर में सरकार द्वारा 518 बार इंटरनेट को बंद किया गया. यह दुनिया में इंटरनेट ब्लॉक करने का सबसे ऊंचा आंकड़ा है.

हालांकि, दूरसंचार विभाग और गृह मंत्रालय के पास इन आंकड़ों की पुष्टि का कोई तंत्र नहीं है. उनके पास राज्यों द्वारा इंटरनेट को बंद करने आदेशों का कोई ब्योरा नहीं है.

इसे लेकर संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थायी समिति ने बजट सत्र के दौरान चिंता जाहिर की थी. समिति ने दूरसंचार विभाग और गृह मंत्रालय को जल्द से जल्द देशभर में इंटरनेट बंद करने के आदेशों के केंद्रीकृत डाटाबेस तैयार करने का निर्देश दिया था.