गुजरात का क़र्ज़ बढ़कर 3.40 लाख करोड़ रुपये हुआ; विपक्ष, अर्थशास्त्रियों ने चिंता जताई

पिछले साल (कैग) ने यह देखते हुए कि राज्य 'क़र्ज़ के जाल में फंसता जा रहा है' बढ़ते सार्वजनिक ऋण को लेकर सरकार को चेताया था. इसका कहना था कि बढ़ते ऋण और घटते राजस्व को देखते हुए राज्य सरकार को ऋण चुकाने की एक सुविचारित रणनीति पर काम करना होगा.

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गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल. (फोटो साभार: CMO Gujarat)

पिछले साल (कैग) ने यह देखते हुए कि राज्य ‘क़र्ज़ के जाल में फंसता जा रहा है’ बढ़ते सार्वजनिक ऋण को लेकर सरकार को चेताया था. इसका कहना था कि बढ़ते ऋण और घटते राजस्व को देखते हुए राज्य सरकार को ऋण चुकाने की एक सुविचारित रणनीति पर काम करना होगा.

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल. (फोटो साभार: CMO Gujarat)

नई दिल्ली: गुजरात का सार्वजनिक ऋण पिछले साल मार्च के अंत में दर्ज किए गए 3.20 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3.40 लाख करोड़ रुपये हो गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में विपक्ष और विशेषज्ञों ने बढ़ते कर्ज और गिरते राजस्व पर चिंता जताई है. पिछले साल यह देखते हुए कि राज्य ‘कर्ज के जाल में फंसता जा रहा है’ नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने बढ़ते सार्वजनिक ऋण के खिलाफ राज्य को चेताया था.

ताजा आंकड़े सरकार ने मंगलवार 28 फरवरी को राज्य का वार्षिक बजट पेश करते हुए प्रकट किए. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, राज्य के वित्त विभाग की प्रमुख सचिव (आर्थिक मामले) मोना कनधर ने कहा, ‘हमारे पहले के अनुमानों के हिसाब से गुजरात का सार्वजनिक ऋण 3,50,000 करोड़ रुपये होगा. लेकिन, नवीनतम संशोधित अनुमानों के अनुसार, यह 3,40,000 करोड़ रुपये है. अगले साल तक यह बढ़कर 3,81,000 करोड़ रुपये हो जाएगा.’

वित्त विभाग के एक अन्य अधिकारी, जे.पी. गुप्ता, प्रमुख सचिव, ने, हालांकि, कहा कि राज्य का ऋण मौजूदा मानदंडों के अनुरूप सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) की 27% सीमा के भीतर था. ‘हमारी जीएसडीपी वर्तमान में 22 लाख करोड़ रुपये है. 27% पर हम 5.75 लाख करोड़ रुपये का कर्ज उठा सकते हैं. हालांकि, गुजरात का कर्ज 3.5 लाख करोड़ रुपये से कम है.’

हालांकि वित्त विभाग के एक अन्य अधिकारी जेपी गुप्ता (प्रमुख सचिव) ने कहा कि राज्य का ऋण मौजूदा मानदंडों के अनुरूप सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) की 27% सीमा के भीतर था. गुप्ता ने कहा, ‘हमारी जीएसडीपी वर्तमान में 22 लाख करोड़ रुपये है. 27% पर हम 5.75 लाख करोड़ रुपये का कर्ज उठा सकते हैं. हालांकि, गुजरात का कर्ज 3.5 लाख करोड़ रुपये से कम है.’

सार्वजनिक ऋण में वृद्धि के साथ राज्य के प्रत्येक निवासी के सिर पर पिछले वर्ष के 46,000 रुपये की तुलना में 48,500 रुपये का कर्ज है विधानसभा में विपक्ष के सवालों के जवाब में सरकार ने कहा कि उसने वित्तीय वर्ष 2021-22 में सार्वजनिक ऋण पर ब्याज में 23,063 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. इसके अतिरिक्त, ऋण में 24,454 करोड़ रुपये घटाकर किश्तों में भुगतान किया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक,पिछले साल मार्च में कैग ने यह देखते हुए कि गुजरात को अपने कुल 3.08 लाख करोड़ रुपये (पुराने आंकड़े) के सार्वजनिक ऋण का 61% (1.87 लाख करोड़ रुपये) अगले सात साल में चुकाना होगा, राज्य को ‘कर्ज के जाल में फंसने’ को लेकर की चेतावनी दी थी.

कैग की रिपोर्ट में कहा गया था, ‘एक तरफ बढ़ते प्रतिबद्ध खर्च और दूसरी तरफ राजस्व घाटे को देखते हुए राज्य सरकार को कर्ज के जाल में फंसने से बचने के लिए ऋण चुकाने की एक सुविचारित रणनीति पर काम करना होगा.’

वहीं, राज्य के विशेषज्ञों ने सार्वजनिक ऋण में वृद्धि पर चिंता जताई है. प्रख्यात अर्थशास्त्री और गुजरात विद्यापीठ के पूर्व कुलपति सुदर्शन अयंगर ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘किसी भी राज्य को चलाने के लिए कर्ज की आवश्यकता होती है, लेकिन अहम सवाल यह है कि यह कर्ज कैसे चुकाया जाता है. अधिकांश राज्य ऋण विभिन्न करों के माध्यम से चुकाए जाते हैं, इसलिए यदि राज्य का ऋण बढ़ता है, तो यह लगभग तय है कि आने वाले दिनों में सरकार आम जनता से करों की भरपाई करेगी.’

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