ममता बनर्जी का 2024 आम चुनाव के लिए किसी भी गठबंधन से इनकार, कहा- अकेले लड़ेंगे

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी का यह बयान सागरदिघी उपचुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद आया है, जहां कांग्रेस ने सत्तारूढ़ तृणमूल से विधानसभा की सीट छीन ली है. ममता ने माकपा और कांग्रेस पर भाजपा के साथ साठगांठ का आरोप लगाया है.

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ममता बनर्जी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी का यह बयान सागरदिघी उपचुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद आया है, जहां कांग्रेस ने सत्तारूढ़ तृणमूल से विधानसभा की सीट छीन ली है. ममता ने माकपा और कांग्रेस पर भाजपा के साथ साठगांठ का आरोप लगाया है.

ममता बनर्जी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए किसी भी गठबंधन से इनकार करते हुए अकेले लोगों के समर्थन से चुनाव लड़ने की घोषणा की.

एनडीटीवी के मुताबिक, माकपा और कांग्रेस पर भाजपा के साथ सांठगांठ का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, ‘अगर अपवित्र गठबंधन होगा तो कांग्रेस भाजपा से कैसे लड़ेगी? वामपंथी भाजपा से कैसे लड़ेंगे… भाजपा विरोधी?’

ममता बनर्जी का यह बयान सागरदिघी उपचुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद आया है, जहां कांग्रेस ने सत्तारूढ़ तृणमूल से विधानसभा की सीट छीन ली है.

पश्चिम बंगाल की सागरदिघी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार बायरन विश्वास ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के प्रत्याशी को 22,980 मतों से पराजित किया. पिछले साल दिसंबर में राज्य के मंत्री सुब्रत साहा के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराए गए.

बनर्जी ने इसे लेकर कहा कि कांग्रेस, वामपंथी और भाजपा सभी ने सागरदिघी में ‘सांप्रदायिक कार्ड’ खेला है. अंतर यह है कि भाजपा ने इसे खुले तौर पर खेला है, लेकिन माकपा और कांग्रेस ने इसे काफी हद तक निभाया है.

उन्होंने कहा, ‘यह एक सबक है कि हमें माकपा या कांग्रेस की बात नहीं माननी चाहिए… जो भाजपा के साथ काम करते हैं, हम उनके साथ गठबंधन नहीं कर सकते हैं.’

बनर्जी ने एक बयान में कहा, ‘2024 में हम तृणमूल और लोगों के बीच एक गठबंधन देखेंगे. हम किसी भी अन्य राजनीतिक दलों के साथ नहीं जाएंगे. हम लोगों के समर्थन से अकेले लड़ेंगे.’

2019 में बंगाल के नेता विपक्षी गठबंधन के प्रमुख वार्ताकारों में से एक थे लेकिन न केवल वह विफल रही, बल्कि भाजपा ने उनके राज्य में व्यापक पैठ बना ली, 42 संसदीय सीटों में से 18 सीटों पर जीत हासिल की.

तब से ममता बनर्जी बंगाल पर तेजी से ध्यान केंद्रित कर रही हैं. किसी भी विपक्षी शक्ति प्रदर्शन में उनकी भागीदारी लगभग न के बराबर रही है.

2021 में उन्हें बंगाल में व्यापक जीत के साथ तीसरा कार्यकाल मिला है, लेकिन राज्य के बाहर उनकी कई कोशिशें सकारात्मक परिणाम नहीं लाई हैं. तृणमूल कांग्रेस गोवा और अब त्रिपुरा में खाता खोलने में विफल रही. हालांकि, पार्टी ने मेघालय में पांच सीटें जीतीं.

2021 के बाद से बनर्जी को कई लोगों ने प्रधानमंत्री पद की दावेदार के रूप में देखा है- हालांकि उनके साथ बिहार के उनके समकक्ष नीतीश कुमार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तेलंगाना के के. चंद्रशेखर राव भी हैं.

लेकिन गुरुवार को बनर्जी ने केवल अपनी भाजपा विरोधी साख- और स्थानीय विरोधियों माकपा और कांग्रेस पर निशाना साधा.

उन्होंने कहा, ‘जो लोग भाजपा को हराना चाहते हैं, मुझे विश्वास है कि वे हमें वोट देंगे … तृणमूल कांग्रेस इन तीन ताकतों से एक साथ लड़ने के लिए पर्याप्त है. हमने 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव में ऐसा किया है, हम इसे फिर से करेंगे. चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है.’