यह क़दम झारखंड सरकार द्वारा विभिन्न स्रोतों से ‘सूचना’ प्राप्त करने के बाद उठाया गया है कि वैध ई-चालान के बिना खनिजों की ‘बड़ी मात्रा’ को रेलवे के माध्यम से ले जाया या भेजा जा रहा है. झारखंड पिछले एक साल से साहिबगंज ज़िले में अवैध रूप से 1000 करोड़ रुपये के खनन किए गए पत्थरों को लेकर सुख़ियों में है.
रांची: झारखंड सरकार ने खनिजों के अवैध परिवहन में रेलवे की भूमिका की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है. साथ ही रेलवे से कहा है कि वह अपने अधिकारियों को इस ‘उच्च स्तरीय’ जांच समिति को पूरा सहयोग करने का निर्देश दे.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, यह निर्देश सरकार द्वारा विभिन्न स्रोतों से ‘सूचना’ प्राप्त करने के बाद आया है कि वैध ई-चालान के बिना खनिजों की ‘बड़ी मात्रा’ को रेलवे के माध्यम से ले जाया या भेजा जा रहा है.
मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के भीतर खनिजों के अवैध परिवहन में रेलवे की भूमिका की जांच और रोकथाम के लिए विनोद कुमार गुप्ता (सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय) की अध्यक्षता में एक सदस्यीय समिति गठित करने का फैसला लिया है. इसका कार्यकाल छह महीने का होगा.’
यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि झारखंड पिछले एक साल से साहिबगंज जिले में अवैध रूप से 1000 करोड़ रुपये के स्टोन चिप्स खनन को लेकर सुर्खियों में है.
मुख्यमंत्री सोरेन के सहयोगी पंकज मिश्रा को ईडी ने पहले एक ‘सरगना’ के आरोपी के तौर पर गिरफ्तार किया था और वर्तमान में वह न्यायिक हिरासत में है. इसी मामले में ईडी ने सोरेन से पूछताछ की थी.
हालांकि, अपनी पेशी से पहले सोरेन ने ईडी को लिखे एक पत्र में 8 करोड़ मीट्रिक टन अवैध रूप से खनन किए गए पत्थर (कथित रूप से 1000 करोड़ रुपये का) का परिवहन करने की बात कही थी. इसके लिए दो साल तक रोजाना 4,500 ट्रकों की जरूरत होगी, जबकि साहेबगंज में करीब 800 पंजीकृत ट्रक हैं.
सोरेन ने पत्र में कहा था, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि आपने (ईडी) बिना चालान के एक भी रेक (ट्रेनों में) की लोडिंग की पहचान नहीं की है, क्योंकि आपने किसी रेलवे अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है. आप दावा करते हैं कि पिछले दो वर्षों के दौरान साहिबगंज जिले में लगभग 6,500 रेक में (खनन किया गया) पत्थर लदा हुआ था. भले ही इन सभी 6,500 रेक में केवल अवैध रूप से खनन किए गए पत्थर ही लदे हों, जो कि मामला नहीं हो सकता है, वे अवैध रूप से खनन किए गए पत्थर की कुल 8 करोड़ मीट्रिक टन की ढुलाई के लिए पर्याप्त नहीं होंगे, जिससे 1,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा.’
राज्य में खनिजों के अवैध परिवहन को रोकने के लिए झारखंड खनिज (अवैध खनन, परिवहन और भंडारण की रोकथाम) नियम, 2017 को खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम की धारा 23सी के तहत अधिसूचित किया गया है.
अधिसूचित नियमावली के नियम 9(1) के अनुसार उत्खनित खनिजों का रेल द्वारा परिवहन भी झारखंड एकीकृत खान और खनिज प्रबंधन प्रणाली (जेआईएमएमएस) पोर्टल से प्राप्त परिवहन चालान के माध्यम से ही किया जाना है.
हालांकि, सोरेन ने कहा, ‘खनन, भूविज्ञान विभाग और विभिन्न उपायुक्त/जिला स्तर के अधिकारियों के माध्यम से वैध ई-चालान के साथ खनिजों के परिवहन के लिए कई निर्देश जारी किए गए हैं. इन तमाम प्रयासों के बावजूद विभिन्न स्रोतों से जानकारी मिल रही है कि बिना वैध ई-चालान के बड़ी मात्रा में खनिजों का रेलवे के माध्यम से परिवहन/भेजा जा रहा है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘इस संदर्भ में रेलवे से बिना परमिट/चालान के स्टोन चिप्स के परिवहन के संबंध में उपायुक्त दुमका द्वारा सूचना/डाटा भिजवाया गया है. इस अनियमितता में रेलवे अधिकारियों की संलिप्तता झलक रही है. इसलिए, राज्य के भीतर विभिन्न खनिजों के अवैध परिवहन में रेलवे अधिकारियों की भूमिका को रोकने के तरीकों की जांच करने और सुझाव देने के लिए एक सदस्यीय एसआईटी बनाने का निर्णय लिया गया है.’