बंगाल उपचुनाव में कांग्रेस की जीत के दो दिन बाद गिरफ़्तार पार्टी प्रवक्ता को ज़मानत

पश्चिम बंगाल की सरदिघी सीट पर हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की हार के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कथित तौर पर आलोचना के लिए कांग्रेस प्रवक्ता कौस्तव बागची के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया था. मुख्यमंत्री द्वारा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी पर की गई व्यक्तिगत टिप्पणी पर कौस्तव ने प्रतिक्रिया दी थी.

कौस्तव बागची. (फोटो साभार: फेसबुक)

पश्चिम बंगाल की सरदिघी सीट पर हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की हार के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कथित तौर पर आलोचना के लिए कांग्रेस प्रवक्ता कौस्तव बागची के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया था. मुख्यमंत्री द्वारा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी पर की गई व्यक्तिगत टिप्पणी पर कौस्तव ने प्रतिक्रिया दी थी.

कौस्तव बागची. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के खिलाफ कथित टिप्पणियों के लिए शनिवार को गिरफ्तार जाने के कुछ घंटों बाद कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रवक्ता कौस्तव बागची को कोलकाता की एक अदालत ने जमानत दे दी.

हाल ही में हुए सरदिघी विधानसभा उपचुनाव के नतीजों में सत्ता पक्ष की हार के बाद ममता बनर्जी की आलोचना पर उनकी प्रतिक्रिया के लिए बागची के खिलाफ कोलकाता के बर्टोला पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई थी.

इसके बाद इस पुलिस थाने के एक दल ने राज्य के उत्तर 24 परगना जिले में बैरकपुर स्थित बागची के आवास पर तड़के छापा और उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.

इसके बाद उन्हें कोलकाता लाया गया और बर्टोला पुलिस स्टेशन में रखा गया, जिसके बाहर पार्टी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया.

बागची के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जान-बूझकर अपमान), 506 (आपराधिक धमकी) और अन्य के तहत आरोप लगाए गए थे.

बैंकशाल अदालत में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने एक हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी. बागची वकील भी हैं.

बागची के खिलाफ टीएमसी समर्थक होने का दावा करने वाले सुमित सिंह नाम के शख्स ने शुक्रवार (3 मार्च) की रात बर्तोला पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी.

मालूम हो कि बीते बृहस्पतिवार (2 मार्च) को मुर्शिदाबाद जिले की सागरदिघी सीट पर हुए उपचुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को हार का सामना करना पड़ा था.

यहां हुए उपचुनाव में वाम समर्थित कांग्रेस उम्मीदवार बायरन विश्वास ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के प्रत्याशी को 22,980 मतों से पराजित किया. पिछले साल दिसंबर में राज्य के मंत्री सुब्रत साहा के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई थी.

मालूम हो कि बृहस्पतिवार को सागरदिघी उपचुनाव में पार्टी की जीत के बाद पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी पर कांग्रेस प्रवक्ता बागची ने प्रतिक्रिया दी थी.

पिछले 12 साल से इस सीट पर टीएमसी का कब्जा रहा है. यह पहले 1980 के दशक के अंत तक कांग्रेस का गढ़ रहा था.

बागची ने उपचुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद अधीर रंजन चौधरी पर ‘व्यक्तिगत हमले’ करने को लेकर ममता बनर्जी के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और उनकी कथित रूप से आलोचना की थी.

द टेलीग्राफ अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, अधीर रंजन चौधरी ने इस जीत को ‘राज्य की कांग्रेस और वाम गठबंधन की जीत’ करार दिया था. उन्होंने कहा था, ‘लोगों ने हम पर विश्वास किया है और टीएमसी तथा बीजेपी दोनों को खारिज कर दिया है. टीएमसी को याद रखना चाहिए कि उसके अंत की शुरुआत मुर्शिदाबाद जिले से हुई है.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री बनर्जी ने अधीर रंजन चौधरी की बेटी की मौत का जिक्र करते हुए उन पर निजी हमला किया था.

इसके जवाब में बागची ने पूर्व टीएमसी विधायक और आईएएस अधिकारी दीपक घोष की किताब का उल्लेख करते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की थी. इस किताब में टीएमसी की आलोचना की गई थी.

उन्होंने कहा था, ‘अगर टीएमसी यह व्यक्तिगत हमला करती है, तो हम भी इस किताब को प्रसारित करेंगे और मुख्यमंत्री पर व्यक्तिगत हमला करेंगे.’

वहीं मुख्यमंत्री बनर्जी ने दावा किया था कि सत्तारूढ़ दल को हराने के लिए कांग्रेस और वाम दलों ने भाजपा के साथ समझौता किया था.

बनर्जी ने कहा था, ‘सागरदिघी में हुई हार के लिए मैं किसी को दोष नहीं दे रही. कभी-कभी लोकतंत्र में घटनाक्रम आमतौर पर सकारात्मक या नकारात्मक हो सकते हैं, लेकिन एक अनैतिक गठबंधन है, जिसकी हम कड़ी निंदा करते हैं. (चुनाव में) बीजेपी ने अपने वोट कांग्रेस को ट्रांसफर कर दिए थे.’

इतना ही नहीं इस हार के बाद ममता बनर्जी ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए किसी भी दल के साथ गठबंधन करने से इनकार करते हुए अकेले लोगों के समर्थन से चुनाव लड़ने की घोषणा की थी.