शिवसेना के दो फाड़ के बाद निर्वाचन आयोग द्वारा एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और पार्टी चिह्न देने के फैसले की आलोचना करते हुए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि आयोग का फैसला हमें स्वीकार नहीं है. वे शिंदे गुट को पार्टी का नाम और चिह्न दे सकते हैं, लेकिन पार्टी नहीं.
पुणे: भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) पर निशाना साधते हुए शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के प्रतिद्वंद्वी गुट को शिवसेना का नाम और पार्टी का प्रतीक देने का आयोग का निर्णय अस्वीकार्य है. उन्होंने आयोग पर ‘सत्ता के गुलाम होने’ और ‘ऊपर से आदेश लेने’ का आरोप लगाया.
द हिंदू के मुताबिक, पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न खोने के बाद ठाकरे ने कोंकण के रत्नागिरी जिले के खेड़ में अपनी पहली मेगा रैली की, जिसे संबोधित करते हुए उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा और शिंदे की शिवसेना पर निशाना साधा. उल्लेखनीय है कि मराठी मुस्लिम सेवा समिति (एमएमएसएस) ने एक पत्र जारी कर मुसलमानों से ठाकरे की रैली में बड़ी संख्या में भाग लेने की अपील कीथी .
रैली में ठाकरे ने कहा, ‘ईसीआई का फैसला हमें स्वीकार्य नहीं है. वे एकनाथ शिंदे समूह को पार्टी का नाम और चिह्न दे सकते हैं, लेकिन पार्टी नहीं दे सकते, जिसे मेरे पिता (बाल ठाकरे) ने स्थापित किया था. हम उन्हें ऐसा नहीं करने देंगे. यह आयोग सत्ता का गुलाम है, वे ऊपर (भाजपा शासित केंद्र) से मिले आदेशों के मुताबिक काम करते हैं और ईसीआई कहलाने के लायक नहीं हैं.’
उन्होंने साथ ही कहा कि शिवसेना की स्थापना उनके पिता ने की थी न कि ईसीआई आयुक्त के पिता ने. अपनी रैली में भारी भीड़ की ओर इशारा करते हुए ठाकरे ने कहा कि ‘अगर चुनाव आयोग की आंखों पर पट्टी नहीं पड़ी तो आयोग के अधिकारी खेड़ आकर खुद देख सकते हैं कि असली ‘शिवसेना’ कौन है.’
भाजपा पर निशाना साधते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि सेना को तोड़कर भाजपा ने मराठी भाषी आबादी और आम तौर पर हिंदू समुदाय को आहत किया है.
ठाकरे ने कहा, ‘जब आपको (भाजपा) कोई नहीं पूछता था, तो वो शिवसेना प्रमुख (बाल ठाकरे) थे जो आपके साथ खड़े थे. बालासाहेब ने भाजपा को ‘हिंदुत्व’ स्थापित करने में मदद की थी और फिर भी उन्होंने हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया.’
गृह मंत्री अमित शाह के ठाकरे पर कांग्रेस और एनसीपी के साथ सांठगांठ करने के आरोपों पर ठाकरे ने भाजपा के पाखंड पर सवाल उठाते हुए पूछा कि मेघालय की नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) को ‘सबसे भ्रष्ट’ करार देने वाली भाजपा अब आसानी से एनपीपी नेता कोनराड संगमा के साथ सरकार कैसे बना सकती है?