उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा उनके आठ निजी स्टाफ सदस्यों को 12 संसदीय स्थायी समितियों और आठ विभागीय स्थायी समितियों में जगह दी गई है. इनमें से दो स्टाफर उनके रिश्तेदार और क़रीबी बताए गए हैं. विपक्ष ने इस निर्णय को अभूतपूर्व बताते हुए आलोचना की है.
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा उनके आठ निजी स्टाफ सदस्यों को 12 संसदीय स्थायी समितियों और आठ विभागीय स्थायी समितियों में रखे जाने के निर्णय को विपक्षी नेताओं ने ‘संस्थागत ध्वंस’ और ‘गैरक़ानूनी’ क़रार दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, उपराष्ट्रपति के स्टाफ में से समितियों में जोड़े गए सदस्यों में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) राजेश एन. नाइक, निजी सचिव (पीएस) सुजीत कुमार, अतिरिक्त निजी सचिव संजय वर्मा और ओएसडी अभ्युदय सिंह शेखावत शामिल हैं. राज्यसभा के सभापति के कार्यालय से नियुक्त किए गए कर्मियों में उनके ओएसडी अखिल चौधरी, दिनेश डी., कौस्तुभ सुधाकर भालेकर और पीएस अदिति चौधरी हैं.
2021 में तृणमूल कांग्रेस के सांसद महुआ मोइत्रा ने एक ट्वीट में यह दावा किया था कि तब पश्चिम बंगाल के राज्यपाल का पद संभाल रहे धनखड़ के परिवार के सदस्यों/रिश्तेदारों को बंगाल राजभवन में ओएसडी के तौर पर नियुक्त किया गया था.
And Uncleji- while you’re at it- take the extended family you’ve settled in at WB RajBhavan with you. pic.twitter.com/a8KpNjynx9
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) June 6, 2021
यदि मोइत्रा के दावे सही हैं, तो स्थायी समितियों में नियुक्त अभ्युदय सिंह शेखावत और अखिल चौधरी धनखड़ से संबंधित हैं.
राज्यसभा सचिवालय के मंगलवार के आदेश में कहा गया है कि इन अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से जोड़ा गया है. ज्ञात हो कि भारत के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं.
एक राज्यसभा सांसद ने अखबार को बताया कि इस तरह का कदम ‘अभूतपूर्व’ है. इसी शब्द का इस्तेमाल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने भी एक ट्वीट में किया था.
Vice-President Jagdeep Dhankhar appoints his staff on Standing Committees
Yes it is unprecedented. But the explanation given is also quite inappropriate. Doesn’t it reflect Chairman Rajya Sabha’s lack of confidence in the existing staff of RS Secretariat? https://t.co/01KUJvVJpE— digvijaya singh (@digvijaya_28) March 9, 2023
सिंह ने लिखा, ‘उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्थायी समितियों में अपने कर्मचारियों की नियुक्ति की है. हां, यह अभूतपूर्व है. लेकिन इसके लिए दिया गया स्पष्टीकरण भी अनुचित है. क्या यह राज्यसभा के सभापति के राज्यसभा सचिवालय के मौजूदा कर्मचारियों के प्रति अविश्वास को नहीं दर्शाता है?’
द हिंदू के अनुसार, सभापति सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह कदम कई वजहों से उठाया गया है. उन्होंने कहा, ‘हाल ही में सभापति के निर्देश पर ‘लाइब्रेरी, रिसर्च, डॉक्यूमेंटेशन एंड इंफॉर्मेशन सर्विस (LARRDIS)’ के साथ काम करने वाले शोधकर्ताओं को भी इन समितियों से जोड़ा गया था और उनके योगदान की बहुत सराहना की गई थी. स्टाफ के सदस्य भी समितियों के कामकाज में हाथ बटाएंगे और सभापति को विभिन्न समितियों के कामकाज और प्रदर्शन से अवगत कराएंगे.’
हालांकि विपक्ष के नेता इस तर्क से सहमत नहीं हैं. कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी की स्थायी समिति के प्रमुख हैं, ने कहा कि यह आदेश ‘अभूतपूर्व और समझ से बाहर है. उन्होंने जोड़ा, ‘स्थायी समितियों में से एक के अध्यक्ष के रूप में मुझे इस एकतरफा कदम से होने वाला कोई फायदा नजर नहीं आता. ये राज्यसभा की स्थायी समितियां हैं न कि सभापति की स्थायी समितियां.’
रमेश राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक (चीफ व्हिप) भी हैं. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि उन्होंने धनखड़ के साथ इस मुद्दे को उठाने का सोचा है क्योंकि राज्यसभा की सभी समितियों में ‘पहले से ही सचिवालय से लाए हुए सक्षम कर्मचारी हैं.’
VP is Chairperson of Council of States Ex-officio.He is not a Member of House like Vice Chairperson or Panel of Vice Chairpersons. How can he appoint personal staff on Parliamentary Standing Committees?Would this not tantamount to institutional subversion? https://t.co/CtEBBCds58
— Manish Tewari (@ManishTewari) March 8, 2023
कांग्रेस के लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने भी इस कदम की आलोचना करते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘भारत के उपराष्ट्रपति राज्यों की परिषद के पदेन अध्यक्ष होते हैं, न कि उपसभापति या उनके पैनल की तरह सदन का सदस्य. वे कैसे अपने निजी स्टाफ को संसद की स्थायी समितियों में नियुक्त कर सकते हैं? क्या यह संस्थागत विध्वंस के समान नहीं होगा?’
नाम न छापने की शर्त पर एक सेवानिवृत्त सेक्रेटरी जनरल ने द हिंदू से कहा कि प्रत्येक समिति को एक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी देखते हैं, जो किसी भी घटनाक्रम के बारे में, जब भी जरूरी हो, सेक्रेटरी जनरल को सूचित करते थे. सेक्रेटरी जनरल अपनी ओर से सभापति को जानकारी देते थे.
उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि समिति के अध्यक्ष संसद के प्रति जवाबदेह और समिति के कामकाज के लिए जिम्मेदार हुआ करते थे. उन्होंने जोड़ा, ‘यहां सवाल यह है कि जब पहले से ही एक मौजूदा तंत्र है, जो सुचारू रूप से काम करता है तो कर्मचारियों की अतिरिक्त मंडली लाने की क्या जरूरत है.’
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी इस कदम की आलोचना की है.
"8 members of personal staff of VP & RS Chairman Jagdeep Dhankhar have been appointed to 20 committees that come under the ambit of the RS as per an order released by the RS secretariat on Tuesday, raising eyebrows".
Totally illegal & abuse of power by VP https://t.co/fiAO8lHOqd— Prashant Bhushan (@pbhushan1) March 8, 2023
उन्होंने इसे एक ‘अवैध’ बताया और कहा कि यह ‘उपराष्ट्रपति द्वारा सत्ता के दुरुपयोग’ का एक उदाहरण है.