जम्मू कश्मीर: ब्लैकलिस्ट कंपनी द्वारा भर्ती परीक्षा कराने का विरोध कर रहे युवाओं पर लाठीचार्ज

एक ब्लैकलिस्ट कंपनी को जम्मू कश्मीर सेवा चयन बोर्ड के लिए भर्ती परीक्षा कराने का ठेका दिया गया है. इसका विरोध जताने के लिए तमाम युवा जम्मू समेत विभिन्न जगहों पर सड़क पर उतरे थे, जब पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर हिरासत में ले लिया था.

ब्लैकलिस्ट की गई कंपनी को सरकारी नौकरी के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित कराने के विरोध में युवाओं ने जम्मू में प्रदर्शन किया. (फोटो साभार: ट्विटर)

एक ब्लैकलिस्ट कंपनी को जम्मू कश्मीर सेवा चयन बोर्ड के लिए भर्ती परीक्षा कराने का ठेका दिया गया है. इसका विरोध जताने के लिए तमाम युवा जम्मू समेत विभिन्न जगहों पर सड़क पर उतरे थे, जब पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर हिरासत में ले लिया था.

ब्लैकलिस्ट की गई कंपनी को सरकारी नौकरी के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित कराने के विरोध में युवाओं ने जम्मू में प्रदर्शन किया. (फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा बीते बुधवार (8 मार्च) को सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों पर लाठीचार्ज और उन्हें हिरासत में लेने का मामला सामने आया है.

ये उम्मीदवार जूनियर इंजीनियर और सब-इंस्पेक्टर पदों के लिए कंप्यूटर आधारित भर्ती परीक्षा आयोजित करने की बैकलिस्टेड कंपनी ‘एप्टेक लिमिटेड’ को जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा मिली अनुमति का विरोध कर रहे थे.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी को देश के कई राज्यों द्वारा ब्लैकलिस्ट किया गया है. यहां तक कि अदालत ने भर्ती परीक्षा में कथित धोखाधड़ी और हेरफेर के लिए उस पर जुर्माना भी लगाया था.

काली सूची में डाली गई कंपनी एप्टेक लिमिटेड और जम्मू कश्मीर सेवा चयन बोर्ड (जेकेएसएसबी) के खिलाफ बड़े पैमाने पर ऑनलाइन अभियान चलाने के बाद तमाम युवा उम्मीदवार सड़कों पर उतरे थे.

जम्मू कश्मीर प्रशासन के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए सैकड़ों युवाओं ने जम्मू में विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनों को शांत करने के लिए बल प्रयोग भी किया.

जम्मू के अलावा ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर सहित अन्य हिस्सों में भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शन हुए.

जम्मू कश्मीर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ डंडों का इस्तेमाल किया और कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया, जिनमें से कुछ जम्मू में सरकार विरोधी नारे लगा रहे थे.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, जेकेएसएसबी 2019 के बाद से आयोजित चार प्रमुख चयन प्रक्रियाओं में अनियमितताओं के आरोप और चयन सूचियों को रद्द करने के मामले सामने आने के बाद विश्वसनीयता के संकट से गुजर रहा है.

इसके अलावा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पिछले साल हुई सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा के दौरान पेपर लीक होने के आरोपों की पहले से ही जांच कर रही है.

पुलिस द्वारा छात्रों पर लाठीचार्ज करने का विरोध जताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘मैं छात्रों और जेकेएसएसबी उम्मीदवारों के खिलाफ बल प्रयोग और लाठीचार्ज की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं. ये युवा जेकेएसएसआरबी द्वारा ब्लैकलिस्टेड फर्म एप्टेक को शामिल करने के हालिया फैसले के विरोध में अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग कर रहे थे.’

अब्दुल्ला ने आगे कहा कि (परीक्षा कराने वाली कंपनी के) अनुबंध को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘अगर किसी कंपनी को बड़ा ठेका दिया जा रहा है तो उसे काली सूची में डालने का क्या मतलब है? यह अनुबंध और भी खतरनाक है, क्योंकि यह उन उम्मीदवारों के भविष्य को खतरे में डालता है, जो भर्ती परीक्षा आयोजित करने के लिए जेकेएसएसबी पर भरोसा करते हैं.’

प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग की निंदा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘इस घोटाले में शामिल अधिकारियों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए. यह सरकार लोगों से नौकरियां छीनने की पूरी कोशिश कर रही है. नौकरी के इच्छुक लोगों के खिलाफ बल प्रयोग दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है.’

एक ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘फर्जी ब्लैकलिस्टेड कंपनी को बनाए रखने का जेकेएसएसबी का फैसला बताता है कि जम्मू कश्मीर में भ्रष्टाचार कितना गहरा है. इसके लिए जिम्मेदार सरकारी बाबू जम्मू कश्मीर के युवाओं के भविष्य को बर्बाद करने की कीमत पर अपने पदों का आनंद ले रहे हैं.’

माकपा नेता एमवाई तारिगामी ने कहा, ‘जेकेएसएसबी उम्मीदवारों के खिलाफ बल का प्रयोग बेहद निंदनीय है. भ्रष्ट आचरण में शामिल होने की आरोपी कंपनी को परीक्षा आयोजित करने का ठेका देना अकारण है. बढ़ते युवा रोजगार के बीच इस कदम से नौकरी के इच्छुक हजारों लोगों का भविष्य दाव पर लग जाएगा. इस प्रकार के ठेकों को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए.’

पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने कहा, ‘एप्टेक का विरोध कर रहे छात्रों पर बल प्रयोग की कड़ी निंदा करता हूं. छात्रों के खिलाफ बल प्रयोग से पता चलता है कि प्रशासन कितना अलग-थलग है. युवा छात्रों के खिलाफ बल प्रयोग का आदेश कौन देगा. शर्म करो. आपके घर में शायद उसी उम्र के बच्चे होंगे.’

रिपोर्ट के अनुसार, बीते 8 दिसंबर 2022 को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के जस्टिस वसीम सादिक नर्गल ने उपराज्यपाल प्रशासन को हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का निर्देश दिया था.

हाईकोर्ट ने इस समिति को एप्टेक लिमिटेड को टेस्ट कराने की अनु​मति देने में टेंडर के नियमों और शर्तों को बदलने में अनियमितताओं और अवैधताओं के लिए जेकेएसएसबी के आचरण की जांच करने को कहा था.

अदालत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कंपनी विभिन्न ‘कदाचारों और अनियमितताओं’ में शामिल थी और उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा काली सूची में डाल दी गई थी. इसके अलावा कंपनी राजस्थान पुलिस और असम के सिंचाई विभाग की भर्ती के लिए चयन परीक्षणों में कदाचार के समान आरोपों का सामना कर रही थी.

हालांकि जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल प्रशासन ने एकल पीठ के फैसले के खिलाफ अपील की थी.

बाद में जस्टिस सिंधु शर्मा और विनोद चटर्जी कौल की पीठ ने जस्टिस वसीम सादिक नर्गल के फैसले पर रोक लगाकर जेकेएसएसबी को चयन प्रक्रिया आगे बढ़ाने का निर्देश दिया था.

जेकेएसएसबी 1,265 से अधिक पदों को भरने के लिए 16 मार्च से 5 अप्रैल के बीच विभिन्न पदों के लिए कंप्यूटर आधारित लिखित परीक्षा आयोजित करने वाला है.

सरकार ने कहा है कि जेकेएसएसबी परीक्षा केंद्रों पर पर्यवेक्षण के लिए एक बहुस्तरीय ढांचा स्थापित करेगा और जम्मू कश्मीर पुलिस प्रत्येक स्थल और स्थान पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षाकर्मियों को तैनात करेगी.

एक प्रवक्ता ने कहा, ‘परीक्षा में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए परीक्षा सीसीटीवी निगरानी के तहत आयोजित की जाएगी. इसके अलावा सभी परीक्षा केंद्रों में ब्लूटूथ और वाई-फाई सक्षम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और अनुचित साधनों के उपयोग को रोकने के लिए जैमर लगाए जा रहे हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यह सुनिश्चित करने के लिए कि अपनाई जा रही परीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित और किसी भी प्रकार के कदाचार से मुक्त है, जेकेएसएसबी द्वारा आयोजित परीक्षा प्रक्रिया की समीक्षा/ऑडिट करने के लिए एक तीसरे पक्ष को काम पर रखा गया है.’