भारतीय सीमाओं पर चीन, पाकिस्तान के साथ सशस्त्र टकराव का ख़तरा बना हुआ है: अमेरिकी रिपोर्ट

अमेरिकी खुफिया विभाग की वार्षिक थ्रेट असेसमेंट- 2023 रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन ने विवादित सीमा पर अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी है, जिससे सशस्त्र संघर्ष का ख़तरा बढ़ जाता है. पिछली घटनाएं दिखाती हैं कि मामूली विवाद भी जल्दी तूल पकड़ लेते हैं. परमाणु शक्तियों के रूप में भारत और चीन के बीच किसी भी संघर्ष के अमेरिका के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं.

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Army trucks move along the Manali-Leh highway, amid border tension between India and China, in Kullu district. Photo: PTI

अमेरिकी खुफिया विभाग की वार्षिक थ्रेट असेसमेंट- 2023 रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन ने विवादित सीमा पर अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी है, जिससे सशस्त्र संघर्ष का ख़तरा बढ़ जाता है. पिछली घटनाएं दिखाती हैं कि मामूली विवाद भी जल्दी तूल पकड़ लेते हैं. परमाणु शक्तियों के रूप में भारत और चीन के बीच किसी भी संघर्ष के अमेरिका के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं.

मनाली-लेह राजमार्ग पर सेना के ट्रक. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: पिछले वर्षों के शब्दों को दोहराते हुए, अमेरिकी खुफिया विभाग की वार्षिक खतरा आकलन रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और पाकिस्तान के साथ भारत की सीमाओं पर सशस्त्र टकराव का खतरा बना हुआ है.

रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी इंटेलिजेंस के सालाना थ्रेट असेसमेंट (खतरा आकलन)-2023  का अनक्लासिफाइड (सार्वजनिक) संस्करण पूरी तरह से चीन पर केंद्रित है. गुरुवार (9 मार्च) को जारी रिपोर्ट कहती है कि चीन अमेरिकी ताकत और प्रभाव को कमजोर करने के लिए रूस के साथ घनिष्ठ संबंध जारी रखेगा.

न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, इस सालाना रिपोर्ट के कुछ पहलू ‘साल-दर-साल बमुश्किल ही बदलते हैं’, लेकिन चीन पर इसके हिस्से को विस्तार दिया गया है- ‘जो कि बाइडन शासन के दौरान इस देश पर अधिक ध्यान केंद्रित किए जाने को दर्शाता है.’

इस रिपोर्ट में भारत का जिक्र सिर्फ तीन संदर्भों में किया गया है. पहले संदर्भ में, यह कहा गया है कि ‘तनाव बढ़ने की संभावनाओं के मद्देनजर भारत और चीन की भूमिका महत्वपूर्ण है.

इसे अलावा देश का उल्लेख ‘संभावित अंतर-राज्यीय संघर्ष’ वाले खंड में है. भारत-चीन की स्थिति पर रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि भारत ने ‘द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से अपने कुछ सीमा विवादों को सुलझा लिया है’, लेकिन उनके संबंध ‘2020 के भीषण टकराव के बाद से तनावपूर्ण बने हुए हैं.’ यह भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गलवान घाटी में हुए संघर्ष के संदर्भ में कहा गया है, जिसमें आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार कम से कम 24 सैनिक मारे गए थे.

2023 की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘दोनों देशों ने विवादित सीमा पर अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी है, जिससे सशस्त्र संघर्ष का खतरा बढ़ जाता है. पिछली घटनाओं ने दिखाया है कि मामूली विवाद भी जल्दी तूल पकड़ लेता है. परमाणु शक्तियों के रूप में भारत और चीन के बीच किसी भी संघर्ष के अमेरिकी हितों के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं, संभव है कि अमेरिकी हस्तक्षेप की आवश्यकता हो.’

जो भाषा रिपोर्ट में इस्तेमाल की गई है, वह लगभग पिछले वर्ष के ही समान है. 2022 की रिपोर्ट में भी उपरोक्त शब्द कहते हुए समान संभावनाएं जताई गई थीं. इससे एक साल पहले 2021 में रिपोर्ट तथ्यात्मक सारांश से आगे नहीं बढ़ी थी कि तनाव बहुत अधिक है और कई दौर की वार्ता हुई है.

2020 में कोई रिपोर्ट जारी नहीं की गई थी. लेकिन 2019 और 2018 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया था कि डोकलाम गतिरोध के बाद सीमा पर तनाव को कम करने के लिए दोनों पक्षों के प्रयासों के बावजूद सैन्य गतिविधियों और निर्माण के चलते ‘गलतफहमी’ के कारण ‘अनजाने में तनाव वृद्धि’ की संभावना है.

चीन के अलावा सभी थ्रेट असेसमेंट रिपोर्ट्स में भारत के पाकिस्तान के साथ संबंध के संदर्भ शामिल हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि दो दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के बीच संकट ‘विशेष चिंता’ का विषय है, क्योंकि दोनों परमाणु हथियारों से संपन्न हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 की शुरुआत में नियंत्रण रेखा पर हुए सीजफायर के नवीनीकरण के बाद से दोनों देशों का झुकाव रिश्तों में शांति स्थापित करने की ओर है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हालांकि, पाकिस्तान का भारत विरोधी आतंकवादी गुटों को समर्थन करने का लंबा इतिहास रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत द्वारा पाकिस्तानी उकसावे पर अतीत की तुलना में वर्तमान में सैन्य बल के साथ प्रतिक्रिया देने की अधिक संभावना है.’

2019 की रिपोर्ट में एक अलग खंड था जिसमेंकहा गया था कि (उस समय) आगामी भारतीय चुनाव सांप्रदायिक झड़पों का कारण बन सकते हैं.