कृषि मंत्रालय तीन साल में बजट में आवंटित 44,000 करोड़ रुपये इस्तेमाल नहीं कर सका: रिपोर्ट

लोकसभा में पेश कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि मंत्रालय द्वारा वापस की गई धनराशि मुख्य रूप से उत्तर-पूर्वी राज्यों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के कल्याण के लिए बनाई गई योजनाओं के लिए ‘कम आवश्यकता’ के कारण है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

लोकसभा में पेश कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि मंत्रालय द्वारा वापस की गई धनराशि मुख्य रूप से उत्तर-पूर्वी राज्यों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के कल्याण के लिए बनाई गई योजनाओं के लिए ‘कम आवश्यकता’ के कारण है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: लोकसभा में बीते सोमवार को पेश संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, कृषि मंत्रालय के तहत आने वाले कृषि और किसान कल्याण विभाग ने पिछले तीन वर्षों के दौरान अपने बजट का 44,015.81 करोड़ रुपये वापस कर दिया, क्योंकि यह अपने आवंटन का पूरी तरह से उपयोग नहीं कर सका.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पीसी गड्डीगौदर की अध्यक्षता वाली कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित स्थायी समिति ने कृषि और किसान कल्याण विभाग की अनुदान मांगों (2023-24) पर अपनी रिपोर्ट में सरकार से बजट के तहत मिली राशि का वापस करने के कार्य से बचने के लिए कहा है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘समिति ने विभाग के जवाब से नोट किया है कि 2020-21, 2021-22 और 2022-23 (अस्थायी) के दौरान क्रमश: 23,824.54 करोड़ रुपये, 429.22 करोड़ रुपये और 19,762.05 करोड़ रुपये की राशि सरेंडर (वापस) की गई है. इसका मतलब है कि इन वर्षों में विभाग द्वारा कुल 44,015.81 करोड़ रुपये सरेंडर (Surrender) किए गए हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्रालय द्वारा वापस की गई धनराशि मुख्य रूप से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के कल्याण के लिए बनाई गई योजनाओं के लिए ‘कम आवश्यकता’ के कारण है.

कहा गया, ‘समिति को सूचित किया गया है कि धनराशि की वापसी मुख्य रूप से उत्तर पूर्वी राज्यों, अनुसूचित जाति उप-योजना और जनजातीय क्षेत्र उप-योजना (टीएएसपी) के तहत कम आवश्यकता के कारण हुई है.’

इसमें कहा गया है, ‘समिति महसूस करती है कि बजट में आवंटित धनराशि के समर्पण की प्रथा को अब से हर तरह से टाला जाना चाहिए, ताकि योजनाओं से प्राप्त होने वाले मूर्त लाभों को जमीनी स्तर पर सर्वोत्तम तरीके से लागू करने की अनुमति दी जा सके.’

यह भी कहा गया, ‘इसलिए समिति विभाग से अनुशंसा करती है कि आवंटित धनराशि की वापसी के कारणों की पहचान करें और यह सुनिश्चित करने के लिए सुधारात्मक उपाय करें कि इस राशि का पूर्ण और कुशलता से उपयोग हो जाए.’

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि केंद्र के कुल बजट में विभाग का बजटीय आवंटन 2020-21 में 4.41 प्रतिशत से घटकर 2023-24 में 2.57 फीसदी हो गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने पाया है कि विभाग ने अपने उत्तरों में स्वीकार किया है कि भारत सरकार के कुल बजट में से विभाग के पक्ष में किया गया बजटीय आवंटन लगातार घटा है. यह वर्ष 2020-21 में 4.41 प्रतिशत, 2021-22 में 3.53 प्रतिशत, 2022-23 में 3.14 प्रतिशत और 2023-24 के दौरान 2.57 प्रतिशत रहा है.

इसमें कहा गया है, ‘2020-21 में केंद्र सरकार का कुल बजट परिव्यय 30,42,230.09 करोड़ रुपये था, जो 2023-24 में बढ़कर 45,03,097.45 करोड़ रुपये हो गया. ग्रामीण आजीविका, रोजगार सृजन और देश की खाद्य सुरक्षा में कृषि द्वारा निभाई गई प्रमुख भूमिका को ध्यान में रखते हुए समिति विभाग को बजटीय आवंटन के मुद्दे को वित्त मंत्रालय के साथ उठाने और यह सुनिश्चित करने की सिफारिश करती है कि अगले बजट से बजट आवंटल लगातार जारी गिरावट न हो.’

समिति ने विभाग से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कंपनियों द्वारा दावों के निपटान में देरी के कारणों पर गौर करने को भी कहा है. इसने विभाग को आवश्यक उपाय करने और उनका सर्वोत्तम संभव तरीके से समाधान करने के लिए ठोस प्रयास करने के लिए कहा है, ताकि किसानों के बीच इस योजना की विश्वसनीयता बढ़ सके.