डिजी यात्रा योजना नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा एक ‘बायोमेट्रिक बोर्डिंग सिस्टम’ शुरू करने की एक पहल है, जो हवाई अड्डों पर यात्रियों के सत्यापन के लिए फेशियल रिकग्निशन सिस्टम का उपयोग करती है. डेटा सुरक्षा व्यवस्था के अभाव में इस तकनीक के उपयोग को लेकर गंभीर चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं.
नई दिल्ली: सूचना के अधिकार (आरटीआई) के माध्यम से ‘डिजी यात्रा’ के बारे में जानकारी नहीं मांगी जा सकती है, क्योंकि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कहा है कि यह सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के दायरे में नहीं आती है.
यह जानकारी मीडियानामा द्वारा दायर एक आरटीआई आवेदन के बाद मंत्रालय की ओर से दी गई है. मंत्रालय के अनुसार, डिजी यात्रा परियोजना हवाई अड्डों के एक निजी गैर-लाभकारी निकाय डिजी यात्रा फाउंडेशन द्वारा चलाई जा रही है.
मंत्रालय के जवाब में कहा गया है, ‘मांगी गई जानकारी डिजी यात्रा फाउंडेशन के पास उपलब्ध हो सकती है, हालांकि, वे आरटीआई अधिनियम 2005 के दायरे में नहीं आते हैं.’
डिजी यात्रा नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा एक ‘बायोमेट्रिक बोर्डिंग सिस्टम’ शुरू करने की एक पहल है, जो हवाई अड्डों पर यात्रियों के सत्यापन के लिए चेहरे की पहचान (Facial Recognition) तकनीक का उपयोग करती है.
इसका उद्देश्य कई चेकपॉइंट्स पर टिकटों और आईडी के सत्यापन की आवश्यकता को समाप्त करके बोर्डिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है.
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कहा है कि इसी महीने डिजी यात्रा सुविधा कोलकाता, पुणे, विजयवाड़ा और हैदराबाद हवाई अड्डों तक बढ़ा दी जाएगी और अन्य हवाई अड्डों पर भी इसके विस्तार की उम्मीद है.
यह परियोजना दिसंबर 2022 में शुरू की गई थी, जिसकी शुरुआत दिल्ली, बेंगलुरु और वाराणसी हवाई अड्डों से हुई थी.
कार्यकर्ताओं और विश्लेषकों ने डेटा सुरक्षा व्यवस्था के अभाव में चेहरे की पहचान तकनीक के उपयोग से यात्रियों की निजी जानकारी के भंडारण, उनके साझा होने, उसकी सुरक्षा और गोपनीयता के संबंध में चिंता व्यक्त की है.
इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने गोपनीयता और इन प्रणालियों को नियंत्रित करने के लिए कानूनों की कमी के संदर्भ में डिजी यात्रा के साथ आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला है.
श्रीनिवास कोडाली ने द वायर प्रकाशित एक लेख में लिखा था कि ‘चेहरे की पहचान तकनीक के तहत आने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए असली चिंता इस तकनीक के प्रसार को लेकर होना चाहिए. यह तकनीक पूरे समाज को कैसे प्रभावित कर सकती है, इसकी तुलना में व्यक्तिगत गोपनीयता के लिए खतरा सीमित है. चेहरे की पहचान की शक्ति अपार है और निगरानी एजेंसियों द्वारा इसका आसानी से दुरुपयोग किया जा सकता है, क्योंकि हम इसे शहरों में पहले से ही देख रहे हैं, जहां पुलिस लोगों से उनकी तस्वीरें जमा करने के लिए मजबूर कर रही है.’
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